छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
सहजयोग की प्रणेता माता निर्मला की जन्म स्थली छिन्दवाड़ा में उनके जन्म दिवस पर 21 देशों के 40 विदेशी कलाकार भारतीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति देंगे ”योगधारा के नाम से यह कार्यक्रम 18 मार्च को शहर के दशहरा मैदान में शाम 6 बजे से होगा माता निर्मला का यह 100 वा जन्म उत्सव है उनके जन्म उत्सव पर छिन्दवाड़ा में हर साल विदेश से बड़ी संख्या में सहजयोगी आते हैं सहजयोगियों द्वारा 19 से 22 मार्च तक पूरे विश्व मे माता निर्मल देवी का जन्म महोत्सव मनाया जाता है
इसी परिप्रेक्ष्य में 18 मार्च की शाम 6 बजे से पोला ग्राउण्ड पर छिंदवाड़ा में पहली बार 21 देशों के 40 कलाकारों द्वारा ”योगधारा में भारतीय संगीत तथा शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी साथ ही आत्मसाक्षात्कार दिया जाएगा।
जो कलाकार प्रस्तुति देंगे उनमे इंग्लैण्ड, रशिया, न्यूजीलैंड,यूक्रेन,इटली,जर्मनी,चेक रिपब्लिक,ताइवान, फ्रांस,निदरलैण्ड,ऑस्ट्रेलिया,रोमानिया, स्वीजरलैंड के सहजयोगी शामिल हैं हैं। ये विदेशी कलाकार भारतीय संगीत पर भजन और नृत्य के माध्यम से भगवान शिव, गणेश महिमा के साथ देवी स्तुति की प्रस्तुति देंगे
ये कलाकार ”योगधारा कार्यक्रम में भारत भूमि का महत्व बताते हुए हमारे देश के राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम् की प्रस्तुति भी देंगे। इसी कार्यक्रम के दौरान ये सहजयोगी माता निर्मला देवी के प्रवचन के माध्यम से सहजयोग द्वारा कुण्डिलिनी जागरण,आत्म साक्षात्कार एवं ध्यान करवाएंगे जिसे उपस्थितजन अपने हाथों पर ठण्डी लहरों के रूप में अनुभव कर सकेंगे
सहज योग ट्रस्ट के वाइस चेयरमैन रमेश मंथाना ने बताया कि योगधारा 21 देशों के सहज योगियों का समूह हैं जो विश्व भृमण कर सहजयोग का प्रचार करता है जिसमे 40 से अधिक सहजयोगी कलाकार है। ये सहजयोग ध्यान विधि से अनेक वर्षो से विश्व के विभिन्न देशों में भ्रमण स्वयं के खर्च पर कर रहे हैं और प्रस्तुतियां देकर आत्मसाक्षात्कार करवा रहे हैं। हाल ही में इंदौर में एक भव्य आयोजन हो चुका है इन कलाकारों का स्व अनुभव है कि उहोने सहजयोग ध्यान से गहन शांति महसूस की है बीमारी और व्यसन से दूर हो गए है इस आनंद की प्राप्ति जन-जन को हो,इस उद्देश्य को लेकर ये निकल हैं। भारत में ”योगधारा के करीब 25 शहरो में 35 कार्यक्रम होना है छिंदवाड़ा में समूह का 26वां कार्यक्रम है।
सहज योग विश्व के 150 से अधिक देशों में चल रहा है सहजयोग, ध्यान की एक क्रिया है जिसे माता निर्मला देवी द्वारा 5 मई,1970 से आरम्भ किया गया था जो कि आज विश्व के 150 देशो में प्रचलित है। सहजयोग से कुंडलिनी जागरण एवं आत्मसाक्षात्कार की अनुभूत की जाती है जैसे ही कुण्डलिनी का जागरण होता है वैसे ही मानव अपने अंदर परम शांति को अनुभव करता है। उसके विचार शून्य हो जाते है। नियमित ध्यान करने से वह धीर-धीरे अपने अंदर व्याप्त अनेक बीमारीयों एवं विकारो से भी निजात पाता है। देश एवं विदेशो के अनेक वैज्ञानिको ने सहजयोग ध्यान पर शोध किया है। इस ध्यान के माध्यम से परम शान्ति व अनेक बीमारीयो एवं विकारो से मुक्ति की पुष्टि की है