डेम में जहर उगल रहा बंन्द कोयला खदानों का पानी, न्यूटन नगर पंचायत में भड़का जनाक्रोश
प्रदूषित जल आपूर्ति बनी मुद्दा, अब तक नगर पंचायत ने नही दिया ध्यान, लोकस्वास्थ्य को खतरा
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
बंन्द कोयला खदानों का दूषित पानी नगर पंचायत न्यूटन की जल आवर्धन योजना के लिए संकट बन गया है। नगरवासी खदानों का यह दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। लंबे समय से हो रही इस दूषित पानी की वजह से अब न्यूटन नगर का ” लोक स्वास्थ्य” प्रभावित है। अनेक शिकायत के बावजूद जब नगर पंचायत प्रबन्धन ने व्यवस्था नही सुधारी तो नगरवासियों ने नगर पंचायत कार्यालय का ही घेराव कर दिया और नगर पंचायत की अध्यक्ष सहित सी एम ओ से जवाब मांगा है।
करीब 15 हजार की आबादी और 15 वार्डो वाली इस नगर परिषद की जल आवर्धन योजना पेंच नदी पर “जाटाछापर” में बने डेम पर आधारित है। इस डेम में लंबे समय से आस- पास के नालों सहित वेकोलि की बंन्द खदानों का ” कोल डस्ट” से युक्त पानी जा रहा है। यही पानी नगर परिषद के फिल्टर प्लांट से होकर न्यूटन पहुंच रहा है। लोगों का कहना है कि फ़िल्टर के बाद भी पानी इतना गंदा है कि पीने तो क्या निस्तार के काम का भी नही है। डेम में एक नही बल्कि न्यूटन से लेकर चांदामेटा तक बंन्द पड़ी करीब पांच खदानों का पानी जा रहा है। वेकोलि ने खदानें बंन्द तो कर दी लेकिन फिर कभी पलट कर खदानों की तरफ नही देखा है। अब इन खदानों में पानी भर गया है और यही पानी बहकर डेम तक जा रहा है। इसके साथ ही डेम में चांदामेटा सहित आस- पास के नालों का पानी भी जा रहा है।
नगर पंचायत की जल आवर्धन योजना के आधारभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए तैयार एक दशक पहले ही करीब 10 करोड़ का मेगा बजट खर्च किया गया है। इस बजट से ही डेम, फिल्टर प्लांट, पानी टँकी, पाइप लाइन का जाल बिछाया गया है किंतु पानी का स्त्रोत ही प्रदूषित होने से यहां ” जल आवर्धन योजना” फ्लॉप शो हो गई है। अब हालात यह है कि जल आवर्धन योजना का “स्ट्रक्चर” तो है मगर पानी नही।
सवाल यह है कि जब स्त्रोत का पानी ही प्रदूषित है तो फिर नगर पंचायत कहा से लोगो को शुध्द पानी उपलब्ध कराएगी। इसको लेकर नगर पंचायत में नया संकट खड़ा हो गया है। इस सबंध में सी एम ओ अजय ठाकरे के कहना है कि डेम का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। अब नगर पंचायत वैकल्पिक स्त्रोत के विकल्प पर कार्य कर रही है। इसमें डेम के किनारे के कुंआ सहित वार्डो के कुँए से जल आपूर्ति की योजना है। एक सप्ताह में इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके अलावा वेकोलि की मदद से बंन्द खदानों का पानी डेम में जाने से रोकने के लिए भी करवाई की जाएगी।