मेडिकल कालेज : कमिश्नर के सामने डीन पर भड़के पैरामेडिकल के छात्र – छात्राएं
बिना एफिलेशन लिया बी एम एल टी में एडविसन
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
एम बी बी एस की डेढ़ सौ सीट वाले छिन्दवाड़ा मेडिकल कालेज में पैरा मेडिकल के पाठ्यक्रम डी एम एल टी और बी एम एल टी कोर्स में एफिलेशन के बिना तीन साल से एडविसन लेना बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मुद्दे पर जबलपुर संभाग के कमिश्नर अभय वर्मा के गुरुवार को छिन्दवाड़ा पहुंचने पर आक्रोशित छात्र – छत्राओ ने उनके सामने डीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया ।
एडविसन के तीन साल होने के बाद अब तक फर्स्ट ईयर तक की परीक्षा नही हुई है ऐसे में छात्र – छात्राएं इस बात से आक्रोशित है कि जब कालेज के एफिलेशन ही नही था तो फिर डीन ने एडविसन किस आधार पर शुरू कराए औऱ 80 – 80 हजार रुपया फीस जमा वसूल की। छात्र – छात्राएं समय रुपया और भविष्य खराब होने से चिंतित हैं। तीन साल बाद सच्चाई सामने आने पर छात्र – छात्राएं अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
कमिश्नर अभय वर्मा विशेष रूप से मेडिकल कालेज की बैठक लेने ही छिन्दवाड़ा आए थे किंतु प्रबन्धन ने बैठक में यह मुद्दा रखा ही नही । जब कमिश्नर मेडिकल कालेज में थे तब उनके सामने ही छात्र – छत्राओ ने डीन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।एन.एस.यू.आई. अध्यक्ष अजय सिंह ठाकुर ने बताया कि इस मुद्दे पर मेडिकल कालेज में अध्ययनरत पैरामेडिकल की . डी. एम. एल. टी. के छात्र – छात्राओं के साथ कलेक्टर को भी ज्ञापन दिया गया था किंतु इस गंभीर मामले में शासन ध्यान दे रहा है ना ही प्रशासन।
छात्र – छात्राओ की मांग है कि मेडिकल कालेज का मेडिकल कौंसिल से एफिलेशन कराकर जल्द परीक्षाएं आयोजित की जाए या फिर उन्हें जनरल प्रमोशन दिया जाए ताकि किसी भी छात्र – छात्रा का भविष्य खराब ना हो। इस मुद्दे पर अब तक दर्जनों बार प्रदर्शन हो चुके हैं। मेडिकल कालेज से लेकर कलेक्ट्रेट तक हंगामे हो चुके हैं फिर भी यह मुद्दा हल नही किया गया है ना ही इसके लिए जवाबदार अधिकारियों से जवाब तलब कर कार्रवाई की गई है।
सरकारी मेडिकल कालेज होने के कारण ही छात्र – छत्राओ ने कॉलेज में प्रवेश लिया था कालेज प्रबन्धन ने प्रवेश प्रक्रिया में फीस ली हैं लेकिन यह बात छिपाई गई और इसके बाद दो साल तक और प्रवेश लिए गए अब तीन साल में करीब 180 छात्र – छात्राएं कालेज की लापरवाही का शिकार हो गए है। इसके लिए जवाबदार अधिकारियों पर ना मेडिकल कार्रवाई कर रहा है ना ही प्रशासन और ना ही इस मुद्दे का अब तक कोई हल निकल पाया है।