
पेसा सम्मेलन के बहाने जनजातिय वर्ग को साधने की रणनीति.
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा-25 लाख की आबादी और करीब 16 लाख वोटर वाले छिन्दवाड़ा में 39 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी वोटरों का है ये वोटर जिले के आदिवासी ब्लाक के गांवो के है इन वोटरों को साधकर भाजपा ने छिन्दवाड़ा में आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने का सपना देखा है छिन्दवाड़ा के इस वोट बैंक पर ही मनमोहन बट्टी के जमाने में एक दशक पहले गोंडवाना ने बड़ा कमाल दिखाया था इसके बाद कांग्रेस की पूरी ताकत गोंडवाना को ही तोड़ने में लगी रही थी यह छिन्दवाड़ा का इतना तगड़ा वोट बैंक है कि उस समय कांग्रेस के लिए गोंडवाना पहली और भाजपा दूसरी चुनोती थी रणनीति बनाकर काँग्रेस ने गोंडवाना के जाने कितने कार्यकर्ताओ को प्रलोभनों के सहारे तोड़ा था यह कांग्रेस के नेता बेहतर जानते हैं जिले में यह वोट बैंक ही कांग्रेस का सबसे बड़ा बैकअप है गोंडवाना के नायक रहे मनमोहन बट्टी तो भाजपा में शामिल होकर लोकसभा का पिछला चुनाव भी लड़ना चाहते थे इसके लिए वे भाजपा के प्रदेश कार्यालय भोपाल पहंच भी गए थे किन्तु भाजपा के स्थानीय नेताओं को हारना पसंद था लेकिन मनमोहन नही अब मनमोहन तो इस दुनिया मे नही लेकिन वोट बैंक तो है…अब यही वोट बैंक भाजपा को छिन्दवाड़ा में अपना कर्णधार लग रहा है मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू होने से यह वर्ग गद-गद है भाजपा इस वोट बैंक को साधने की पूरी जुगत में है पेसा एक्ट में आदिवासी ग्राम पंचायतो को बड़े अधिकार दिए हैं जल जंगल जमीन खनिज सब कुछ पंचायतो को ही दे दिया गया है यह एक्ट आदिवासी विकास की नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है इसको लेकर गांव-गांव जागरूकता सम्मेलन भी हो रहे हैं अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं भाजपा ने प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए जनजतीय वर्ग को एक नही अनेक सौगात दे दी है छिन्दवाड़ा में इस वोट बैंक के खास मायने है समझा जा सकता है कि जिले मे सात में से तीन विधायक भी इसी वर्ग से है विधान सभा की तीन सीट उनके लिए आरक्षित है जिनमे वर्तमान में जुनारदेव में काँग्रेस के सुनील उइके,अमरवाड़ा में कमलेश शाह और पांढुर्ना में नीलेश उइके विधायक है छिन्दवाड़ा में भाजपा के हाथ लाख कोशिश के बाद भी खाली है यहां ना भाजपा का सांसद हैं ना ही सात-सात सीट होने के बावजूद कोई विधायक अब अगले चुनाव में ऐसा ना हो इसको लेकर छिन्दवाड़ा में भाजपा की नई कवायद में काफी कुछ होने को हैं जिसमे गोंडवाना बेल्ट के वोट बैंक को साधना पहली बड़ी कबायद मानी जा रही है
सी एम शिवराज स्वयं सँभालेंगे छिन्दवाड़ा का मोर्चा.
छिन्दवाड़ा का मोर्चा स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज के हाथों में ही है स्थानीय स्तर पर सक्षम नेतृत्त्व ना होने से भाजपा के केंद्रीय और प्रांतीय नेतृत्व को छिन्दवाड़ा की बड़ी जवाबदारी इसलिए भी उठाना पड़ रहा है कि प्रदेश में छिन्दवाड़ा के ही कमलनाथ कांग्रेस में मध्यप्रदेश को लीड कर रहे हैं पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को चारों खाने चित कर प्रदेश में सरकार बना ली थी 15 माह बाद सिंधिया के सहारे भाजपा ने सत्ता जरूर छीन ली है लेकिन कमलनाथ वापस डटकर चुनाव का इन्तजार कर रहे हैं छिन्दवाड़ा ही नही मध्यप्रदेश में कमलनाथ भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनोती है और भाजपा उन्हें छिन्दवाड़ा में ही घेरने के मिशन पर भी है पिछले चुनाव में छिन्दवाड़ा में उनके सी एम बनने का फेक्टर भी हावी था शायद यही कारण भी था कि भाजपा को छिन्दवाड़ा में लोकसभा और विधानसभा दोनो में ही सफलता हाथ नही लगी थी अब अगले चुनावो की रणनीति में भाजपा छिन्दवाड़ा के स्थानीय नेताओ को गुटबाजी छोड़ केवल पार्टी के लिए कार्य करने का सबक भी दे रही है लेकिन यह सबक फ़लीभूत होते नही दिख रहा है छिन्दवाड़ा में ना केवल सी एम बल्कि भविष्य में दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों का भी आगमन भी प्रस्तावित बताया गया है
छिन्दवाड़ा के ट्राइबल ब्लाक बिछुआ से श्रीगणेश
अब चुनाव में ज्यादा नही करीब 10 माह का समय शेष है अगली पारी के लिए भाजपा छिन्दवाड़ा के आदिवासी ब्लाक बिछुआ में पेसा सम्मेलन कर अपने चुनावी अभियान का श्री गणेश करने वाली है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यहां 9 दिसम्बर को जिले के सबसे बड़े जनजातीय वर्ग के सम्मेलन को संबोधित करने के साथ ही छिन्दवाड़ा को अनेक विकास कार्यो की सौगात भी देंगे इस सम्मेलन में जिले भर के जनजातीय वर्ग को जुटाया जाएगा छिन्दवाड़ा जिले में तामिया, जुनारदेव बिछुआ ,अमरवाड़ा ,हर्रई घोषित आदिवासी ब्लाक है हालाकि जिले के सभी 11 ब्लाक के गांवो में जनजातीय वर्ग की वसीकत है जिले के इन आदिवासी विकासखंडों 270 ग्राम पंचायतों के 1848 गांवो में पेसा एक्ट प्रभावी हो चुका है इसके अलावा जिले के 10 ब्लाक के 48 ऐसे गांव जो अब तक वन गांव थे को जनजातीय वर्ग के हितों के लिए राजस्व गांव का दर्जा भी दिया गया है