छिन्दवाड़ा: कांग्रेस से कमलनाथ सहित सातों विधायक फिर चुनाव मैदान में , नही कटा किसी विधायक का टिकट
दूसरी सूची में सभी विधायक रिपीट, छिन्दवाड़ा में कोई फ़ेरबदल नही, मौजूदा विधायको पर ही भरोसा

मुकुन्द सोनी ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
मध्यप्रदेश के चुनावी रण में “छिन्दवाड़ा” से पूर्व मुख्यमंत्री “कमलनाथ” सहित सातों “विधायक” फिर चुनाव मैदान में होंगे। कांग्रेस ने छिन्दवाड़ा में किसी भी नए चेहरे पर “दांव” लगाने का “रिस्क” लिया है ना ही वर्तमान विधायको में से किसी का “टिकट” कट करने का। महिला उम्मीदवारी की “उम्मीद” भी सूची घोषित होने के साथ ही चली गई है। यहां की सात सीट में “एक” भी महिला “उम्मीदवार” नही है।
पिछले चुनाव में जिले की सातों सीट जीत कर छिन्दवाड़ा को “भाजपा मुक्त” का तमगा देने वाले विधायक फिर चुनाव मैदान में भाजपा से “दो – दो हाथ करेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिले की सातों सीट जीतने का मौका “कमलनाथ” के “पी सी सी चीफ” बनने और फिर पी सी सी चीफ से “सी एम” बनने की संभावना को “मुद्दा” बनाने से मिला था। इस मुद्दे पर कांग्रेस सफल भी हो गई थी और सरकार बनाकर 15 महीने “राज” भी कर लिया था। अब इस चुनाव मे फिर “कमलनाथ” को “सी एम” बनाने का मुद्दा तो है ही साथ मे 15 महीने में भाजपा के द्वारा “सरकार” गिरा देना उससे भी बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस के भाजपा से अब भी सवाल यही है कि “हमारी सरकार क्यो गिराई” और हमे काम नही करने दिया। इन सवालों के साथ ही कांग्रेस लगातार जनता के बीच भाजपा पर आरोपों की झड़ी लगाती रही है।
इसी मुद्दे को कांग्रेस अपने लिए “सिद्ध” मान रही है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में पिछले चुनाव से कही बढ़कर वायदे और घोषणाएं भी कर रखी हैं। चुनाव में यह “फेक्टर” काम करेगा या नही यह तो वक्त तय करेगा मगर “टिकट” घोषित” होने के बाद तो “कांग्रेस” छिन्दवाड़ा में तो यही मान रही हैं कि छिन्दवाड़ा की सातों सीट “सी एम फेक्टर” में यू ही निकल जाएगी। शायद इसी वजह से कांग्रेस ने छिन्दवाड़ा और नए पांढुर्ना जिले की सात सीट पर टिकट “रिपीट” कर दिए हैं। पहली सूची में छिन्दवाड़ा से सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री “कमलनाथ” का नाम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने घोषित किया था। जिले से उनका एक मात्र नाम होने से “संशय” था कि कही कांग्रेस जिले की अन्य सीटो में कोई बदलाव तो नही कर रही है। महिला उम्मीदवार के साथ ही नजदीकी नेताओ को सेट करने के फेर में “फेरबदल” यहां अवश्यम्भावी माना जा रहा था किंतु गुरुवार रात को जारी लिस्ट ने वर्तमान विधायको के ” चेहरे” खिला दिए हैं।कमलनाथ भले ही पूर्व सी एम हो गए पर उनका प्रदेश कांग्रेस कमेटी का “अध्यक्ष” होना ही इस बात के लिए बहुत है कि “टिकट” के लिए फैसला उनका ही होगा।
कांग्रेस की प्रत्याशी सूची ने छिन्दवाड़ा – पांढुर्ना जिले की सातों सीट के उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इनमे छिन्दवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सौसर से विजय चौरे, पांढुर्ना से नीलेश उइके, चौरई से सुजीत चौधरी, अमरवाड़ा से कमलेश शाह, जुन्नारदेव से सुनील उइके और परासिया से सोहन वाल्मीकि मैदान में है। कही कोई बदलाव ना फ़ेरबदल ना ही नए चेहरों और दावेदारों को सेट कर पाने का कोई जतन दिखाई दिया है। एक नई बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिन्दवाड़ा कोयला अंचल अंबाडा निवासी अनुसूचित जाति वर्ग के नेता “गुरुचरण खरे” को “पिपरिया” सीट से मैदान में उतारा है।
पिछले चुनाव में सातों सीट जीतकर कांग्रेस ने भाजपा के लिए नगर निगम और जिला पंचायत तक में मौका नही छोड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डाली जाए तो छिन्दवाड़ा विधानसभा का चुनाव पहले दीपक सक्सेना ने 14 हजार 597 वोट से फिर मुख्यमंत्री रहते हुए “उपचुनाव” में कमलनाथ ने 25 हजार 837 वोट से जीता था। इसी तरह अमरवाड़ा में कमलेश शाह 10 हजार 393, चौरई में सुजीत चौधरी 13 हजार 04,सौसर में विजय चौरे 20 हजार 472, पांढुर्ना में नीलेश उइके 21 हजार 349 जुन्नारदेव में सुनील उइके 22 हजार 748 और परासिया में सोहन वाल्मीकि 12 हजार 734 वोट से जीते थे। अब पांच साल बाद पार्टी ने इन विधायको को ही पुनः मैदान में उतारने का फैसला सुना दिया है किंतु जनता के बीच “विधायको” का रिपोर्ट कार्ड क्या है। किसका वोट शेयर बढ़ा या घटा। जनता विधायको के काम से संतुष्ट हैं या असंतुष्ट। इसका फैसला जनता ही अपने वोट से 17 नवम्बर को करेगी। पार्टी के फैसले तो केवल पार्टी तक ही सीमित है। लोकतंत्र में “जनता” का फैसला चलता है। देखना होगा कि जनता के फैसले में कौन खरा उतरता है। फैसले को लेकर ज्यादा वक्त नही है। 21 अक्टूम्बर से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो रही है। नामंकन के बाद 17 नवम्बर को मतदान और 3 दिसम्बर को मतगणना होना है।