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जल संसाधन विभाग जबरन छीन रहा था जमीन ,अमरवाड़ा के गाडरवाड़ा में किसान ने पिया जहर

गाडरवाड़ा जलाशय के लिए भू - अर्जन करने गई थी प्रशासन की टीम

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कार्यपालन यंत्री, एस डी ओ और टी आई ने किसान को धमकाया

“कहा जमीन खाली नही की तो जेल में ठूंस देंगे”

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

गाडरवाड़ा जलाशय के डूब क्षेत्र में आ रहे एक किसान के खेत की जमीन को जबरिया अधिगृहित करने के विरोध में किसान ने जहर पीकर आत्महत्या की कोशिश की है। किसान को गंभीर अवस्था मे अमरवाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मंगलवार को जल संसाधन, राजस्व और पुलिस की टीम जलाशय के लिए जमीन अधिग्रहण करने मौके पर गई थी। इसी दौरान किसान ने अपनी जमीन खोने के डर से जहर पी लिया।

छिन्दवाड़ा जिले के अमरवाड़ा में जल संसाधन विभाग ” गाडरवाड़ा” में जलाशय बना रहा है। इस जलाशय से 104 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य है लेकिन जलाशय के डूब क्षेत्र में 90 एकड़ जमीन डूब में आ रही है। डूब क्षेत्र की जमीन का अधिग्रहण ना होने से जलाशय का निर्माण रुका पड़ा है। जलाशय की निर्माण लागत 6 करोड़ 66 लाख की है। डूब में आ रही जमीन के लिए अवार्ड पारित किया गया है ना ही मुआवजा तय हुआ है। इसके बिना ही विभाग बिना क्लियरेंस जलाशय का निर्माण कर रहा है।

जलसंसाधन विभाग के अधिकारी मंगलवार को यहां  जमीन अधिग्रहण के लिए राजस्व और पुलिस विभाग की टीम को लेकर मौके पर गए थे। इस दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने एक किसान मुकेश पिता चंदर यादव को धमकाया कि जमीन खाली कर दो नही तो जेल भिजवा देंगे। बस फिर क्या था किसान ने तत्काल टीम के सामने ही जहर पी लिया। किसान का कहना था कि उसके पास मात्र दो एकड़ जमीन है। परिवार में 11 सदस्य हैं। रोजी – रोटी का साधन केवल यह दो एकड़ का खेत है। वह अपना खेत डूब में नही देना चाहता है।

गांव में गाडरवाड़ा जलाशय के निर्माण को लेकर विरोध पहले से कायम है। यहाँ 104 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए 90 एकड़ जमीन के डूब में आने का प्रस्ताव ग्रामीणों को मंजूर नही है फिर भी जल संसाधन विभाग यहां जबरिया जलाशय बनाने पर तुला हुआ है।केवल एक नही बल्कि गांव के सभी किसान इस जलाशय को बनाने से मना कर चुके हैं।इसके विरोध में ग्रामीण कई बार धरना –  प्रदर्शन कर चुके हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि अमरवाड़ा का गाडरवाड़ा गांव  प्रदेश सरकार की बड़ी  “शक्कर नदी लिंक परियोजना” में शामिल हैं। यहां नहर से सिंचाई के लिए पानी आना है। शक्कर लिंक परियोजना का कार्य चल रहा है तो फिर गाडरवाड़ा में जलाशय का कोई औचित्य नही है।फिर जल संसाधन विभाग क्यो जलाशय बनाने पर उतारू है।जलाशय बनने से किसानों को फायदा कम नुकसान इस बात का है कि उनके खेत ही डूब क्षेत्र में चले जाएंगे तो सिंचाई कहा करेंगे। ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के रवैय्ये का विरोध जताया है। किसान का आत्महत्या के लिए कदम उठाना ही बता रहा है कि ग्रामीण जमीन देने तैयार नही है। यहां रोजी – रोटी का एक मात्र साधन कृषि ही है। डूब क्षेत्र के नाम पर वही छीन ली जाएगी तो फिर किसान कहा जाएगा। विभाग ने जलाशय की योजना तो बना ली है लेकिन प्रभावित होने वाले किसानों के लिए कोई योजना नही बनाई है। भू ; अर्जन कानून का एक पहलू यह भी है कि किसान की मर्जी के बगैर उसकी जमीन का अधिग्रहण नही किया जा सकता है।

पीड़ित किसान मुकेश यादव का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण के लिए जल संसाधन विभाग की कार्यपालन यंत्री कुम कुम कौरव, एस डी ओ बोरकर और अमरवाड़ा टी आई ने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया और जेल में ठूसने की धमकी दी थी।

इस मामले में प्रशासन ने अपना बचाव किया है। ए डी एम के सी बोपचे ने कहा है कि किसान ने पारिवारिक विवाद में शराब के साथ कीटनाशक का सेवन किया है। किसान की एम एल सी रिपोर्ट से यह पता चला है। मौके पर किसान ने ऐसा कोई विरोध नही किया था।

 


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