छिन्दवाड़ा को बना दिया शराबवाड़ा, ठेकेदारों के मुंशी बने बैठे हैं आबकारी के अफसर

– मुकुन्द सोनी-
♦छिन्दवाड़ा – Metro City Media
छिन्दवाड़ा में आपको हर चार कदम पर स्कूल – कालेज नही मिलेंगे मगर हर चार कदम पर शराब की दुकान मिल जाएगी। सरकार का मानक है कि एक लाख की आबादी में एक शराब दुकान। मगर छिन्दवाड़ा ग्रामीण आबादी मिलाकर भी बमुश्किल दो लाख को आबादी वाला शहर है। बावजूद इसके अकेले शहर में ही बीस से ज्यादा शराब की दुकाने है। शराब दुकाने खोलने और उनके स्थान तय करने के नियम- कानून को तो आबकारी विभाग ने ताक पर रख दिया है। शहर में देशी – विदेशी मदिरा की अलग – अलग दुकानों के बाद कम्पोजिट के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है कि बिना किसी नियम – नीति के दुकानों के स्थान कुछ इस तरह बदले जा रहे हैं कि सेल के साथ हर साल विभाग का राजस्व भी 20 प्रतिशत बढ़ता चला जा रहा है। देशी दुकान में अंग्रेजी और अंग्रेजी दुकान में देशी का कम्पोजिशन है। यह कम्पोजिशन ही दुकानों के स्थान तेजी से बदलवा रहा है जबकि आबकारी का ही नियम है कि दुकान का स्थान बदलने के लिए समीति गठित होगी जिसमें जिस क्षेत्र में दुकान स्थापित करना है उस क्षेत्र की जनता की सहमति के बिना पुरानी दुकान का ना स्थान बदलेगा ना ही कोई नई दुकान का स्थान निर्धारित होगा लेकिन दुकान का स्थान बदलने के मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी तो अधिकारी नही बल्कि ठेकेदारों के मुंशी बने बैठे हैं। ठेकेदार जहां बोलते हैं वहां दुकान खुलवा देते हैं। ना कोई समीति ने जनता की सहमति बस खाता ना बही ठेकेदार जो कहे वो सही की नीति आबकारी में चल रही है। इसके चलते स्कूल, कालेज, मन्दिर, सार्वजनिक स्थानों को भी नही बक्शा गया है। ताजा मामला तो छिन्दवाड़ा शहर में सिवनी मार्ग पर पुराने कुंडीपूरा थाना के सामने का है। यहां आवासीय बस्ती में आजू- बाजू मकान और बीच मे शराब की दुकान खोली जा रही है।इसके साथ ही सौसर में स्कूल के समीप ही दुकान खोल दी गई है।
आबकारी के पास पूरे जिले में 119 दुकान है जिनमे अकेले छिन्दवाड़ा शहरी क्षेत्र में बीस दुकाने चल रही है। पूरे जिले का शराब दुकानों का ठेका करीब ढाई सौ करोड़ का है। इसमे अकेले छिन्दवाड़ा शहर की शराब दुकानों का ठेका ही करीब 90 करोड़ का है। इनमे सबसे महंगा ठेका बस स्टैंड की शराब दुकान का करीब 22 करोड़ का है दूसरे नम्बर पर फब्वरा चौक को दुकान है जिसका ठेका 18 करोड़ से ज्यादा का है ।इसके अलावा अन्य दुकान 3 से 8 करोड़ के ठेके की है।
हर चार कदम पर शराब की सरकारी दुकान ..
शहर के फव्वारा चौक पर शराब की दुकान है। यहां से कुछ दूरी पर बस स्टैंड में भी दुकान यहां से आगे बढ़ो चार कदम को दूरी पर अलका टाकीज है टाकीज के बाजू में दुकान यहां से दो फलांग की दूरी पर रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से लगे मलधका में एक दुकान फिर पदम काम्प्लेक्स में दुकान इसके बाद चार फलांग की दूरी पर चौपाल सागर के पास दुकान है। शहर में शराब दुकानों का सिलसिला देखा जाए तो ..
- नागपुर मार्ग पर कुलबहरा पुल के पास
- चन्दनगांव
- फव्वारा चौक
- बसस्टैंड
- अलका टाकीज
- रेलवे स्टेशन मालधक्का
- पदम काम्प्लेक्स
- चौपाल सागर
- पातालेश्वर
- पुराना नरसिंहपुर नाका
- खजरी
- पूजा लाज के पास
- नोनिया करबला
- परतला में आमने – सामने दो दुकान
- राजपाल चौक
- कोलढाना
सोनपुर रोड पर ठेके की दुकानें है। इसके साथ ही आबकारी ने शहर में पांच – पांच बीयर बार का भी लायसेंस दे रखा हैं। जायसवाल बीयर बार ,बेदी बीयर बार, तनेजा बीयर बार तो चार – चार कदम पर स्थित है। इसके अलावा परतला में शराब को दो दुकानों के अलावा एक बीयर बार को भी।लायसेंस दिया गया है। शहर का पांचवा बीयर बार नागपुर रोड पर करण होटल मे है। एक छोटा शहर जिसका दायरा तीन किलोमीटर का भी नही है वहा बीस शराब दुकान और पांच बीयर बार है। आखिर आबकारी क्या चाहता है शहर शराबी हो जाए और युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाए वो भी सरकार को महज कुछ करोड़ का राजस्व मिल जाए इसलिए क्या यही बीस सालों से चली आ रही भाजपा सरकार का असली चेहरा है जिसके नेताओ के सरंक्षण में अवैध शराब का कारोबार भी करोड़ो का बताया जाता है। वही जो शराब ठेकेदार है वे भी सरंक्षण के लिए भाजपा में शामिल हुए बैठे हैं। बीस साल में भाजपा सरकार में शहर में एक भी नए स्कूल कालेज नही खुले लेकिन शराब का धंधा 25 करोड़ से बढ़कर 250 करोड़ का जरूर हो गया है।