नगर निगम छिन्दवाड़ा : आमदनी अठ्ठन्नी खर्चा रुपैय्या, तीन माह से कर्मियों को वेतन नही, ठेकेदारों का भी 30 करोड़ से ज्यादा का भुगतान अटका
विकास कार्यो पर भी ग्रहण, क्या अब छिन्दवाड़ा पर नजर करेगी भाजपा की नई सरकार

मुकुन्द सोनी ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा का नगर निगम प्रशासन “कोमा” में है। नगर के लिए कुछ कर पाए लगता नही है। प्रदेश में भाजपा की सरकार और निगम में कांग्रेस के महापौर सहित परिषद के विपरीत हालातो में निगम की स्थिति ज्यादा खराब होते चली जा रही है। नगर में ना कोई नए विकास कार्य हो पा रहे हैं ना ही हो चुके कार्यो का ठेकेदारो को भुगतान हालात इतने नाजुक है कि निगम हर माह कर्मियों का वेतन तक नही कर पा रहा है। रही निगम की सपत्ति और जलकर के साथ ही दुकानों और अन्य स्त्रोत से आय की बात तो “आमदनी अठ्ठन्नी खर्चा रुपैय्या” वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आती है।
नगर निगम की वर्तमान स्थिति यह है कि तीन माह से निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का ही वेतन भुगतान नही हो पाया है।वेतन को लेकर पिछले 20 साल में भी कभी ऐसे हालात नही थे जो अब है। चुंगी क्षति पूर्ति की होलसेल में मिलने वाली राशि से निगम में एक मुश्त वेतन भुगतान होता आया है किंतु निगम को तीन माह से यह राशि भी नसीब नही है। वेतन ना मिलने से कर्मियों में आक्रोश इतना है कि अब यहां वेतन के लिए कर्मी काम बंन्द हड़ताल जैसा कदम उठाने का नोटिस निगम कमिश्नर को दे चुके हैं।
नगर में अब भी भाजपा शासन काल के ही पुराने प्रोजेक्ट चल रहे हैं। समय सीमा निकल जाने के बाद भी इन प्रोजेक्ट को पूरा ना कर “घसीटा” जा रहा है। इनमे अंडर ड्रेनेज, हाउसिंग के साथ ही मुख्यमंत्री अधोसरंचना, कायाकल्प के साथ ही सांसद और विधायक मद के कार्य शामिल बताए गए हैं। भाजपा की सरकार ने भी नगर विकास के लिए कोई खास बजट नगर निगम को नही दिया है। नए प्रोजेक्ट में बिना बजट का ट्रांसपोर्ट नगर और आडिटोरियम के साथ अमृत योजना में जल आवर्धन विस्तार के कार्य प्रस्तावित है। यहां कांग्रेस ने भी वार्डो में सांसद नकुलनाथ के हाथों करोड़ो के विकास कार्यो का “भूमिपूजन” करा रखा है किंतु निगम निधि में इतनी आय नही है कि कार्य शुरू हो सके। यहां कांग्रेस के लिए निगम कर्मियों का वेतन करा देना ही सबसे बडी “उपलब्धि” में गिना जा रहा है।
निगम के खराब होते हालातो को निगम के प्रशासनिक अधिकारी भी कंट्रोल करने के लिए कोई जहमत उठाते नही दिखते हैं। यहां अफसर केवल अफसर ही है आदेश देने तक ही उनकी कार्यप्रणाली सीमित है। कोई जुगत कोई जुगाड़ जैसा अनुभव अफसर दिखा नही पा रहे हैं। “आगे पाठ पीछे सपाट” की स्थिति में कांग्रेस केवल आरोप लगाने की मुद्रा में है कि हमारे हाथ मे कुछ नही है। प्रदेश में हमारी सरकार नही है। बिना वित्त के निगम एक कदम भी नही चल सकता है और ऐसे हाल का सामना करते लगभग साल भर का समय गुजर गया है। ऐसे में ठेकेदार अब निगम से पलायन कर अन्य दूसरे विभागों में अपने लिए कार्य तलाश रहे हैं। बताया गया को निगम के विविध कार्यो का करीब 30 करोड़ का भुगतान बकाया है। ठेकेदार अधिकारियों के चक्कर काट- काट कर त्रस्त हो चुके हैं। अधिकारी केवल अपने नजदीकी ठेकेदारों को ही उपकृत कर पा रहे हैं।जो दूसरे ठेकेदारों के लिए आक्रोश का कारण बन रहा है। नगर निगम जल कर और संपत्ति कर से केवल बिजली का बिल ही भर पा रहा है। बाजार वसूली बंन्द होने से भी निगम को बड़ा झटका लगा है।इससे निगम की रोज की आय समाप्त हो गई है। करो की वसूली के प्रेशर से निगम का राजस्व अमला यहां सबसे ज्यादा प्रेशर में है। वर्तमान में अमला बकायदारों को कुर्की के नोटिस और नल कनेक्शन काटने जैसी कार्रवाई में लगा है।
48 वार्डो वाले नगर निगम में नियमित, विनियमित और ठेका सहित सफाई कर्मी मिलाकर दो हजार से ज्यादा कर्मी है। यहां अधिकारियी सहित नियमित कर्मियों की संख्या करीब 400 है।सब वेतन को लेकर परेशान हैं। निर्माण सहित सप्लाय ठेकेदार भुगतान पाने को लेकर परेशान हैं।आखिर नगर निगम के हालात कब तक सुधरेंगे कुछ कहा नही जा सकता है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर हालात ना केवल ठीक होंगे बल्कि नगर में विकास की गंगा बह जाएगी। करोड़ो नही अरबो के काम होंगे किंतु यह मात्र कोरी कल्पना साबित हो गई है।अब छिन्दवाड़ा में ऐसा कोई कारण भी नजर नही आ रहा है कि भाजपा की नई सरकार भी छिन्दवाड़ा पर नजर करे। तो भी यहां भाजपा के मंत्रिमंडल गठन और जिले के प्रभारी मंन्त्री की नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा है कि हालातो को उनके सामने रखा जा सके।तब तक तो निगम पर रोज का आर्थिक बोझ बढ़ता ही रहेगा। वर्तमान में करो की वसूली से किसी तरह निगम को दिवालिया होने से बचाया जा रहा है।