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शिवज्ञाता पंडित प्रदीप मिश्रा 9 सितंबर तक छिन्दवाड़ा में -“शिवमहापुराण” कथा पंडाल में उमड़ा आस्था का सैलाब, भारी बरसात में भी पहुंचे लाखो श्रद्धालु

शहर से 15 किलोमीटर दूर सिमरिया धाम में हो रही है कथा, छिन्दवाड़ा में है शिव भक्तों का मेला

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

शिवमहापुराण के ” वेत्ता” और अपनी कथाओं से शिव भक्ति की “अलख” जगाने वाले देश के ख्यातिलब्ध ” कथाकार “पंडित प्रदीप मिश्रा” के मुखारबिंद से कथा सुनने दूसरे दिन सिमरिया हनुमान धाम के कथा पंडाल का  नजारा अजब- गजब था। शहर से 15 किलोमीटर दूर होने के बावजूद “लाखो” की संख्या में “श्रद्धालु” कथा सुनने पहुंचे थे। बड़ी बात यह थी कि दोपहर एक बजे से चार बजे तक कथा का समय है। इस दौरान सुबह 11 बजे से बरसात हो रही थी तो भी श्रद्धालु बरसात की परवाह किए बगैर कथा पंडाल में पहुंचे। कल के मुकाबले आज श्रद्धालुओ की संख्या ज्यादा थी। दो लाख से ज्यादा क्षमता के  वाटर प्रूफ” पंडाल के बाहर भी हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ था।

कथा में आज पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवमहापुराण का महत्व बताते हुए कहा कि “शिव महापुराण से “शिव तत्त्व” की प्राप्ति होती है। शिव तत्व ही जीवन का सार है। भगवान भोलेनाथ “परीक्षा” करते हैं तुम “प्रतीक्षा” करना जीवन के हर कष्ट दूर होंगे। भगवान भोले नाथ भोले है आडम्बर विहीन है। सुगंधा की कथा बताते हुए उन्होंने कहा कि “संतान” प्राप्ति के लिए “श्रावण” मास के पहले सोमवार से ,बीमारी तकलीफ कष्ट दूर करने के लिए “बैसाख” माह के प्रथम सोमवार से और उत्तम घर ,उत्तम वर , व्यापार ,पद प्रतिष्ठा के लिए ” मार्ग शीष के पहले सोमवार से सोलह सोमवार के व्रत का श्री गणेश प्रदोष काल में पूजन के साथ करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पशुपति व्रत में “प्रसाद” के दो हिस्से मन्दिर में और तीसरा हिस्सा स्वयं ग्रहण करना चाहिए। सोलह सोमवार में “प्रसाद”  का एक हिस्सा भगवान भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए। दूसरा भाग भक्तों को वितरित करने के लिए और तीसरा भाग व्रती के लिए होता हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई आपको “उद्यापन” में बुलाता है तो ” प्रसाद” ग्रहण करने जरूर जाना चाहिए।

उन्होंने दैत्य बहुरोमा का व्रतांत सुनाते हुए कहा कि कभी भी शिव मंदिर जा रहे या आ रहे भक्त का अनादर नही करना चाहिए। बहुरोमा शिव मंदिर के बाहर बैठकर अपने पाप काटता था। पहले वह चंद्र वंश का राजा  जय ध्वज था। राजा रहते हुए उसने देवर्षि नारद की उस समय हंसी उड़ा दी थी जब वे शिव मंदिर से “शिवलिंग” पर जल चढ़ाकर लौट रहे थे। उसका ऋषियों से सवाल था कि मैं पहले राजा कैसे था। तब ऋषियों ने बताया कि शिव मंदिर में “सेवा” के प्रताप से तुम ” राजा” बने थे।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भले ही आपकी “प्रशंसा” करने वाले कम हो जाए पर ” निंदा” करने वाले कम नही होना चाहिये। निदा करने वाले ही आपके ” नाम” को ऊपर तक ले जाते हैं। मृत्यु लोक में सबसे ज्यादा निदा भगवान भोलेनाथ की ही की गई है। उन्हें ओघड़दानी, नगनवेषधारी, श्मशान वासी, सर्प धारण करने वाला , विष पान करने वाला और जाने क्या- क्या कहा गया मगर इस पृथ्वी पर आज सबसे ज्यादा “मन्दिर” भगवान भोलेनाथ के ही है।

उन्होंने कहा कि यह छिन्दवाड़ा का बड़ा सौभाग्य है कि यहां ” शिवमहापुराण” हो रही है। कथा कराना किसी ” “राजनेता” के बस की बात नही है। शिवमहापुराण तब ही होती है जब “शिवकृपा” होती है। कथा के “यजमान” पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर उन्होंने कहा कि भगवान का मंदिर भी कोई नही बनवा सकता मन्दिर भी तब बनता है जब भगवान स्वयं चाहते हैं और मन्दिर बनवाने वाले को ” चुनते” है। सिमरिया जैसा मन्दिर और इतनी बडी हनुमान प्रतिमा छिन्दवाड़ा के लिए गौरव है। उन्होंने कहा कि ” कमलनाथ सेवक है छिन्दवाड़ा वासियो के लिए उन्होंने “कथा” का यह आयोजन किया है। उन्होंने मुझे इंदौर में संजय शुक्ला द्वारा आयोजित कथा में छिन्दवाड़ा में कथा का न्यौता दिया था। बहुत व्यस्तता के बावजूद उन्हें कथा आयोजन का मौका मिलना “शिव तत्व” की प्राप्ति है।

तीन घंटे तक लगातार चली कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव कृपा के अनेक वृतांत बताए। अपनी चिर- परिचित शैली में भजन सुनाए और लोगो को शिवभक्ति की प्रेरणा देकर जीवन कल्याण के मार्ग सुझाए। कथा के दौरान शिवभक्ति जीवन के कष्टों से छुटकारा पा चुके भक्तों के पत्र भी उन्होंने कथा में पढ़े और व्यास पीठ में बुलाकर ऐसे भक्तों का “सम्मान” कर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष ” शिवभक्ति” के प्रमाण रखते हुए कहा कि जो कुछ है “भोलेनाथ” है।

पंडाल में पत्र लिखने वाले वे श्रद्धालु भी थे जिन्हें 13 साल बाद शिवकृपा से संतान मिली। विकलांग बालक चलने लगा और लाइलाज हो चुकी शरीर मे “गांठ” की समस्या शिव पुजा से हमेशा के लिए समाप्त हो गई। पंडित प्रदीप मिश्र ने कहा कि सत्संग “तप” से भी बड़ा है। सत्संग का प्रभाव इतना बड़ा है कि पृथ्वी भी रुक जाती है। इसलिए “सत्संग” की महिमा है। उन्होंने कहा कि शिव भक्ति के लिए आपको बार – बार नहाने और कपड़ा बदलने की जरूरत नही है “कलेजा” बदलने की जरूरत है। लोभ मोह काम वासना दुष्प्रवत्ति, तृष्णा, का त्याग करने से “भक्ति” पथ मिलता है।

कथा में यजमान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  “सांसद नकुलनाथ” सहित पूरा कांग्रेस परिवार “श्रद्धालुओ” की सेवा व्यवस्था में लगा रहा। आज श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ने से “कथा पंडाल ” छोटा पड़ गया था। वालियंटर्स ने बरसात में बाहर खड़े श्रद्धालुओ के लिए तीनो पंडाल में व्यवस्था बनाने की भरपूर कोशिशें की। कथा सुनने पुरूषों के मुकाबले तीन गुना महिलाए पंडाल में थी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कथा आरंभ आरती की और छिन्दवाड़ा में बारिश पर खुशी जताई।


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