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10 जुलाई को छिन्दवाड़ा के अमरवाड़ा विधानसभा में उपचुनाव, कमलेश शाह के इस्तीफा देने से खाली थी सीट

दो दिन बाद 14 जून से नामंकन, 10 जुलाई को मतदान, 13 को परिणाम

Metro City Media

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

छिन्दवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 10 जुलाई को “उपचुनाव” होगा। चुनाव आयोग ने सोमवार को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। उपचुनाव के लिए 14 जून को नोटिफिकेशन जारी होगा।  21 जून नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख होगी। 24 तारीख को नामांकनों की स्क्रूटनी और 26 जून को नाम वापसी की अंतिम तिथि होगी। 10 जुलाई को मतदान होगा और 13 जुलाई को परिणाम घोषित किए जाएंगे। अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह के इस्तीफे के कारण यह सीट खाली हुई है। कमलेश शाह कांग्रेस से यहां तीन बार लगातार विधायक चुने गए थे। हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। इस दौरान उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

कमलेश शाह हर्रई राज परिवार से है।  पैदाइशी राजा है। मगर क्षेत्र के उन्नयन के लिए नकली राजा के आगे – पीछे फिरते रहे है। अपनी औरर क्षेत्र की उपेक्षा से त्रस्त होकर  अब भाजपा में आए हैं। इस क्षेत्र में उनकी राजनीतिक पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके भाजपा में जाने से यहां लोकसभा में भाजपा करीब 16 हजार वोट से विजयी रही है। जबकि भाजपा यहां से लगातार तीन बार विधानसभा  चुनाव हार चुकी थी। अब  लोकसभा चुनाव की मतगणना और परिणाम 4 जून को ही आए हैं कि इसके दस दिन बाद ही 14 जून से  अमरवाड़ा  में  नोटिफिकेशन के साथ उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो रही है। अगले माह 13 जुलाई को  यहां नया विधायक मिल जाएगा।

तय है कि भाजपा राजा “कमलेश शाह” को ही प्रत्याशी बनाएगी। कांग्रेस को उम्मीदवार ढूढ़ना पड़ेगा। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट के लिए कांग्रेस के पास कोई   दमदार  आदिवासी नेता बचा नही है।  जो थे उनका महत्व कांग्रेस ने कभी समझा ही नही। कोई नेता उभरा तो  उसे घर बिठाने का काम कांग्रेस के नेता करते आ  रहे थे। अब छिन्दवाड़ा की जनता ने ही उन्हें ऐसा घर बिठाया कि मुह दिखाने लायक भी नही छोड़ा है। खबर है कि कांग्रेस यहां गोंडवाना के नेता देव रावण भलावी पर नजरें गड़ाए बैठी है। देव रावण ने लोकसभा में करीब 55 हजार वोट हासिल किए हैं। इनमे 23 हजार वोट अकेले अमरवाड़ा क्षेत्र से ही मिले हैं।

समीक्षकों का मानना है कि  अब छिन्दवाड़ा में गोंडवाना अपने दम पर सांसद, विधायक नही बना सकती हैं। चुनाव में केवल “वोट कटवा” की भूमिका ही  निभा सकती है। रही कांग्रेस की बात तो कांग्रेस ने छिन्दवाड़ा में गोंडवाना को हमेशा ही तोड़ने का कार्य किया है। कभी अमरवाड़ा से विधायक रहे गोंडवाना के विधायक मनमोहन शाह बट्टी को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने जाने कितने जतन किए हैं। प्रलोभन में आकर गोंडवाना के लोगो ने ही छिन्दवाड़ा से गोंडवाना को खत्म कर दिया  है। मनमोहन के बाद  पांढुर्ना से उभरे जतन उइके को भी कांग्रेस ने  तोड़ा था। उन्हें अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस में लाकर पांढुर्ना का विधायक का चुनाव लड़वाया गया था वे विधायक तो बन गए थे  किन्तु जब चुनाव का दूसरा टर्न आया तो उन्हें कांग्रेस ने  छांट दिया था।

रही भाजपा की बात तो जिले के आदिवासी वर्ग को विकास की मुख्य  धारा से जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर इस वर्ग को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिया गया है। डेढ़ दशक पहले गोंडवाना के सूत्रधार रहे मनमोहन शाह बट्टी के जाने के बाद उनकी बेटी मोनिका बट्टी भी स्वयं भाजपा में है। भाजपा ने उन्हें 6 माह पहले ही विधायक चुनाव लड़ाया था किंतु  कांग्रेस के कमलेश शाह से वे हार  गई थी। अब कमलेश शाह के भाजपा में आने से  लोकसभा के चुनाव में भाजपा को सफलता मिली हैं। उप चुनाव में भाजपा को इस सफलता को बरकरार रखने नवनिर्वाचित सांसद विवेक साहू के लिए फिर परीक्षा की घड़ी आ गई है। वही कांग्रेस लोकसभा चुनाव हारने के बाद अमरवाड़ा में क्या नया करेगी इस पर सबकी नजर रहेगी।


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