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चौरई की राजनीति में दूसरा बड़ा धमाका, कांग्रेस से बंटी पटेल बागी, निर्दलीय उतरे मैदान में

भाजपा के कमल और कांग्रेस के पंजे के बीच "बंटी पटेल" का ट्रक

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मुकुन्द सोनी ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश- 

छिन्दवाड़ा जिले की विधानसभा चौरई की राजनीति में नाम वापसी के अंतिम दिन दूसरा बड़ा धमाका भी हो  गया है। भाजपा ने यहां पहले ” रमेश दुबे” की जगह “लखन वर्मा” को टिकट देकर भाजपा की राजनीति में “भू – चाल” खड़ा कर दिया था वही अब नामांकन रैली में अजब- गजब की “स्ट्रेंथ” दिखाकर चुनाव मैदान में ताल ठोंकने वाले “बंटी पटेल” ने ” निर्दलीय” मैदान में आकर कांग्रेस की राजनीति में  दूसरा बड़ा “भू- चाल” लाकर “पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ” की मुश्किलें बढ़ा दी है।

छिन्दवाड़ा में भाजपा के  “बंटी साहू” वैसे ही “कमलनाथ” की मुश्किलें बढ़ाए बैठे हैं वही अब कांग्रेस के “बंटी पटेल” भी  चौरई से मैदान में उतरकर नई मुश्किल खड़ी कर गए हैं। उनके कदम से लग रहा है कि चौरई की राजनीति नए करवट में है।कांग्रेस के सुजीत चौधरी और भाजपा के रमेश दुबे को छोड़ यहां की राजनीति नया कलेवर मांग रही है। जिसके अगुआ बंटी पटेल और लखन वर्मा बन गए हैं। बंटी के मैदान में होने से कांग्रेस को बड़ा “झटका” लगा है। अब कांग्रेस के सुजीत चौधरी के लिए राह आसान नही है।  उनके पांच साल के कार्यकाल की कार्य प्रणाली से ही शायद इस बगावत ने जन्म लिया है।

पूरे पांच साल विधायक रहते “सुजीत चौधरी” कांग्रेस कार्यकताओं को ही संतुष्ट नही रख पाए हैं।आरोप है कि  विधायक से बड़े स्तर का तो क्या ” थाना ” तहसील” स्तर तक का कामकाज तक नही निपटा सका था। कार्यकर्ता ही नही आम जंन भी उन्हें समस्या बताकर निराश थे। ऐसे में “बंटी पटेल” कबके “नेता” बन चुके थे इसका आकलन ही कांग्रेस नही कर पाई। टिकट की मांग में “बंटी पटेल” का पलड़ा भारी था मगर कांग्रेस में “खाता ना बही कमलनाथ जो बोले वो सही” की कार्यप्रणाली यहां नया “नेतृत्व” उभरने नही दे रही थी किन्तु अब सब कुछ जनता के हाथ है वही जनता जो “कमलनाथ” को भी “नेता” बनाती हैं।

बंटी पटेल यहां दोनों तरफ के आक्रोश खाए नेताओ के दम पर तीसरा रास्ता अपनाकर विधानसभा के राजपथ की  दौड़ में मैदान में डट गए हैं। लाख मान- मनोव्ववल” के बाद भी उन्होंने अपना ट्रेंड नही बदला नामांकन रैली में जो कहा था वो किया है। उन्होंने यहां टिकट बदलने की मांग के साथ कांग्रेस से ” बी फार्म” मांगा था। अब कांग्रेस के पंजे और भाजपा के कमल के बीच उन्होंने अपना “ट्रक” अड़ा दिया है। बंटी पटेल को “ट्रक” चुनाव चिन्ह मिला है।  किसान आंदोलन के दौरान “एस डी एम” के मुंह मे कालिख पोतने के मामले ने बंटी पटेल को चर्चित किया था। इस मामले में वे रासुका में 9 माह तक जेल में भी रहे थे।

चौरई में उनके मैदान में होने से मुकाबला “त्रिकोनीय” हो गया है।  भाजपा के लखन वर्मा कांग्रेस के सुजीत चौधरी और अब कांग्रेस के बागी ” बंटी पटेल” ने चौरई का मुकाबला रोचक बना दिया है। चौरई में कांग्रेस  के लिए यह पहला मौका है जब उसे “बगावत” का सामना करना पड़ेगा। बंटी की बगावत यहां भाजपा के  “लखन वर्मा” की राह आसान भी कर सकती है।

13 उम्मीदवार मैदान में …

नाम वापसी के बाद चौरई से 13 उम्मीदवार मैदान में है। इनमे  भारतीय लखन कुमार वर्मा, इंडियन नेशनल कांग्रेस चौधरी सुजीत मेरसिंह, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी  ईश्वर सिंह तेकाम, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी  कपिल सोनी, समाजवादी पार्टी लोधी विपिन वर्मा और निर्दलीय  टेकाम, गोपाल सिंह डेहरिया, नीरज ठाकुर (बंटी पटेल), पवनशाह सरयाम, , मसऊद अहमद, रवि, लवकेश डेहरिया, लक्ष्मीनारायण जगन्नाथ सिंह लोधी व विक्रम अपना भाग्य आजमाएंगे। यहां एक मात्र नाम बंटी पटेल की पत्नी प्रियंका पटेल ने अपना नाम वापस लिया है। 2 लाख 18 हजार मतदाता और 272 मतदान केंद्र वाली ग्रामीण बाहुल्य चौरई के पिछले चुनाव में सुजीत चौधरी को 78 हजार 415 रमेश दुबे को 65 हजार 411 वोट मिले थे।रमेश दुबे यह चुनाव 13 हजार 4 वोट से हार गए थे।


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