छिन्दवाड़ाधार्मिक

शिव महापुराण के लिए तैयार छिन्दवाड़ा का दशहरा मैदान

मोहन नगर षष्ठी माता मंदिर से गुरुवार को प्रातः 11 बजे जल कलश यात्रा के साथ श्री गणेश

Metro City Media

  • देव पूजन के साथ मोहन नगर षष्ठी माता मंदिर से निकलेगी जल कलश यात्रा
  • महाशिवरात्रि  पर छिन्दवाड़ा के दशहरा मैदान में शिव महापुराण
  • व्यास पीठ पर होंगे आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज
  • 10 फरवरी से 18 फरवरी तक होंगे आचार्य श्री के प्रवचन

छिन्दवाड़ा- महाशिवरात्रि पर शहर के दशहरा मैदान में 9 से 19 फरवरी तक दस दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव  के महा आयोजन में  धर्म रत्न सनातन शलाका पुरुष आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज शिव महापुराण कथा प्रवचन करेंगे महोत्सव का श्री गणेश कथा के यजमान  विवेक साहू बंटी पूजा श्री  साहू परिवार द्वारा देव पूजन जल कलश यात्रा के साथ किया जाएगा यह यात्रा 9 फरवरी को पूजा श्री निज निवास के समीप स्थित मोहन नगर षष्ठी माता मंदिर से प्रातः 11 बजे निकाली जाएगी यात्रा में साहू परिवार सिर पर शिव महापुराण धारण कर  आयोजन स्थल  दशहरा मैदान पहुँचेगा जहां मंच पर  विधान के साथ शिव महापुराण ग्रन्थ की स्थापना के साथ व्यास पीठ पूजन होगा यात्रा में स सैकड़ो की संख्या में महिलाए लाल और पीले वस्त्र धारण कर सिर पर जल कलश लिए शामिल होंगी धर्म ध्वजा के साथ यात्रा में सनातन धर्म प्रेमी महाकाल का जय घोष करते चलेंगे  यात्रा में महाकाल की झांकी के साथ शिव धुन पर  डी जे बैंडबाजा सहित शिव भजनों पर शिव भक्तों का नाच – गाना होगा   व्यास पीठ पूजन उपरांत 10 फरवरी से 18 फरवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक यहां आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज के प्रवचन होंगे

यह है जल कलश यात्रा का महत्व ..

शुभ कार्य का श्री गणेश कलश पूजन से होता है पौराणिक मान्यता है कि  कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करते  है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा  पवित्र और निर्मल हो जाती है जल से भरे कलश को मानव शरीर का प्रतीक माना जाता है  कलश में जल मानव शरीर में आत्मा के समान है  कलश को शांति का संदेश वाहक भी माना जाता है।यह कलश विश्व ब्रह्मांड, विराट ब्रह्मा एवं भू-पिंड यानी ग्लोब का प्रतीक माना गया है। इसमें सम्पूर्ण देवता समाए हुए हैं। पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं  कलश में भरा पवित्र जल इस बात का संकेत हैं कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा ही शीतल, स्वच्छ एवं निर्मल बना रहें। हमारा मन श्रद्धा, तरलता, संवेदना एवं सरलता से भरा रहे  और मन  क्रोध, लोभ, मोह-माया, ईष्या और घृणा  कुत्सित भावनाओं से हमेशा दूर रहें।कलश पर लगाया जाने वाला स्वस्तिष्क का चिह्न चार युगों का प्रतीक है। यह हमारी 4 अवस्थाओं, बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक भी है

 


Metro City Media

Metro City Media

Chhindwara MP State Digital News Channel & Advertiser Editor-Mukund Soni Contact-9424637011

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker