नगर निगम छिन्दवाड़ा में इंजीनियरों का इलु – इलु, आशिकी के लिए उपयंत्री ने खरीदा लाखों का मकान
अंदर कुछ बाहर कुछ : ड्यूटी टाइम में ऑफिस से बंक, सिविल सेवा आचरण का उलंघन
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
नगर निगम छिन्दवाड़ा में भृष्ट इंजीनियरों की फौज भी कम नही है। बिना कमीशन के यहां कोई काम होता नही है। इंजीनियरों पर ना कोई कार्यवाही होती है ना ही अफसर शिकायतों पर कोई नोटिस लेते हैं। ऐसे में इंजीनियरों को लगता है कि नगर निगम से बड़ा चारागाह उनके लिए हो नही सकता है। निर्माण कार्यो में शिकायतों का अंबार है। गुणवत्ता से लेकर भुगतान तक शिकायते है । कार्य टेंडर को हो या बिना टेंडर के बिल तभी बनता है जब तक की लेन- देन का अनुबंध नही हो जाता है। यहां तो एक लाख से नीचे के एक नही अनेक कार्य है जो हुए ही नही है लेकिन उनके भुगतान कमीशन बाजी में हो गए है। यहां अवैध कालोनियों पर कार्यवाही के नाम पर मामला नोटिस पर ही आकर अटक जाता है और फिर कालोनी वैधता की श्रेणी में कब आ जाती है किसी को पता भी नही चलता है। इन हालातों ने इंजीनियरों को लखटकिया बना रखा है।
एक इंजीनियर पर तो नगर निगम के अफसर मेहरबान है। निगम के खास – खास कार्यो का प्रभार उसे दे रखा है। इस खास प्रभार में ही खासी कमाई ही उन्हें रईस बना रही है और यह रईसी में ही अय्याशी बढ़ा रही है।किंतु आशिकी के फेर में यह इंजीनियर निगम का कोई कार्य नही कर पा रहा है। शाखा से जुड़े कामकाजी खासे परेशान हैं। जब भी इंजीनिययर से मिलने जाते हैं तो कार्यालय में मिलता नही है।
नगर निगम में इंजीनियरों पर लगाम की सख्त जरूरत है पर लगाएगा कौन यह वह सवाल है जिसका जवाब ना मिलने पर ही अब बाते छन – छन कर बाहर आ रही है। मामले तो बड़े – बड़े भी है । यहां एक अफसर पहले भी इस तरह के मामलों में काफी चर्चित रहा है। प्रेमिका के लिए कार खरीदना मकान बनाकर देना निगम में कोई बड़ी बात नही है। क्योंकि निगम में जांच नोटिस और जवाब तलब के साथ सर्विस ब्रेक का लगता है कोई प्रावधान ही नही रह गया है। निगम ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह सब कुछ कार्यालयीन समय मे ही होता है। आफिस बंक कर ड्यूटी टाइम निजी कार्य मे लगाया जा रहा है और भ्र्ष्टाचार आय का बड़ा स्त्रोत भी बन रहा है। जो सिविल सेवा आचरण का बड़ा उलंघन है।