तीन माह से ठप्प है छिन्दवाड़ा जिला पंचायत का काम – काज, सी ई ओ की कार्यप्रणाली पर सवाल
बंद है वित्तीय भुगतान, मनरेगा और वित्त आयोग के काम बंद, आदिवासी गांवों से मजदूरों का पलायन

जिला पंचायत सदस्यों में बढ़ रहा आक्रोश
अध्यक्ष संजय पुन्हार ने प्रभारी मंत्री राकेश सिंह को लिखा पत्र
♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश –
छिंदवाड़ा – पांढुर्ना जिले की त्रिस्तरीय पंचायत राज की सर्वोच्च संस्था ” जिला पंचायत” का काम – काज पिछले तीन माह से ठप्प पड़ा है। जिला पंचायत में बतौर सी ई ओ “अग्रिम कुमार ” की पदस्थापना के बाद से ये हालात बने हुए हैं। जिला पंचायत में पर्याप्त बजट होने के बावजूद यहाँ सभी तरह के भुगतान बंद है। पंचायत को लेकर सी ई ओ कोई फैसला लेने की स्थिति में नही दिखते हैं। जिसका परिणाम है कि उनके दफ्तर में भुगतान के लिए फाइलों का अंबार लग रहा है। सी ई ओ ना कही दौरे पर जाते हैं ना ही बैठकों और निरीक्षण से उनका कोई वास्ता लगता है। जिला पंचायत में अधिकतम कार्य वित्त आयोग और मनरेगा के है। तीन माह से दोनों के काम बंद है। अकेले मनरेगा में ही जिले की 11 जनपदों की 854 ग्राम पंचायतों में ढाई लाख से ज्यादा मजदूर पंजीकृत है। मनरेगा में गांवों में काम बंद होने से जिले में मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है। पलायन के हाल ये है कि जिले के आदिवासी अंचलों के गांव खाली हो गए हैं। इसके बावजूद पंचायत को अपनी जवाबदारी समझ नही आ रही है।
कहने को अग्रिम कुमार आई ए एस है परिवीक्षा अवधि में यहां पदस्थ है लेकिन काम – काज के मामले में फिस्सडी साबित हो रहे हैं। भाजपा की केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार आदिवासी उत्थान के लिए ग्रामीण बजट बढ़ा – बढ़ा कर जिलों को दे रही है लेकिन यहां हालात ये है कि पंचायत के अफसरो की लापरवाही से सरकार की मंशा पर ही पानी फिर रहा है।
जिला पंचायत में काम काज ना होने से जिला पंचायत सदस्यों में भी आक्रोश है। पंचायत के सदस्यों से मिलना भी “सी ई ओ” पसंद नही करते हैं। इस मामले में तो जिला पंचायत के “अध्यक्ष” संजय पुन्हार ने परेशान होकर जिले के प्रभारी मंत्री “राकेश सिंह” के समक्ष छिंदवाड़ा जिला पंचायत की स्थिति को रखते हुए पत्र भी लिख दिया है। जिसमे उन्होंने तत्काल एक्शन, कार्रवाई और सुधार की अपेक्षा “प्रभारी मंत्री” से की है।
जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुन्हार ने प्रभारी मंत्री राकेश सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि जिला पंचायत छिन्दवाडा में समस्त प्रकार के वित्तीय मामले विगत तीन से राशि उपलब्ध होने के उपरांत भी लम्बित है। वित्तीय मामले से संबंधित नस्तियों का मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के चेम्बर में अम्बार लगा हुआ है। किन्तु मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नस्तियां पर स्वीकृति और भुगतान की कार्यवाही यथा समय में नही कर पा रहे हैं। जिससे परेशानी बढ़ रही है। इस कार्यप्रणाली से जिला पंचायत सदस्यों में आकोश है।
शासन ने वित्त आयोग की राशि माह अप्रैल 2024 में ही जिला पंचायत को दे दी है लेकिन अनुमोदन उपरांत भी बिलो के भुगतान अब तक लम्बित है। कार्यालयीन खर्च, वाहन खर्च, डीजल खर्च, आदि के भुगतान भी जिला पंचायत में रुके हुए हैं। जिससे बेन्डरो को भी बेवजह परेशानी उठानी पड़ रही है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कार्यालय में उपलब्ध नही रहते है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से जिला मुख्यालय आनी वाली जनता और जनप्रतिनिधियों में खासा रोष व्याप्त है।
मनरेगा परिषद व्दारा जिले में चल रहे निर्माण कार्यों की मटेरियल भुगतान की राशि शासन स्तर से जिला पंचायत को जारी कर दी गई है। इसका भुगतान रोककर मनरेगा का काम ही बंद कर दिया गया है। जिससे जिले के आदिवासी अंचलों में बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है। जिला पंचायत स्तर पर व्याप्त लापरवाही के कारण जिले के ग्रामीण अंचलों में निर्माण कार्यों की गति प्रभावित हो रही है। इस संबंध में वेंडरो व्दारा लगातार शिकायते प्राप्त हो रही है।
जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुन्हार ने प्रभारी मंत्री से जिले के हित में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए जिला पंचायत में समस्त प्रकार के वित्तीय मामले की नस्तियों का यथा समय में लम्बित भुगतान कराये जाने की मांग रखी है। ताकि जिले में पंचायत राज का कार्य सुचारू रूप से चल सके।