छिन्दवाड़ा-सागर के बिना छिन्दवाड़ा नही बनेगा रेलवे का बड़ा जंक्शन
केंद्र सरकार को देना ही होगा मंजूरी
मेट्रो के जमाने मे छिन्दवाड़ा को पैसेंजर भी नसीब नही….
तीन रूट पर दौड़ती केवल चार ट्रेन…
-मुद्दे की बात मुकुन्द सोनी के साथ-
छिन्दवाड़ा-
किसी शहर से जब चौतरफा रेल लगातार दौड़ती है तब वह कहलाता है रेलवे का बड़ा जंक्शन और छिन्दवाड़ा तब तक बड़ा जंक्शन नही बन सकता जब तक कि केंद सरकार छिन्दवाड़ा-सागर नई रेलवे परियोजना को मंजूरी नही दे देती हैं यह परियोजना वर्ष 2017 में सर्वे के बाद से रेल मंत्रालय की पिंक बुक में दर्ज है बस बजट मंजूरी के लिए अटकी पड़ी है तो क्या सरकार आने वाले फरवरी माह के रेल बजट में इसे बजट सहित स्वीकृति देगी…?
वर्तमान रेल सुविधा पर नजर दौड़ाई जाए तो उम्मीद थी कि इटारसी के बाद मध्यप्रदेश में छिन्दवाड़ा रेलवे का दूसरा बड़ा जंक्शन बनेगा किन्तु ऐसा-वैसा कुछ हुआ नहीं है हालात इसकी गवाही दे रहे हैं छिन्दवाड़ा की जनता जागरूकता का परिचय देती नही है और राजनीति श्रेय के मोहपाश को तोड़ नही पाती है परिणाम मेट्रो के जमाने मे छिन्दवाड़ा को पैसेंजर भी नसीब नही है छिन्दवाड़ा-नागपुर ट्रेक को बनने में 12 साल लग गए और छिन्दवाड़ा -मंडला फोर्ट का ट्रैक पिछले 7 साल से बन ही रहा है छिन्दवाड़ा -नैनपुर तक ट्रेक बन गया है किंतु रेल सेवा ट्रेन टाइमिंग घोषित हुए चार माह बीतने के बाद भी शुरू नही हो पाई है नाम मात्र की ट्रेन सेवाए जिले के खाते में है जबकि वर्ष 1902 में अंग्रेजो के जमाने मे ही छिन्दवाड़ा में छिन्दवाड़ा-नागपुर नेरोगेज सेवा शुरू हो चुकी थी 1902 से रेल का सफर देखे तो 120 साल बीतने के बाद भी हालात ज्यादा बदले नही है बस नेरोगेज ट्रेक ब्राड गेज में बदला है रेल देश की धड़कन है लेकिन छिन्दवाड़ा में इतने धीरे धड़क रही है कि जिंदा होने का अहसास भी जाने को हैं रेल जनमानस को सस्ती दर पर यात्रा और माल परिवहन के साथ हर उस जिले की किस्मत की चाबी है जो विकास की नई इबारत लिखने को बेताब हैं देश के सैकड़ों शहरों की किस्मत रेल ने चमका दी है पर छिन्दवाड़ा की किस्मत कब चमकेगी यह सवाल अब भी बना हुआ है देश के हर छोटे-बड़े शहर में रेल सुविधा विस्तार केंद सरकार की प्राथमिकता में है फिर भी शायद छिन्दवाड़ा ही एक मात्र ऐसा जिला है जो उपेक्षित से कभी अपेक्षित जिला नही बन पाया है छिन्दवाड़ा कहलाता बड़ा जिला है लेकिन यहां से केवल तीन रूट पर दौड़ती केवल चार ट्रेन है इनमे नागपुर ट्रेक पर दो लोकल , भोपाल -इंदौर ट्रेक पर पेंचव्हेली, दिल्ली के लिए पातालकोट एक्सप्रेस का सफर है छिन्दवाड़ा-जबलपुर ट्रेक निर्माण के चलते सात साल से बंद है चौथा रुट छिन्दवाड़ा-सागर का है जो कब बनेगा मालूम नही है
पूरे बुंदेलखंड का होगा विकास..
* यदि छिन्दवाड़ा-सागर रेल लाइन बनती है तो पूरे बुंदेलखंड का विकास होगा छिन्दवाड़ा – नरसिंहपुर के साउथ रेल मार्ग से जुडऩे से परियोजना की लागत मात्र 5 साल में ही वसूल हो जाएगी
* रेल लाईन बनने से इस क्षेत्र के विकास का नया रास्ता खुलेगा जो क्षेत्र के दर्जनभर जिले को नई गति देगा।
* सागर – देवरी-करेली-छिंदवाड़ा रेल लाईन बनने से नरसिंहपुर से 12 घंटे की दूरी वाला नागपुर मात्र 3 घंटे की दूरी पर रह जाएगा और दक्षिण जाने वाले राजधानी दिल्ली की दूरी भी कम हो जाएगी।
* बुंदेलखंड रेलवे के मामले में पिछड़ा है देश की 5 प्रतिशत आबादी बुंदेलखंड में निवास करती है जहां रेल का पहिया घूमता है वहां विकास का पहिया भी घूमता है जिससे अकेले छिन्दवाड़ा- नरसिंहपुर नही पूरे बुंदेलखंड के विकास को नया रास्ता मिलेगा देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी बुंदेलखंड का यह क्षेत्र रेलवे सुविधा से वंचित है।
4 हजार 805 करोड़ का बजट प्रस्तावित.
छिंदवाड़ा – सागर रेलवे लाईन के सर्वे के बाद परियोजना को शुरू करने 4 हजार 805 करोड़ का बजट प्रस्तावित है सागर से छिंदवाड़ा के बीच 279.37 किलोमीटर ब्राडगेज रेलवे लाईन बनना है इस लाईन के बीच में 28 रेलवे स्टेशन है जिसमें से 4 स्टेशन पहले से ही बने हुए है और 24 नए स्टेशन बनाए जाने है
बदलेगी हर्रई-अमरवाड़ा की किस्मत..
छिन्दवाड़ा के दो आदिवासी विकासखंड अमरवाड़ा और हर्रई में रेल है ही नही है दोनों विकासखंड रेल सुविधा से वंचित है छिंदवाड़ा -सागर रेल लाईन बनने से दोनो विकासखंड रेल सुविधा से जुड़ेंगे बड़ी बात यह है कि दोनो ब्लाको में आदिवासी जनसंख्या सबसे ज्यादा है। रेल लाईन बनने से दोनो ब्लाको का कायाकल्प होगा जो अब भी विकास को तरस रहे हैं दोनो ब्लाकों में कृषि के अलावा कोई दूसरा विकल्प आज तक विकसित नही हो पाया है