अपाहिज पति को पत्नी हाथ ठेला ढकेलते ले गई जुन्नारदेव के सरकारी अस्पताल, काल के बाद भी नही आई 108 एम्बुलेंस
मदद के हाथ बढ़ाने की जगह वीडियो बनाते रहे लोग
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
वह मजदूर अभागा तो था ही “भोपाल” में एक दुर्घटना में उसका एक “पैर” चला गया था। रोजी – रोटी का कोई विकल्प ना था तो उसकी पत्नी और बेटी ही मजदूरी कर किसी तरह घर की गुजर- बसर चला रही थी और इलाज भी। गुरुवार को उसके पैर में असहनीय “दर्द” उठ गया तो पत्नी से रहा नही गया।उसने “108 एम्बुलेंस सेवा” को काल किया घंटे – दो घंटे का इंतजार भी किया लेकिन ” एम्बुलेंस” नही आई तब पत्नी ने पड़ोस में रहने वाले मजदूर का “हाथ ठेला” उधार मांगा और पति को ठेले पर लिटाकर स्वयं ठेला सड़को पर “धकेलते” हुए जुन्नारदेव अस्पताल पहुंच गई।
मामला छिन्दवाड़ा जिले की दूसरी सबसे बड़ी तहसील जुन्नारदेव का है यह आदिवासी विधानसभा क्षेत्र भी है यहां गरीबो के मसीहा कहे जाने वाले नेता भी है। फिर भी महिला को कोई मदद ना मिली। बड़ी बात तो यह है कि यहां एक नही दो नही तीन- तीन एम्बुलेंस वाहन प्रदेश सरकार की एम्बुलेंस सेवा में है। सेवा का स्लोगन है कि “काल” करते ही एम्बुलेंस होगी आपके द्वार”
सेवा है तो इसका पालन कराने की जवाबदारी भी सरकारी नुमाइंदों की होती है चाहे वे चुने हुए “जनप्रतिनिधि” हो या फिर अधिकारी- कर्मचारी किन्तु सब जानते हैं गरीबो का कोई मददगार नही होता अपने किसी समर्थक की मदद कर गरीबो की सेवा का ढोल जुन्नारदेव ही नही पूरे जिले में बजता है। गरीब के काम यहां गरीब ही आता है भला हो उस हाथ ठेला के चालक का की कम से कम तत्काल उसने अपना ठिलिया दे दी। सवाल स्वास्थ्य सेवाओं का है तो वह कल भी भगवान भरोसे थी आज भी भगवान भरोसे है। भले ही सरकार लाखो नही करोड़ो का बजट खर्च कर देवे।
मामला जुन्नारदेव शहर का ही है किसी दूरस्थ गांव का नही कि कोई सुविधा उपलब्ध नही है। यहां वार्ड नंबर- 11 में रहनी वाली गीता नागवंशी अपने पति हेमंत नागवंशी को अपने घर से तीन किलोमीटर दूर स्थित जुन्नारदेव अस्पताल “ठिलिया” में लिटाकर अपने हाथों से “ठेला “खींचते” हुए पहुंची थी। सोशल मीडिया के इस जमाने मे लोग उसकी मदद के लिए “आगे” आने की जगह केवल वीडियो बनाने तक ही सीमित रह गए।
बताया गया कि गीता का पति हेमंत भोपाल में मजदूरी करता था। एक दुर्घटना में एक पैर कट गया घाव की जगह “गैंगरीन” हो गया था। तकलीफ बढ़ते जा रही थी और अब गीता के उसे हाथ ठेले में डालकर अस्पताल पहुंचने से यह एक बार फिर साबित हो गया है कि “गैंगरीन” का शिकार वह नही “मानवता” भी है। मजदूर का बेटा भी है जो घर से बाहर मजदूरी के लिए गया था। एक बेटी भी है जो माँ के साथ हाथ बटाने के लिए मजदूरी पर जाती हैं।
इस मामले में जुन्नारदेव के बी एम ओ ने कहा है कि “108 एम्बुलेंस” भोपाल कंट्रोल रूम से आपरेट होती है। महिला के ” काल” के बाद भी क्यो नही पहुंच पाई देखना होगा। मरीज को भर्ती कर उपचार किया गया और जिला अस्पताल छिन्दवाड़ा ले जाने के लिए भी कहा गया है।