
उत्तम भक्ति से ही हो सकता है परमात्मा का साक्षातकार
छिन्दवाड़ा-राम को बुद्धि विवेक और तर्क से नही समझा जा सकता है राम अतर्क है शरीर आत्मा के बिना कुछ नही लेकिन किसी ने आत्मा को देखा नही है इसका यह अर्थ यह नही है कि आत्मा नही है परमात्मा का केवल उत्तम भक्ति से ही साक्षातकार हो सकता है श्रवण ,मनन और कीर्तन भक्ति का माध्यम है यह बात आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने छिन्दवाड़ा के दशहरा मैदान में यजमान पूजा श्री साहू परिवार विवेक साहू बंटी द्वारा महाशिवरात्रि पर आयोजित शिव महापुराण कथा महोत्सव के दूसरे दिन व्यास पीठ से अपने प्रवचनों में कही कथा सुनने दशहरा मैदान में जन सैलाब उमड़ पड़ा है मैदान इन दिनों शिव तीर्थ बन गया है आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने शनिवार को पापों से पिशाच बने बिन्दुक सहित ब्रम्हा के अभिमान और कलयुग के प्रभाव की कथा सुनाई उन्होंने कहा कि शिवपुराण सुनने मात्र से बिन्दुक का कल्याण हो गया था माता पार्वती के आदेश पर विंध्य पर्वत पर गंधर्व राज तुमरू ने पिशाच बिन्दुक को जबरन यह कथा सुनाई तो भी वह प्रेत योनि से मुक्त हुआ औऱ शिवलोक में उसे स्थान मिला था उन्होंने भगवान शिव के शिवलिंग रूप में प्रकट होने की कथा बताते हुए कहा कि जब ब्रम्हा और भगवान विष्णु के बीच कौन बड़ा है के वर्चस्व में युद्ध होने लगा तब भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में अग्नि स्तम्भ की तरह प्रकट हुए थे जिसका दोनों ओर – छोर पता नही कर पाए थे इसको लेकर ब्रम्हा और केतकी के फूल ने झूठ बोला था जिस पर शिव की भृकुटि से प्रकट हुए काल भैरव ने ब्रम्हा का एक सिर काट दिया था तब से पांच मुख वाले ब्रम्हा चार मुख वाले हो गए थे वही केतकी के फूल को अपने अंग से भगवान शिव ने हमेशा के लिए नकार दिया किन्तु भगवान विष्णु ने सत्य से नही डिगे यही से भगवान विष्णु को भगवान सत्य नारायण का नाम मिला था उन्होंने कलयुग में मानव के लक्षण बताते हुए कहा कि मानव का मन ही उसे पतन की ओर ले जाता है इससे बचने के लिए ही भगवान की कथाओं को जीवन में लाना और उतारना होगा प्रवचन के दौरान उन्होंने अपने श्री मुख से तेरा पल पल बीता जाए मुख से जपले नमः शिवाय और अभी तो जगाया तुझे फिर सो गया भजन भी सुनाए
हम समाज मे पुनः बदलाव ला सकते हैं
आचार्य देवकीनन्दन ठाकुर महाराज ने कहा कि अगर मानव जीवन में भजन नहीं है तो एक बात सत्य है हमारा कल्याण नहीं हो सकता है बिन भजन किये वन्दे कल्याण नहीं होगा आज कल जो हमारे युवा लोग है कुछ भी देखेंगे न शब्द सुनेगे बस आप गन्दगी शेयर कर रहे है तो समाज गन्दा बनेगा और अगर आप अच्छाई शेयर कर रहे है तो आप समाज को अच्छा बनाने का प्रयास कर रहे है उन्होंने कहा कि वो एक दो लोग ही थे जिन्होंने संकल्प किया की हम भारत की संस्कृति को नष्ट करेंगे और भारतीय संस्कृति भारतीय कल्चर को हम लोग बर्बाद कर देंगे धीरे – धीरे आज देखिये समाज कैसा हो गया वो अपने कार्य में सफल हो गए लेकिन वो दो – चार लोग थे जिन्होंने ये प्लानिंग के साथ ये कार्य किया हम और आप अनेक लोग है अगर हम प्लानिंग के साथ ये कार्य करेंगे तो हम समाज में पुनः बदलाव ला सकते है
मोक्ष का मार्ग है शिव महापुराण
जिस मनोरथ के साथ आप शिव महापुराण की कथा को सुनेगे वो तो आपको मिलेगा ही परन्तु अगर किसी ने निस्वार्थ भाव से कथा सुनी जिसे कुछ चाहिए नहीं बदले तो उसे शिवलोक की सहज प्राप्ति हो जाती है और जो मनुष्य शिव लोक पहुंच जाते है वो वापस पृथ्वी पर नहीं आते है उसी का नाम मोक्ष है उनकी मुक्ति हो जाती है।
सनातनियो को जगाए बिना चैन से नही बैठूंगा .
. आचार्य देवकी नंदन ठाकुर ने आज अपनी पाठशाला से सनातन विधानों के अनेक सबक देते हुए कहा कि मैं जब तक पूरे देश के सनातनियो को जगा ना दू तब तक चैन से नही बैठूंगा उन्होंने हिंदुओ को माथे पर तिलक लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि 40 साल पहले तक हर हिन्दू तिलक लगाता था तिलक हमारी सनातन संस्कृति की पहचान है सनातन संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहचाना हमारी जवाबदारी है इसके लिए हर माता – पिता को अपने बच्चों को हिन्दू संस्कार देने होंगे उन्होंने कथा में उपस्थित हर व्यक्ति से आह्वान किया कि वह अपने मोबाइल से ट्वीटर अकाउंट खोले और नाम के साथ हिन्दू लिखे
भजनों में झूम उठे श्रद्धालु ..
आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज के श्री मुख से शिव महापुराण सुनने दशहरा मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते है जब भजनों की प्रस्तुति होती है तब पंडाल में उपस्थित श्रद्धालू भी झूम उठते हैं सभी को तिलक और प्रसाद की व्यवस्था साहू परिवार ने की है व्यास पीठ में महाराज श्री का स्वागत वंदन और समापन आरती नरेंद्र साहू विवेक साहू नवीन साहू दीपू और परिवार ने की कथा सुनने के लिए सुरेश अग्रवाल राजकुमार अग्रवाल अजय चौरे राजू परमार संतोष जैन कांता योगेश सदारंग सहित जिले के सामाजिक ,धार्मिक व्यापारिक और राजनीतिक जगत के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे