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परासिया छात्रावास के कुँए में छात्र की मौत, छिंदवाड़ा के आदिवासी विकास विभाग का कोई धनी – धौरी नही

अफसर भृष्टचार में डूबे, चौथ वसूली से अधीक्षक बेलगाम

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♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश –

छिंदवाड़ा के जनजातीय कार्य विभाग की लापरवाही ने फिर एक छात्र की जान ले ली है। विभाग के परासिया – रावनवाड़ा मार्ग पर  स्थित अनुसूचित जाति छात्रावास के कुएं में गिरकर कक्षा नवमी में पढ़ने वाले एक छात्र की दर्दनाक मौत हो गई है। जिस दौरान यह घटना घटी  छात्रावास का अधीक्षक छात्रावास में नही था।

जानकारी के अनुसार छात्रावास में रहने वाला कक्षा नवमी का छात्र मोहित चौकसे छात्रावास में पानी ना होने के कारण छात्रावास में ही बने कुएं में अपने दोस्त के साथ  नहाने गया था। वह नहाने के लिए कुँए में कूदा तो फिर बाहर ही नही आ पाया। कुँए में करीब 20 फिट पानी था। घटना से छात्रावास में हड़कंप मच गया। तत्काल ही घटना की खबर परासिया पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौका मुआयना कर छात्र के शव को कुएं से बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए परासिया अस्पताल भेजा है।

घटना की खबर के बाद अधीक्षक संतोष ठाकुर छात्रावास पहुंचे लेकिन उनके पास कोई जवाब नही था कि जब छात्रावास में बाथरूम है तो फिर छात्र कुँए में नहाने क्यो गया था। यदि छात्रावास की पानी टँकी में पानी नही था तो अधीक्षक को व्यवस्था कराना था कि कुँए में लगी मोटर क्यो नही चल रही थी। व्यवस्था बंनाने की जगह अधीक्षक छात्रावास में ही नही था।

दरअसल जनजातीय कार्य विभाग छात्रावास और आश्रमो की व्यवस्था को लेकर भ्र्ष्टाचार में डूबा है।  हर माह की चौथ वसूली के चलते छात्रावासों के अधीक्षक बेलगाम है। ड्यूटी के लिए छात्रावास में मौजूद नही रहते हैं।  छात्रावास के लिए शासन करोड़ो का फंड देता है लेकिन होता कुछ नही है।  बच्चो के नाम पर विभाग के सहायक  आयुक्त , क्षेत्र संयोजक और अधीक्षक चांदी काटते हैं। हर माह कन्या परिसर में छात्रावास अधीक्षकों की बैठक होती है। इस बैठक में छात्रावास व्यवस्था की बात नही होती बल्कि अधीक्षकों से सीधे धन उगाही होती है। जो अधीक्षक धन नही देता तो फिर उसे कारण बताओ नोटिस, निलम्बन से लेकर विभागीय जांच तक के नोटिस सहायक आयुक्त के कार्यालय से दे दिए जाते हैं। यह बैठक सहायक आयुक्त और क्षेत्र संयोजक बुलाते हैं। जिन पर छात्रावास और आश्रम के  निरीक्षण और व्यवस्था का जिम्मा है। केवल चौथ वसूली के लिए यह बैठक होती है। जिसका परिणाम यह है कि अधीक्षक केवल बजट का ही गोलमाल नही करते बल्कि छात्रावासों को मिलने वाला राशन तक बेच देते हैं।

विभाग के जिले में करीब 11 0 छात्रावास और 65 आश्रम है। जिनमे एस सी औरर एस टी वर्ग के गांव के छात्र –  छात्राए रहते हैं। 50 से 100 सीटर तक ये छात्रावास और आश्रम है। हाल ही में शासन ने छात्रावास में रिपेयरिंग और सामग्री की खरीदी के लिए हर छात्रावास को 5 – 5 लाख का बजट सीधे अधीक्षकों के खातों के दिया था। किसी एक भी अधीक्षक ने ना तो छात्रावास में कोई रिपेयरिंग का कार्य कराया ना ही कोई सामग्री खरीदी है। बस शासन से आया बजट फर्जी – बिल बाउचर लगाकर समाप्त कर दिया है। इसके बाद  फिर  बजट की डिमांड भेज दी है।  छात्रावासों का यह हाल विभाग ने बीमा रखा है। छात्रावासों के प्रभार के लिए अधीक्षकों में लड़ाई इतनी है कि वे जूतमपैजार करने में भी पीछे नही है।

कार्रवाई ना होने से अधिकारियों के हौसले बुलंद ..

जनजातीय कार्य विभाग कलेक्ट्रेट का सबसे भृष्ट लूजर और बदमाम विभाग है। अनेक लापरवाही के सामने आने के बाद भी अफसरों पर कार्रवाई ना होने से यहां अफसर बेलगाम है और व्यवस्था चौपट है। इस छात्र की मौत से पहले छिंदवाड़ा कन्या परिसर में एक छात्रा ने छात्रावास के कमरे में ही फांसी लगा ली थी। जांच के लिए भोपाल से अफसर आए थे लेकिन किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नही की गई। इस मामले में तो एक अफसर ने  सहायक आयुक्त से  रातो रात बैक डेट पर प्रभार बदलने के आदेश तक निकलवा लिए थे।हर्रई के  छात्रावास में चाकू बाजी की घटना, बस स्टैंण्ड के पीछे छात्रावास में गैंगवार, कन्या परिसर की एक छात्रा के गर्भवती होने पर चोरी  छिपे इलाज सहित छात्रावास का राशन बेचने और फर्जी फर्मो से छात्रावास सामग्री खरीदी कर घोटाला करने के मामले दबे पड़े हैं। जिनमे आज तक कोई जांच हुई है ना कार्यवाही। अफसर इसी बात का फायदा उठाकर एस सी एस टी वर्ग के हक का निवाला छीनकर चांदी जे जूते पहने अफसरी बघारने में लगे हैं।


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