MP Election 2023- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भरा नामांकन, फिर सी एम बनकर भाजपा सहित “सिंधिया” को देना चाहते हैं करारा जवाब
सरकार बनाने के भरोसे के साथ कहा मध्यप्रदेश की विधानसभा में सबसे ऊंचा झंडा छिन्दवाड़ा का होगा
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MP Politics-
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ का सपना एक बार फिर मध्यप्रदेश का “मुख्यमंत्री” बनने का है। गुरुवार को उन्होंने अपने गृह क्षेत्र छिन्दवाड़ा में जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन के साथ “नामांकन रैली” निकालकर छिन्दवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से अपना नांमाकन दाखिल कर दिया है। इस दौरान जनसभा में उन्होंने मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के दावे के साथ छिन्दवाड़ा के प्यार – विश्वास के प्रति कृतज्ञता जताते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश की विधानसभा में सबसे ऊंचा झंडा छिन्दवाड़ा का होगा। छिन्दवाड़ा ने पिछले चुनाव में ना केवल सातों सीट बल्कि सांसद सहित नगर निगम महापौर और जिला पंचायत का अध्यक्ष पद भी कांग्रेस को दिया है। छिन्दवाड़ा को भाजपा मुक्त होने से ही कांग्रेस का “गढ़” कहा जाता है। सांसद नकुलनाथ ने कहा कि छिन्दवाड़ा की जनता 17 नवम्बर को ” विधायक” नही मध्यप्रदेश के “मुख्यमंत्री” का चुनाव करेगी।
मध्यप्रदेश का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य देखा जाए तो अपने युवा जमाने मे ” संजय गांधी” के साथ मिलकर कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री तय कर चुके “कमलनाथ” को यह बात गंवारा नही हो रही है कि उनके ही सखा रहे केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया” के बेटे ने उन्हें प्रदेश का “मुख्यमंत्री” रहते हुए मात दे दी है। वे फिर मध्यप्रदेश का “मुख्यमंत्री” बनकर अपनी राजनैतिक पैठ को साबित करने की रणनीति में ही मध्यप्रदेश में अब दूसरी बार विधानसभा के चुनाव में है। अपनी सरकार जाने के बाद से वे लगातार भाजपा की “शिवराज सरकार” के खिलाफ हर मुद्दे पर मोर्चा खोले हुए हैं। लगातार साढ़े तीन साल से वे शिवराज सरकार को “घेरते – घेरते अब विधानसभा के 17 नवम्बर को होने वाले आम चुनाव में जनता की अदालत में आ गए हैं और फैसला “जनता” पर छोड़ दिया है।
मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए “कमलनाथ” ने पार्टी की केंद्रीय राजनीति को छोड़ मध्यप्रदेश में ही बने रहने का फैसला लिया है। मध्यप्रदेश के “मुख्यमंत्री” पद से हटने के बाद उन्हें वापस “केंद्रीय” राजनीति में सक्रिय होने के साथ ही कांग्रेस का कार्यवाहक “राष्ट्रीय अध्यक्ष” बनने का ऑफर ठुकरा दिया किन्तु मध्यप्रदेश छोड़कर दिल्ली शिफ्ट होने को तैयार नही हुए।
दिल्ली में कांग्रेस हाई कमान को अपना ईरादा बताकर लौटने के बाद सार्वजनिक बयान में उन्होंने कई बार कहा है कि वे मध्यप्रदेश छोड़कर कहीं नही जाएंगे।
मध्यप्रदेश में अभी उनके “समकक्ष” कोई नेता है ना ही कोई चुनौती। मध्यप्रदेश के दूसरे दिग्गज “ज्योतिरादित्य सिंधिया” के बाद तो मध्यप्रदेश कांग्रेस में “कमलनाथ”के लिए तो कोई चुनौती है ही नही।
ऐसे में उन्हें अपने लिए रास्ता साफ नजर आता है।
राजनीति में राजनैतिक व्यवहार लौटाने की “रणनीति” मायने रखती है। ऐसे में वे दोबारा मध्यप्रदेश का “मुख्यमंत्री” बनकर भाजपा सहित अब भाजपा की केंद्र सरकार में मंत्री बन चुके “ज्योतिरादित्य सिंधिया” से हिसाब बराबर करने को आतुर दिखते हैं। खास बात यह है कि “कमलनाथ” संजय गांधी के जमाने मे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बतौर देश के “आठ” राज्यो के प्रभारी थे। उस समय कांग्रेस ने जब आठ राज्यो में चुनाव में फतह की थी तब उनकी अनुशंसा पर ही “संजय गांधी” ने आठ राज्यो के “मुख्यमंत्री” तय किए थे। वर्तमान में पार्टी हाई कमान ने उन्हें मध्यप्रदेश के साथ ही देश के हिंदी भाषी राज्यो के साथ समन्वय का जिम्मा भी दिया है। व्यवहारिक राजनीति के “मास्टर” कमलनाथ ने पिछले चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा की लगातार 15 वर्षो से चली आ रही सरकार को “उखाड़” दिया था। तबसे वे भाजपा की आंखों की “किरकिरी” और राह का “रोड़ा” है। भाजपा भी उन्हें घेरने कही और नही डायरेक्ट “छिन्दवाड़ा अटैक” की रणनीति पर है।