छिंदवाड़ा मंडी में बदहाली : शेड में व्यापारी – सड़क पर किसान, बरसात में बह गया लाखो का मक्का
मंडी प्रबंधन की लापरवाही से किसानों का लाखों का नुकसान
♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिंदवाड़ा मंडी की बदहाली ने एक बार फिर किसान को कही का नही छोड़ा है। किसान मंडी आया तो था कि मक्का बेचकर फसल की लागत के साथ कुछ मुनाफा कमा लेगा। लेकिन यहां अचानक बरसात से मक्का बिकने लायक ही नही रहा। सड़क पर ढेर लगाने से दर्जनों ढेर मक्का ऐसे बह गया जैसे कोई कचरा – काड़ी बह रहा हो।
छिंदवाड़ा की कुसमैली स्थित कृषि उपज मंडी में शुक्रवार की दोपहर अचानक बारिश के दौरान नीलामी के लिए किसानों का लाया लाखो का मक्का पानी मे बह गया है। दरअसल यहाँ के तीन बड़े नीलामी शेड में व्यापरियों का खरीदा माल भरा था। मक्का लेकर आए किसान शेड के बाहर सड़क पर मक्का का ढेर लगाकर व्यापरियों के बोली लगाने का इंतज़ार कर रहे थे। अचानक बारिश आने से मक्का के ढेर भीगे नही बल्कि बह गए।
बारिश इतनी तेज थी कि इस दौरान किसान कुछ नही कर पाए। किसानों का लाखो का नुकसान हो गया है। सड़क पर ढेर लगाने की मजबूरी तब होती है जबकि मंडी के शेड में जगह ना हो किन्तु मंडी में तो यह रोज का ही आलम है। यहां मक्का के एक दो नही बल्कि दर्जनों ढेर बह गए हैं। मंडी में शुक्रवार को मक्का की आवक 400 टन से ज्यादा की बताई गई है। जो मंडी शेड के बाहर पड़ा था।
मंडी में शेड किसानों के लिए ही बनाए गए हैं कि किसान मंडी में कॄषि उपज बेचने आए तो उपज सुरक्षित रख सके और सही दाम पर ना बिके तो किसान शेड में ही उसे रखकर दूसरे दिन बोली में शामिल हो सके किन्तु छिंदवाड़ा की मंडी में हाल इसके उलट है। व्यापारी जो माल खरीदते हैं उसका स्टॉक शेड में करते हैं और किसान जो 60 – 60 किलोमीटर दूर से मंडी आता है वह शेड में जगह ना होने से शेड के बाहर उपज रखने को मजबूर होता है।
मंडी बोर्ड छिंदवाड़ा की कुसमैली मंडी में शेड सहित अन्य व्यवस्था बनाने के लिए अब तक दो सौ करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च कर चुका है। यहां तीन बड़े शेड की लागत ही करीब डेढ़ सौ करोड़ की है। मंडी बोर्ड ने किसानों की सुविधा के लिए शेड बनाए हैं। यहां व्यापरियों के लिए दुकान – गोदाम बनाकर दिए गए हैं। कायदे से व्यापारी को उपज खरीदने के बाद अपने गोदाम में स्टॉक करना चाहिए। शेड व्यापारी के लिए है ही नही।
मंडी में शेड अवैध कमाई का बड़ा जरिया बने हुए हैं। बताया गया कि यहां मंडी के अधिकारी- कर्मचारी ही मंडी शेड को किराए पर चला रहे हैं। व्यापरियों का माल शेड में स्टॉक कराकर वे व्यापारियों से मोटा किराया वसुलते है। व्यापारी यहां शेड में ही रोज का खरीदी उपज का स्टॉक करता है और 8 – 10 ट्रक माल इकट्ठा होने के बाद यही पाला कर माल ट्रक में भरावाकर बाहर भेजता है।
सवाल है कि मंडी के इन हालातों का जवाबदार कौन है। मामूली बात पर बार – बार हड़ताल की धमकी देने वाला व्यापारी मंडल, मंडी प्रबंधन या फिर मंडी में चल रही भर्राशाही। देखना होगा कि जिला प्रशासन मंडी में मक्का बहने से बर्बाद किसान के नुकसान की भरपाई के लिए क्या एक्शन लेता है।