Metro City Mediaछिन्दवाड़ामध्यप्रदेशराजनीति

पी सी सी चीफ “कमलनाथ” का छिन्दवाड़ा केम्प, सुबह प्रदेश के लिए उड़ान शाम को छिन्दवाड़ा की कमान

आप चार दिन मेरा बोझ उठाओ मैं पांच साल आपका बोझ उठाउंगा, प्रचार को तीन और मतदान को पांच दिन शेष

Metro City Media

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

विधानसभा चुनाव में  मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के “अध्यक्ष” बतौर हो या पूर्व “मुख्यमंत्री” के साथ ही पुनः  कांग्रेस के  ” भावी मुख्यमंत्री” का चेहरा “कमलनाथ” पर पूरे मध्यप्रदेश की जवाबदारी है। इसके साथ ही छिन्दवाड़ा की सातों सीट की जीत का “दारोमदार” भी उन पर टिका है।  ऐसे में  उन्होंने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर मे  अपने  निवास “शिकारपुर”  को ही  केम्प बना लिया है।  प्रदेश के अन्य जिलों में प्रचार के लिए वे  रोज  “हेलीकॉप्टर” से शिकारपुर के ” हेलीपैड” से ही  उड़ान भरते हैं और शाम को वापस लौटकर  अपने गृह जिले छिन्दवाड़ा  की कमान सभालते है।शनिवार को उन्होंने ग्वालियर में सभा की और फिर ग्वालियर से लौटकर  छिन्दवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधानसभा के हर्रई और फिर शाम को छिन्दवाड़ा पहुंचकर नगर निगम छिन्दवाड़ा के सिवनी प्रणमोती क्षेत्र में जनसभा की। यह क्रम पिछले एक सप्ताह से लगातार चल रहा है। कमलनाथ शाम तक प्रदेश के विविध जिलो में होते हैं और शाम को छिन्दवाड़ा में .।

सिवनी प्राण मोती की सभा में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनते ही मैंने प्रदेश के 27 लाख किसानों का  का  कर्जा माफ किया था ।  छिन्दवाड़ा में 75 हजार किसानों का कर्ज माफ हुआ था।हम सरकार में आकर फिर कर्ज माफ करेंगे। बिजली बिल 100 यूनिट माफ 200 यूनिट हाफ करेंगे। हर महिला को 1500,और 500 में रसोई गैस सिलेंडर देंगे।  अपने वचनपत्र के मुद्दों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि हमने कहा था महिलाओं को 1500 रुपया महीना देंगे। शिवराज जी ने  हमारी नकल कर ” लाड़ली बहना” योजना बना ली 18 सालों से उन्हें लाड़ली बहना की  याद नही आई थी।  शिवराज सिह यही कलाकारी करते हैं।  भाजपा के संकल्प पत्र को उन्होंने ” नकल पत्र” बताते हुए कहा कि चुनाव के चार दिन पहले कोई संकल्प पत्र जारी करता है क्या ? यह तो भाजपा ने हमारे वचनपत्र का ही “नकल पत्र” बनाया है। उन्होंने कहा कि आप चार दिन मेरा बोझ उठाओ मैं पांच साल आपका बोझ उठाउंगा।

पी सी सी चीफ पिछले एक सप्ताह से लगातार छिन्दवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण अंचलों में ताबड़तोड़  सभाएं कर रहे हैं। अकेले छिन्दवाड़ा सिटी के  वार्डों में वे दर्जनभर से ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। इसके साथ ही  पांढुर्ना, सौसर, जुन्नारदेव,परासिया, अमरवाड़ा और चौरई में भी लगातार  उनकी सभाओं का दौर चल रहा है।  उनके सांसद पुत्र नकुकनाथ ने  भी जिले का प्रचार मोर्चा संभाल रखा है। वे भी लगातार जिले के विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी रैलिया  और सभाएं कर रहे हैं। बात केवल सभा तक सीमित नही है बल्कि जिले के सातों विधानसभा क्षेत्र  की रोज समीक्षा भी हो रही है। जिले की सातों सीट में  बूथवार प्रबन्धन में “एक – एक ” बूथ की रिपोर्ट ली जा रही है। इस कार्य मे कांग्रेस की पूरी टीम लगी है।   कांग्रेस की टीम को चार स्तरों पर अलग- अलग जवाबदारियां दी गई है। इस बार प्रचार में  जनसभाओ की संख्या ज्यादा है। हर सभा मे जनता से सीधा संवाद है। संवाद में मुद्दे हैं। मुद्दों का जनता पर असर है।

कांग्रेस मध्यप्रदेश में  दूसरी बार पी सी सी चीफ कमलनाथ के  नेतृत्व में ” विधानसभा” का  चुनाव लड़ रही है। पिछले चुनाव में उन्होंने  कांग्रेस का 15 साल का  “सत्ता वनवास”  समाप्त कर 115  सीट  से सरकार” बनाई किन्तु यह सरकार 15 माह ही चल पाई थी। मध्यप्रदेश की राजनीति में पी सी सी चीफ कमलनाथ की यह  बड़ी सफलता थी। यदि “सिंधिया प्रकरण” ना होता तो शायद कांग्रेस के हालात कुछ और हो सकते थे। अब पांच साल बाद एक बार फिर मध्यप्रदेश के आम विधानसभा चुनाव में  कांग्रेस- भाजपा के बीच   “सत्ता संघर्ष” है। दोनो दल अपने मुद्दों के साथ जनता की “अदालत” में है। कमलनाथ पूरे मध्यप्रदेश में अपनी 15 माह की  सरकार  की उपलब्धि और रह गई  “कसक” के साथ  चुनाव प्रचार में है। 15 माह में किए गए कार्यो के साथ नई सरकार के लिए नए वादे , नई रणनीति, नए मुद्दे, नया विज़न, नया वचन पत्र और मध्यप्रदेश के लिए नई सोच उनके प्रचार में हावी है। पिछले आम चुनाव में प्रदेश की जनता ने सरकार के लिए कांग्रेस को बहुमत दिया था। चुनाव में कांग्रेस ने इसे ही सबसे बड़े मुद्दे के रूप में पेश कर भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है कि बहुमत ना होने पर भाजपा ने “तोड – फोड़” की राजनीति को अंजाम दिया था।

कमलनाथ गांधी परिवार के “संजय गांधी” के जमाने से राजनीति कर रहे हैं। अपने  43 साल के लंबे  राजनीतिक सफर में अब तक 12 चुनाव लड़ चुके हैं।  मध्यप्रदेश क्या देश की राजनैतिक “आवो – हवा” को  समझने में  उन्हें देर नही लगती है। शायद यही कारण है छिन्दवाड़ा पर किसी ” लहर” का “असर”  नही हिता है। कमलनाथ हमेशा  दावे के साथ बात करते हैं। उनका विश्वास भाजपा के आत्मविश्वास पर भारी पड़ता है। पिछले चुनाव की कहानी यही थी। उन्होंने चुनाव से पहले ही ना केवल  दावा किया था बल्कि सरकार भी बना ली थी। बात  अब तक के सर्वे रिपोर्ट्स की हो  तो “मुकाबला” कांटे का माना जा रहा है। दोनो दल बहुमत के पास- पास ही बताए जा रहे हैं। अपने लंबे राजनीतिक सफर में “कमलनाथ” लगातार  केंद्रीय मंत्री भी रहे और वरिष्ठता में मध्यप्रदेश के “सी एम” भी बनाए गए थे। वे  कांग्रेस के मेंटर्स  है। विश्वसनीय और  दिग्गज नेता के रूप में प्रतिष्ठित है।

अपनी राजनीतिक  निष्ठा , स्वाभिमान और सिद्धांत  को वे  बड़े गर्व के साथ चुनावी सभा मे रखकर आगे के सफर की बात में कहते हैं कि मुख्यमंत्री बने रहने के लिए   मैं भी सौदा कर सकता था लेकिन  “कमलनाथ” ने कभी “सौदेबाजी” की राजनीति नही की है। अब जनता ही फिर फैसला करेगी कि मैं सही था या गलत।इस दौरान वे ये भी कहते हैं कि कांग्रेस का साथ मत देना कमलनाथ का साथ मत देना मगर सच्चाई का साथ देना क्योकि यह चुनाव किसी पार्टी का नही किसी दल का नही बल्कि मध्यप्रदेश के भविष्य का है। आपके भविष्य का है। हमे कैसा भविष्य बनाना है यह फैसला आपको करना है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  अपने पिछले कार्यकाल के  विज़न से भी अब आगे निकल चुके हैं। अपने विज़न में  अब  बहुत कुछ नया  मिशन जोड़कर  मैदान में ताल  ठोंक कर भाजपा को हर मुद्दे पर “घेरे” खड़े हैं। अब भी “बड़ा मुद्दा” यही है कि भाजपा ने गलत ढंग से  “सरकार” गिराकर अपनी सरकार बनाई  थी। उस समय केवल 24  सीट पर “उपचुनाव” हुए थे। इस उप चुनाव में उन्हें  बहुमत साबित करने लायक सफलता नही मिली पाई थी और शिवराज सिंह की सरकार कायम रही थी। किन्तु अब पूरी  220 सीट पर चुनाव है  बहुमत किसके पास रहेगा और कौन सरकार बनाएगा यह फैसला ग्वालियर; चंबल  क्षेत्र विशेष की सीट से नही  बल्कि  पूरे प्रदेश की सीट से जनता के हाथ में  है। सत्ता जाने के बाद से “कमलनाथ” भाजपा के खिलाफ लगातार  मध्यप्रदेश में मालवा, निमाड़ बुंदेलखंड, नर्मदापुरम महाकौशल सहित पूरे मध्यप्रदेश में  अपनी बात लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने जो मुद्दे खड़े किए हैं और जो नया विजन दिया है उससे कांग्रेस में उत्साह नजर आता है।

भाजपा  पी सी सी चीफ कमलनाथ की प्रदेश में  घेरा बंदी के लिए  उनके गृह क्षेत्र  छिन्दवाड़ा की  ” किले बंदी ” में लगी है। किन्तु  कमलनाथ के निवार्चन क्षेत्र छिन्दवाड़ा में भाजपा के हाल किसी से छिपे नही है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा को  कमलनाथ ने अपने गृह क्षेत्र  “छिन्दवाड़ा” में  “भाजपा  मुक्त” बना रखा है। छिन्दवाड़ा की सात सीट में भाजपा का एक भी “विधायक” नही है। छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ सांसद हैं यहां  भाजपा का “सांसद”  भी नही है। इतना ही नही ” नगर निगम और जिला पंचायत भी ” भाजपा मुक्त” है। इन हालातों में छिन्दवाड़ा भाजपा के लिए बडी चुनोउती है। भाजपा का जिला , प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक इस चुनाव में हालात बदलने के दावे के साथ  अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है।  भाजपा  के दिग्गज नेताओं का लगातार छिन्दवाड़ा  आना- जाना लगा है।रणनीतिकार रणनीति को अंजाम देने में लगें क्या शहर क्या गांव भाजपा वोट शेयर बढ़ाने छिन्दवाड़ा में “एड़ी- चोटी” का जोर लगा रही है कि छिन्दवाड़ा से ” भाजपा मुक्त” होने का दाग किसी तरह  मिट जाए।

यहां चुनावी  संघर्ष में  दोनो दलों के पास  दो बड़े मुद्दे हैं।  पहला  जिले की सातों सीट पर जीत और दूसरा  प्रदेश में सरकार। इसी मुद्दे पर कांग्रेस- भाजपा के बीच दो- दो हाथ और दो – दो बात में आम जनता को भी बहुत कुछ सुनने  जानने – समझने का अवसर मिल रहा है। आरोप- प्रत्यारोप का धुंआधार दौर भी चल रहा है। प्रचार के इस दौर में  जनता सब सुन रही है मंथन की ओर बढ़ रही है और  फैसले की घड़ी भी अब  नजदीक आ रही है।  चुनाव प्रचार को अब  केवल तीन और मतदान को केवल “पांच” दिन का समय शेष है। चुनाव प्रचार 15 नवम्बर की शाम थम जाएगा 17 नवम्बर को वोटिंग होगी और 3 दिसम्बर को मतगणना होगी।

Watch Vidio-


Metro City Media

Metro City Media

Chhindwara MP State Digital News Channel & Advertiser Editor-Mukund Soni Contact-9424637011

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker