छिन्दवाड़ा में जनमत का ट्रेंड चेंज करने भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत, केंद्रीय गृह मंत्रीअमित शाह का रोड शो
हर बूथ में शत -प्रतिशत मतदान का दिया टारगेट, काम ना करने वाले नेताओं को दी चेतावनी
एक ही ट्रेंड में छिन्दवाड़ा ने गंवा दिए विकास के दस साल
मुकुन्द सोनी ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
कांग्रेस का गढ़ छिन्दवाड़ा संसदीय सीट भाजपा के लिए गले की फांस है जो अब तक निकली नही है। हर चुनाव में भाजपा छिन्दवाड़ा पर फ़ोकस करती है लेकिन सफलता हाथ नही आती है।इसके एक नही अनेक कारण गिनाए जाते रहे हैं। अब भाजपा कोई कारण सुनना ही नही चाहती है। जिले से लेकर प्रदेश और प्रदेश से लेकर देश तक छिन्दवाड़ा की जीत जीत और केवल जीत के लिए भाजपा की पूरी ताकत यहां लगा दी गई है। जनमत को अपने अनुकूल बनाने भाजपा ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी विवेक बंटी साहू के लिए छिन्दवाड़ा को सेंट्रल कमांड में लेकर दिग्गजों का जमावड़ा भी लगा दिया है। दावा है कि 4 जून को यहां कमल खिलेगा। भाजपा ने चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रोड शो कर अपनी विशेष रणनीति को भी अंजाम दिया है। छिन्दवाड़ा सीट में प्रचार का आज अंतिम दिन है। इस अंतिम दिन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का छिन्दवाड़ा में होना छिन्दवाड़ा की भाजपा के लिए बड़ा संदेश है कि हर हाल में कमल खिलाना ही होगा। एक ही ट्रेंड में छिन्दवाड़ा ने विकास के दस साल बिना किसी विजन के गंवा दिए हैं।
छिन्दवाड़ा आज निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। 19 अप्रैल को यहां मतदान होना है। भाजपा की पूरी रणनीति और ताकत केवल और केवल छिन्दवाड़ा के मतदाताओं का ट्रेंड चेंज करने के लिए है। भाजपा ने देश की राजनीति का मिजाज बदलकर रख दिया है लेकिन छिन्दवाड़ा इससे अब तक अछूता है। केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के दस साल में छिन्दवाड़ा भी नागपुर – इंदौर बन सकता था मगर भाजपा का सांसद ना होने से बेरुखी है।कांग्रेस के सांसद कुछ खास नही कर पाए है। हमेशा ही भाजपा सरकार को अडंगा मानते रहे हैं। सिंगल सांसद क्या कर सकता है जब उसके दल की सरकार ना हो यह छिन्दवाड़ा देख चुका है। अब क्या इस चुनाव में छिन्दवाड़ा का भी ट्रेंड चेंज होगा और इसके साथ ही छिन्दवाड़ा विकास के मामले में देश की मुख्य धारा के साथ जुड़ सकेगा यह फैसले का वक्त अब फिर छिन्दवाड़ा के मतदाताओं के सामने आया है।भाजपा लगातार यह संदेश छिन्दवाड़ा के मतदाताओं को दे रही है। यहां का मतदाता का फैसला ही अंतिम है कि वह क्या चाहता है। अपने ट्रेंड के साथ छिन्दवाड़ा का भी ट्रेंड बदलना चाहता है या फिर कांग्रेस की गुलाम मानसिकता के साथ ही खड़ा रहता है।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह के फैसले से ही छिन्दवाड़ा के युवा विवेक बंटी साहू विधायक के बाद अब सांसद के लिए मैदान में उतारे गए हैं। यह केंद्रीय मंत्री अमित शाह की ही रणनीति है। छिन्दवाड़ा का मोर्चा संभालने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा , मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ,प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वी डी शर्मा, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ ही स्वयं विदिशा से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छिन्दवाड़ा को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद में लोगो के सामने भाजपा सरकार की सफलताओं और बढ़ते देश के मान – सम्मान को रखते हैं। छिन्दवाड़ा का विकास भाजपा के लिए कोई बहुत बड़ा मुद्दा नही है। सरकार के एक इशारे मात्र से छिन्दवाड़ा में भी सब कुछ हो जाएगा जो छिन्दवाड़ा के लिए जरूरी है।असली मुद्दा तो यह है कि छिन्दवाड़ा से भाजपा का सांसद हो।
इसके लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने रोड शो के बाद छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र के एक – एक बूथ की समीक्षा की है। हर बूथ पर पिछले चुनाव में मिले वोट का ट्रेंड देखा और सिपंल सी बात कही कि कार्यकर्ता बूथ पर भिड़े। बूथों में शत – प्रतिशत मतदाता मतदान के दिन मतदान करने पहुंचे यह सुनिश्चित करे। हर बूथ पर वोट के लिए पहुंचने वाला मतदाता ही छिन्दवाड़ा का भाग्य बदलेगा। केंद्रीय मंत्री अमित शाह भाजपा की राजनीति के चाणक्य है। उनका यह पहला छिन्दवाड़ा आगमन नही है। इसके पूर्व विधानसभा के चुनावों में वे पांढुर्ना, जुन्नारदेव और छिन्दवाड़ा में बड़ी सभा कर चुके हैं। कोई दो मत नही कि उनका छिन्दवाड़ा रोड शो भले ही छोटा था मगर चमकीला और प्रभावी था। भाजपा की बढ़ती साख का पैमाना था। रोड शो के बाद वे छिन्दवाड़ा में ही रुके। होटल एकार्ड में पार्टी के स्थानीय नेताओं की बैठक की। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यहां स्थानीय नेताओं की आंतरिक गुटबंदी पर भी बोलने से नही चुके हैं कि पार्टी स्तर पर यदि कोई गड़बड़ी हुई तो फिर हिसाब चुनाव के बाद होगा। वे रात छिन्दवाड़ा में ही रुके। आज सुबह श्री राम नवमी पर शहर के ऊँटखाना श्री राम मंदिर में श्री राम पूजन के बाद दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं।
निश्चित ही भाजपा के लिए छिन्दवाड़ा बड़े कांटे वाली सीट रही है। आजादी के बाद से अब तक यहां के मतदाताओं का कांग्रेस को वोट देने का ट्रेंड कोई चेंज नही कर पाया है। इस ट्रेंड ने कमलनाथ को भी स्थापित नेता का तमगा दिया है जबकि यह ट्रेंड उनके छिन्दवाड़ा आने के पहले से कायम है। कमलनाथ के पहले कांग्रेस के ही राय चंद,नारायण वाड़ीवा, भीकू लाल चांडक सांसद बने थे। गार्गी शंकर मिश्रा तो लगातार तीन बार कांग्रेस से ही छिन्दवाड़ा के सांसद चुने गए हैं। गार्गी शंकर तो 1977 में इंदिरा विरोधी लहर में भी यहां के सांसद चुने गए थे। उनके बाद 1980 में कमलनाथ आए तब से लेकर अब तक वे 9 बार सांसद चुने गए हैं। इसके पहले भी छिन्दवाड़ा ने 6 बार कांग्रेस के ही सांसद चुने है। यह बात अलग है कि इस ट्रेंड का सबसे बड़ा फायदा कमलनाथ को मिला है। पिछले चुनाव में इसी ट्रेंड ने उनके बेटे नकुलनाथ को भी सांसद बनाया था और अब वे दूसरी बार मैदान में है।
अब देश मे राजनीति का ट्रेंड बदल गया है जिस छिन्दवाड़ा ने अब तक सत्रह बार कांग्रेस के सांसद चुने है वह कांग्रेस अब हाशिए पर है। छिन्दवाड़ा में कमलनाथ छिन्दवाड़ा विकास को अपना व्यक्तिगत मुद्दा बनाकर अपने पुत्र को अपनी जगह स्थापित करने में लगे हैं।सवाल यह है कि विकास सरकार के बजट से ही होता है किसी की जेब से नही। यह चुने हुए नेता पर निर्भर करता है कि वह अपनी सरकार से अपने क्षेत्र के लिए क्या लाया। जब भाजपा का सांसद होगा तो वह भी सरकार के माध्यम से ही क्षेत्र की जरूरतों का विकास करेगा। जब केंद्र में सरकार ना राज्य में सरकार तो कांग्रेस का सांसद क्या करेगा केवल यही कहेगा कि हमारी सरकार नही है विकास में अड़ंगा है। इस मायने में छिन्दवाड़ा ने पिछले दस साल गंवा दिए हैं। इन दस सालों में छिन्दवाड़ा के खाते कोई विशेष उपलब्धि नही आई है। अड़ंगा ही आड़े आया हुआ है और इसी अड़ंगा को इस बार चुनाव में भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है कि छिन्दवाड़ा के मतदाता अड़ंगा खत्म करें।
देखना है कि इस चुनाव में भाजपा का यह मुद्दा कितना प्रभावी रहता है। वैसे देखा जाए तो कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ भी अपने पुत्र के लिए 78 साल की उम्र में भी प्रचार मोर्चा संभाल रहे हैं। बार – बार अपनी जवानी को याद कर 45 साल के संबंधों की दुहाई देकर इमोशनल कार्ड भी खेल रहे हैं। छिन्दवाड़ा सीट को किसी भी हालत में आने हाथ से नही जाने देना चाहते हैं लैकिन उनके निजी पी ए अपने व्यवहार से कांग्रेस में बड़ी टूट का कारण बन गए हैं।एक पी ए ने तो फर्जी वीडियो कांड कर उनके निवास कमलकुंज को षडयंत्र का अड्डा साबित कर दिया है।