छिन्दवाड़ा के सबसे बड़े “पेंच माचागोरा बांध” में उतरकर प्रभावित ग्रामीणों ने किया “जल सत्याग्रह”
मुआवजा, पुनर्वास सहित रखी अनेक मांगे
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश
जिले की चौरई तहसील में पेंच नदी पर बने जिले के सबसे बड़े बांध माचागोरा के डूब “प्रभावितों” और “विस्थापितो” की समस्या के “समाधान” की दिशा में जिला प्रशासन ने सही कदम नही उठाए हैं। मुआवजा और पुनर्वास सहित अन्य मांगे यहां लंबित हैं। इसको लेकर बांध के डूब प्रभावित क्षेत्र ग्राम पंचायत “केवलारी” में किसान संगठन ने “जल सत्याग्रह” कर अपने हक की आवाज बुलंद की है। यहां ग्रामीणों ने बांध के पानी मे उतरकर “पांच” घंटे से ज्यादा समय तक पानी मे रहकर अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए और एक बार फिर अपनी मांगे रखी है।
इस “जल सत्याग्रह” में पंचायत के किसान सहित महिलाएं भी अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बांध के पानी मे उतर थी। किसान नेता शिव पटेल ने कहा कि “केवलारी” की समस्याओं को लेकर चौरई तहसील मुख्यालय में धरना – प्रदर्शन कर रैली के दौरान “एस डी एम” ने एक सप्ताह की अवधि में समाधान का आश्वासन दिया था किंतु आज एक साल बीतने के बाद भी समस्या जस की तस है। ग्रामीणों का कहना है कि बांध का पानी खेतो में भर जाने से यहां किसान खेती नही कर पा रहे हैं। ग्रामीणों के पास “रोजगार” के लिए “कृषि” के अलावा कोई विकल्प नही है। यहां ना कोई उद्योग – धंधे है ना ही कोई सरकारी प्रकल्प। बांध बनने के बाद हाल ये है कि बांध से “मछली” मारने तक का ठेका दूसरी कम्पनियों को दे दिया गया है। यहां बिजली उत्पादन की “यूनिट” बनना था वह भी आज तक नही बनी है। ग्रामीणों के पास “रोजगार” के अवसर ही नही है। पुनर्वास क्षेत्र के गांव में तीन तरफ से बांध का पानी है।
माचागोरा बांध के डूब क्षेत्र में 33 गांव आते हैं । अब तक जलाशय से 31 ग्राम प्रभावित हैं। वर्तमान स्थिति के अनुसार तीन गांव ,धनोरा,भूला, बाराहबिहारी पूरी तरह जलमग्न हैं अन्य 14 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हैं। 13 ग्रामों की मात्र भूमि प्रभावित है। करीब ढाई हजार परिवार यहां प्रभावित है। प्रभवितो की न्यायोचिय मांगो पर जिला प्रशासन को विचार करना होगा।
ये रखी प्रमुख मांगे..
ग्रामीणों ने “जल सत्याग्रह ” कर प्रशासन के समक्ष अपनी मांगे रखी है इनमे-
- भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार चार गुना मुआवजा।
- सरदार सरोवर बांध की तर्ज पर विशेष पैकेज ।
- पुनर्वास शहर के किनारे करने।
- बांध से मत्स्य पालन एवं मछली का ठेका प्रभावित ग्रामों की समिति को देने।
- लंबित भू-अर्जन प्रकरन में अपीलीय प्रकरणों को वापिस लेकर को फरियादी किसानों को मुआवजा देने।
- कलेक्टर स्तर की समस्या को प्रभावित किसानों और जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाकर तत्काल निराकरण करने।
- पेंच थर्मल पावर के लिए अडानी द्वारा ली गई जमीन को किसानों को वायस स्वामित्व देने की मांग आंदोलन में रखी गई है।
जल सत्याग्रह आंदोलन में सरपंच संघ जिलाध्यक्ष परसराम वर्मा, ,मूलचंद साहू , राजकुमार वर्मा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। ग्रामीणों का कहना था कि यदि प्रशासन ने समस्या समाधान नही किया तो 27 सितम्बर को मुख्य बांध में “जल सत्याग्रह होगा। राजनीतिक दलों को भी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि ग्रामीणों की समस्या के समाधान के बिना चुनाव में सहयोग की उम्मीद ना करे।