छिन्दवाड़ा की भाजपा में गुटबाजी का मंजर, सी एम शिवराज के सामने भी तनातनी
सातों विधानसभा में भीतरघात भी कम नही, कांग्रेस ने नही भाजपा ने भाजपा को हराया

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के छिन्दवाड़ा आगमन पर भाजपा में “गुटबाजी” के साथ बढ़ती “दरार” के खुले दर्शन हो गए है। यह दरार चुनाव हारने के बाद और ज्यादा बढ़ गई है। इमलीखेड़ा हवाई पट्टी से लेकर दशहरा मैदान के मंच तक और मंच से लेकर कार्यकर्ता के घर भोजन तक कुछ नेताओं की उपस्थिति से तनाव के हालात थे किंतु मुख्यमंत्री के मौजूद रहते बात को किसी तरह सम्हाला गया वरना “तकरार” होने में ज्यादा देर भी नही लगती। तो भी “गद्दारों” को हटाओ के नारे लग ही गए थे।
ये वे नेता थे जिन्हें पार्टी ने टिकट नही दिया था। जब ये नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के स्वागत के लिए हवाईपट्टी पहुंचे तब संगठन के नेताओ की “त्यौरिया” चढ़ गई थी। इन नेताओं का नाम स्वागत लिस्ट में था ना ही मंच पर मौजूद रहने वाले नेताओं में और पार्टी की इतनी करारी हार के बाद मुख्यमंत्री के आते ही इनका सक्रिय होना तनाव बढ़ा रहा था। ये नेता चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ थे लेकिन काम पार्टी के खिलाफ ही कर गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने उदबोधन में मंच से इन नेताओं नाम भी नही लिया। ये नेता उस समय मंच पर आए जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच पर चढ़े थे। इन नेताओं की मौजूदगी से भाजपा जिला संगठन के नेताओ के साथ हारे हुए प्रत्याशियो के चेहरे “तमतमा” गए थे। इनके लिए मंच पर कुर्सी थी ना ही स्वागत करने के लिए फूलमाला।
माना जा रहा था कि जिन नेताओ को पार्टी ने टिकट नही दिया है वे पार्टी के लिए तो कार्य करेंगे लेकिन ऐसा नही हो पाया है। कोई भी नेता अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नही रहा ना किसी ने जंन सम्पर्क किया ना प्रत्याशी के साथ घूमे ना ही क्षेत्र में कोई सभा की है और जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छिन्दवाड़ा आए तो वे फिर अपना “स्टेटस मेनटेन” करने चले आए थे।
माना जा रहा है कि इन नेताओं ने पार्टी के मिशन को अपना मिशन नही बनाया बल्कि खुद के व्यक्तिगत मिशन में लगे रहे कि मैं नही तो तू भी नही। भाजपा में बस इसी बात की तू – तू मैं- मैं लंबे समय से चल रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी हालात देखकर भांप गए कि लोकसभा के लिए कुछ नया ही करना होगा छिन्दवाड़ा के नेता तो लोकसभा में भी “लुटिया” डूबा देंगे। वे जाते- जाते ये भी कह गए कि यह ठीक नही है।
खबर है कि चुनाव परिणाम के बाद इन नेताओ के नाम “भीतर घातियो” की सूची में चढ़ा दिए गए हैं। ये सूची केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व को भी भेज दी गई है। छिन्दवाड़ा में चुनाव केंद्र और प्रदेश दोनो स्तर पर लगातार आब्जर्व किया जा रहा था। जो नेता चुनाव के दौरान छिन्दवाड़ा में थे उन्होंने ही बता दिया था कि पार्टी भीतर घात के खतरे से मुक्त नही है। चुनाव परिणाम आने के बाद जिला भाजपा में इन नेताओं और उनके समर्थकों को लेकर खासी तकरार भी चल रही है। जिले में किसी एक विधानसभा का नही बल्कि सातों विधानसभा क्षेत्रों के हाल यही है।सातों विधानसभा में भीतरघात की रिपोर्ट बनी है। भाजपा का नारा है “सबका साथ सबका विकास” मगर छिन्दवाड़ा में कोई किसी के साथ नही तो पार्टी का “बिकास” भी नही है।