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एस के मोटर्स के संचालक कपिल सोनी ने खरीदा.
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा-छिन्दवाड़ा की चौरई तहसील के पलटवाड़ा में 25 साल पहले स्थापित किया गया सहकारिता विभाग के तिलहन संघ के सोयाबीन प्लांट की मशीनरी कबाड़ हो गई है मध्यप्रदेश की सरकार ने इसे बतौर स्क्रेप बेच दिया है
सोयाबीन प्लांट की इस मशीनरी को ख़रीदने यूं तो गुजरात ,राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश की सोया उद्योग से जुड़ी बड़ी -बड़ी कम्पनियो ने टेंडर भरकर नीलामी में हिस्सा लिया था लेकिन सबको पछाड़कर छिन्दवाड़ा के ही एस के मोटर्स के मालिक कपिल सोनी ने अपने भाई मुकेश सोनी के साथ इसे 11 करोड़ 1 लाख 38 हजार रुपयों में खरीदा है कपिल सोनी ने दो माह पहले भी इसे 8 करोड़ 76 लाख में खरीद लिया था लेकिन मध्यप्रदेश के परिसंपत्ति विभाग ने फिर से इसका टेंडर रिकॉल किया था और इसमें प्लांट के कुछ और हिस्से भी शामिल किए थे तब भी यह प्लांट सोनी बंधु के खाते में ही आया है टेंडर में बोली प्रक्रिया सहित 25 प्रतिशत राशि जमा कराने के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार की हाल में ही हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसकी बिक्री पर मोहर लगा दी है केबिनेट की बैठक में सोयाबीन प्लांट को लेकर प्रस्ताव पारित कर दिया गया है कि निविदाकार की निविदा बोली मूल्य का 100 प्रतिशत जमा करने के बाद विक्रय अनुबंध की कार्यवाही मध्यप्रदेश राज्य तिलहन उत्पादक सहकारी संघ के परिसमापक संयुक्त आयुक्त सहकारिता करेंगे आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सोयाबीन प्लांट की मशीनरी स्क्रेप का ऑफसेट प्राइज़ मात्र 2 करोड़ 72 लाख तय किया गया था शासन के परिसंपत्ति विभाग ने मशीनरी को कंडम घोषित करने के बाद स्क्रेप नीलामी के टेंडर बुलाए थे
छिन्दवाड़ा की पंजाब फर्म ने भी लगाई थी बोली..
चौरई के सोयाबीन प्लांट को खरीदने के लिए छिन्दवाड़ा गांधी गंज की पंजाब फर्म ने भी बोली लगाई थी लेकिन यह फर्म 7 करोड़ 50 लाख से आगे नही बढ़ी इसके साथ ही राजस्थान की फर्म ने 9 करोड़ 50 लाख ,छत्तीसगढ़ की फर्म ने 10 करोड़ 98 लाख तक की बोली लगाई थी कुछ और फर्म ने भी बढ़कर बोली लगाई किन्तु अंतिम बोली कपिल सोनी ने 11 करोड़ 1 लाख 38 हजार की बोलकर इस प्लांट को खरीद लिया है
जमीन भी बेचेगा परिसंपत्ति विभाग..
सोयाबीन प्लांट की मशीनरी के बाद राज्य शासन का परिसंपत्ति विभाग प्लांट की जमीन भी बेच सकता है यहां प्लांट की पलटवाड़ा में करीब 10 एकड़ भूमि भी है इस भूमि पर प्लांट के अलावा अधिकारी निवास और कर्मचारी निवास भी बने हुए हैं जो लावारिस अवस्था मे है यहां की कालोनी के अधिकांश मकानों के खिड़की-दरवाजे तक चोरी हो चुके हैं कई आवासों पर यहां लोगो का अवैध कब्जा है करीब तीन साल तक यहां जब केंद्रीय विद्यालय का भवन नही था विद्यालय का संचालन भी किया गया था
औद्योगिक विकास का था उदाहरण..
छिन्दवाड़ा का यह सोयाबीन प्लांट 25 साल पहले जिले के औद्योगिक विकास का उदाहरण था करीब 5 साल तक ही इसका संचालन हो पाया और इसे चलाने वाले तत्कालीन सरकार के ही तिलहन संघ के भ्र्ष्टाचार ने प्लांट को निगल लिया था तबसे यह जिले के औद्योगिक विकास में ग्रहण बतौर जाना जाता था जब प्रदेश में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थी तब वे स्वयं इस प्लांट का दौरा करने आई थी तब तिलहन संघ ने संचालन के लिए प्लांट को निजी कम्पनियो को देने की कोशिश की किन्तु तब तक छिन्दवाड़ा कृषि जगत में सोयाबीन की जगह मक्का अपना रकबा बड़ा चुका था कोई भी कम्पनी इसे लेने तैयार नही होने से इतने वर्षी में प्लांट की मशीनें ही कबाड़ बन गई और अब मशीनरी बिकने और उठने के बाद छिन्दवाड़ा से सोयाबीन प्लांट का नामोनिशान ही मिट जाएगा