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छिन्दवाड़ा में निजी अस्पताल का कारनामा : मौत होते ही अस्पताल से भाग गए डॉक्टर

बाल तोड़ से पीड़ित मरीज की तोड़ दी जिंदगी , ,मानवता हॉस्पिटल ने नही दिखाई मानवता

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

छिन्दवाड़ा सिटी में भी निजी हॉस्पिटल और क्लीनिकों की बाढ़ सी है। पहले सिटी में जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ही थे अब मेंडिकल कालेज में आए 110 से ज्यादा डॉक्टर्स भी छिन्दवाड़ा में अपना हाथ और भाग्य दोनो आजमा रहे हैं।कुछ ने तो निजी क्लिनिक खोल लिया है और कुछ मेडिकल के साथ – साथ निजी हॉस्पिटल में सेवा दे रहे हैं। ऐसे ही डॉक्टर्स का फायदा उठाकर यहां  मेडिकल शॉप चलाने वाले तीन पार्टनर्स ने  सत्कार तिराहे के पास बिल्डिंग किराए पर लेकर एक निजी अस्पताल खोला नाम रखा मानवता हॉस्पिटल लेकिन कोई मानवता दिखाई नही।। इस अस्पताल को खुले तीन दिन ही हुए थे कि यहां एक मरीज की मौत हो गई। मरीज भी ऐसा जिसे कोई गंभीर बीमारी ना थी। वह तो  कूल्हे में हुए बाल तोड़ के इलाज के लिए आया था और यहां उसकी जिंदगी का सिलसिला ही तोड़कर रख दिया गया है। हॉस्पिटल के  डॉक्टर्स ने उसे एक छोटे चीरे वाले ऑपरेशन की सलाह दे दी। मरीज को बालतोड़ की समस्या से मुक्ति पाना था वह तैयार हो गया।

हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर्स ने मंगलवार की रात इस छोटे ऑपरेशन की तैयारी की उसे दवाएं और इंजेक्शन दिया गया। इसके बाद एनेस्थीसिया भी दिया गया और फिर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया किन्तु मरीज मौत की आगोश में समा कर अंजाम तक पहुंच गया। यह खबर जैसे ही मरीज के परिजनों को लगी तो उन्होंने हॉस्पिटल में हंगामा मचा दिया। जैसे ही हंगामा हुआ हॉस्पिटल में मौजूद तीन डॉक्टर और तीन पार्टनर हॉस्पिटल छोड़कर ही फरार हो गए और साथ मे मरीज की फाइल भी ले गए। कोई जवाबदार हॉस्पिटल में था नही परिजनों  ने पुलिस को खबर की। तब पुलिस ने मोर्चा संभाला और मामला जांच में लिया है।

मरीज की मौत कैसे हुई परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन और दवाई देने से मरीज की जान चली गई वो तो सिर्फ बाल तोड़ का इलाज कराने आया था। मरीज का नाम रमेश बोड़खे  बताया गया जो खापाभाट  का निवासी हैं। सवाल यह है कि मरीज शाम सात बजे भर्ती हुआ और रात 9 बजे उसका ऑपरेशन कर दिया गया था। उसकी मौत के एक घण्टे बाद परिजनों को बताया गया कि मरीज  अब दुनिया मे नही है। बताया गया कि परासिया मार्ग पर मोहन नगर षष्ठी माता मंदिर चौक के पास स्थित संजय मेडिकल के संचालक  सहित तीन पार्टनर्स ने मिलकर यह हॉस्पिटल शुरू किया है। अभी स्वास्थ्य विभाग से इसकी अनुमति भी नही मिली है। हॉस्पिटल में तीन डॉक्टर थे जो मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल के है। जिले का स्वास्थ्य विभाग लापरवाह नही बल्कि गले तक भ्र्ष्टाचार में इस कदर डूबा है कि डॉक्टर्स हो या  निजी हॉस्पिटल किसी की भी  लापरवाही पर स्वास्थ्य अधिकारी का मुंह नही खुलता है वो सिर्फ इतना कहने के लिए मुंह खोलते हैं कि मामला हमारे संज्ञान में नही है। फिलहाल पुलिस ने मामला जांच में लेकर मृतक का पोस्टमार्टम कराया है। अब देखना है पुलिस की जांच कहा तक पहुंचती है।


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