आचार संहिता में शराब दुकान की परमीशन : गड़बड़ है आबकारी विभाग का मामला, आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन
पदम् काम्प्लेक्स की दुकान को कुंडीपुरा में शिफ्ट करने का मामला, 48 वे दिन भी जारी रहा क्षेत्रवासियों का धरना
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
जिला प्रशासन ने आचार संहिता में शराब दुकान शिफ्टिंग की अनुमति दे दी है। आबकारी विभाग के प्रतिवेदन पर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने अनुमति का यह आदेश जारी किया है। मामला छिन्दवाड़ा- सिवनी नेशनल हाइवे पर रेलवे स्टेशन के पास पदम् काम्प्लेक्स में स्थित शराब दुकान का है। जारी आदेश के अनुसार लाइसेंसी स्मोकिन लिकर प्रा. लि. डायरेक्टर नंदराम कुशवाह कम्पोजिट मदिरा दुकान-मालधक्का और स्टेशन रोड को कम्पोजिट मदिरा दुकान-मालधक्का का स्थान परिवर्तन कर सुनीता चौरसिया पति चुन्नू चौरसिया के स्वामित्व एवं अधिपत्य के प्रस्तावित स्थल पदम कॉम्प्लेक्स सिवनी रोड में स्थित दुकान का स्थान बदलकर नीरज सिंह ठाकुर पिता इन्दर सिंह ठाकुर के स्वामित्य एवं अधिपत्य के प्रस्तावित स्थल-कुण्डीपुरा थाने के सामने स्थित भू-खण्ड में 2250 वर्गफुट पर बने टीन में स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई है। यह अनुमति 2 मई 2024 को जारी की गई है जबकि अभी 6 जून तक लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील है।
जिला प्रशासन के इस आदेश के बाद नए शिफ्टिंग स्थल कुंडीपूरा थाना के सामने की वसीकत में आक्रोश भड़क गया है। यहां आवासीय बस्ती में शराब दुकान को अनुमति दी गई है। जहाँ दुकान खोली जा रही है वहा दोनो तरफ आवासीय मकान और बीच मे खाली भूखंड है। इस भूखंड पर ही यह शराब दुकान बनाई गई है। खास बात यह है कि दुकान पहले बनाई गई और अनुमति का आवेदन बाद में लगाया गया है। क्योंकि दुकान बनने के दौरान ही क्षेत्रवासियो ने स्थल पर आंदोलन धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। क्षेत्रवासियों के धरना का आज 48 वा दिन है। क्षेत्रवासियों ने 28 मार्च 2024 से ही आंदोलन शुरू कर दिया था और जिला प्रशासन ने 2 मई 2024 को अनुमति जारी की है। दोनो के बीच 34 दिन का अंतर है।
दुकान अनुमति जारी करने के पहले आबकारी विभाग ने किसी तरह की जनसुनवाई नही की है ना ही क्षेत्र में जन अभिमत की कोई रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत आवेदन में पेश की है। लगता है इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी ने कलेक्टर को भी गुमराह किया है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि कुंडीपूरा के पुराना थाना के सामने आवासीय बस्ती है। यहां आई टी आई, कोचिंग सेंटर, नर्सिंग कालेज के साथ ही करीब पांच सौ घरों की बड़ी बस्ती है। जब पूरी बस्ती विरोध में है तो फिर कैसी परमीशन। दूसरा यह है कि यह नेशनल हाइवे रोड है। जिस पर शराब दुकान की अनुमति नही दी जा सकती है। इसके बावजूद आबकारी विभाग नियम विरुद्ध यहां शराब दुकान खुलवाने पर आमादा है।
हाई कोर्ट ने मांगा जवाब ..
इस मामले में आंदोलनरत क्षेत्रवासियों ने हाई कोर्ट जबलपुर में जनहित याचिका प्रस्तुत की है।। उनकी याचिका को हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले में शासन से 20 मई तक जवाब मांगा है।
कांग्रेस ने दिया आंदोलन को समर्थन ..
शराब दुकान खोलने के विरोध में 48 दिन से चल रहे आंदोलन का भाजपा नेताओं ने कोई संज्ञान ही नही लिया है। इस मामले में भाजपा का कोई नेता अब तक क्षेत्रवासियों से मिलने भी नही पहुंचा है। वही शराब ठेकेदार के कांग्रेसी होने के बावजूद जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, सस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आनंद बक्शी और नगर कांग्रेस अध्यक्ष पप्पू यादव सहित अन्य नेताओं ने मौके पर पहुंचकर आंदोलनकारियों से मुलाकात कर उनकी शराब दुकान हटाने की मांग को जायज बताते हुए आंदोलन का समर्थन किया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जिला प्रशासन अनुमति रद्द करे अन्यथा कांग्रेस क्षेत्रवासियों के साथ उग्र आंदोलन को मजबूर होगी। जिला कॉंग्रेस कमेटी अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे ने कहा कि क्षेत्र में आधा किलोमीटर के दायरे में चार – चार शराब दुकान है। आबकारी के पास कोई नियम कानून है क्या नही वही नेशनल हाईवे पर तो शराब दुकान परमीशन देने का प्रावधान ही नही है।