पातालकोट चिरौंजी के नाम से बनाया है ब्रांड
छिंदवाड़ा-
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले की आदिवासी तहसील तामिया का पातालकोट केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता,पर्यटन और आदिवासी जनजीवन के लिए ही नहीं अब चिरौंजी के लिए भी ख्याति पा रहा है। पातालकोट सहित तामिया के अन्य गांवों के महिला स्वयं सहायता समूह ने पातालकोट के नाम से चिरौंजी का ब्रांड बनाकर मार्केट में उतारा है स्थानीय बाजार के अलावा भोपाल और गुजरात तक पातालकोट की चिरौंजी का कारोबार है यहाँ के जंगलों के आचार के पेड़ों की चिरौंजी की बेस्ट क्वालिटी के कारण इसकी बाजार में खासी मांग रहती है
पातालकोट में हजारों किस्म की जड़ी-बूटियों का भंडार तो है ही चिरौंजी का जंगल भी है जिसे आचार के पेड़ के नाम से जाना जाता है। साल में दो बार इसमें फल आते है और आचार की गुठली फोड़कर उससे चिरौंजी निकाली जाती है। एक जमाने में कहा जाता था कि तामिया में रहने वाले आदिवासी चिरौंजी लेकर बाजार आते थे और बाजार में आए दुकानदारों को चिरौंजी देकर उसके वजन भर का सिर्फ नमक दुकानदार से ले जाते थे। इस सस्ते सौदे ने छोटा-छोटा व्यवसाय करने वाले अनेक दुकानदारों को लखपति बना दिया था और इसकी समझ ना होने से आदिवासी गरीब बने हुए थे अब यही चिरौंजी आदिवासियों को लखपति बना रही है अब तामिया पातालकोट के आदिवासी पिछड़े नही है समय के साथ वे भी आगे हैं शिक्षा और जागरुकता से तामिया पातालकोट भी कई मामलों में उन्नत हो चुका है तामिया के 30 से ज्यादा गांवों में चिरौंजी उत्पादन को लेकर यहां महिला स्वयं सहायता समूह गठित किया गया है। यह समूह ग्रामीणों से आचार गुठली की खरीदी करता है और प्रसंस्करण यूनिट में गुठली फोड़कर बेस्ट क्वालिटी की चिरौंजी का उत्पादन करता है जिसे डिब्बा बंद कर पातालकोट चिरौंजी ब्रांड नाम से बाजार में भेजा जाता है महिला समूह की यह चिरौंजी मध्यप्रदेश सहित गुजरात तक भेजी जा रही है और गुजरात से इसकी सबसे ज्यादा मांग आती है
चिरौंजी की तीस से ज्यादा यूनिट..
आचार के पेड़ों की बाहुल्यता वाले छिन्दवाड़ा के तामिया और अमरवाड़ा के गांवों में चिरौंजी प्रसंस्करण की तीस से ज्यादा यूनिट बीते दो वर्षों में लगी है क्षेत्र की वनोपज को पहचान देने पातालकोट ब्रांड का इसे नाम भी दिया गया है आजीविका मिशन के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंक से ऋण देकर यूनिट की स्थापना कराई गई है जहां चिरौंजी फोडऩे, उसकी पैकेजिंग करने से लेकर मार्केट उपलब्ध कराने का कार्य बेहतर ढंग से किया गया है। तामिया के बाद चिरौंजी के मामले में अमरवाड़ा के गांवों का भी काफी नाम है और अमरवाड़ा के भी दर्जनों गांवों में भी ऐसे दो दर्जन से ज्यादा यूनिट का संचालन महिलाएं कर रही है..
छिन्दवाड़ा को मिली नई पहचान..
चिरौंजी छिन्दवाड़ा के वन क्षेत्र की उपज है इसे न केवल नई पहचान मिली बल्कि बेहतर दाम भी मिल रहे है। बाजार में चिरौंजी से से300 से 500 रुपए किलो बिक रही है। पातालकोट चिरौंजी आर्डर पर जिले के स्थानीय बाजार के साथ ही भोपाल और गुजरात में भी सप्लाई की जा रही है ।
मध्यप्रदेश सरकार का सहयोग..
छिन्दवाड़ा के तामिया और अमरवाड़ा क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं को मध्यप्रदेश सरकार ने महिला रोजगार के अपने मिशन में 20 हजार से ज्यादा महिलाओं को जोड़कर महिला समूह बनाए हैं समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें आजीविका मिशन में ऋण और अनुदान दिया गया है और वनों में पाई जाने वाली चिरौंजी का यह कारोबार नई पहचान के साथ चल पड़ा है मिशन के जिला प्रबंधक कृषि संजय कुमार डेहरिया ने बताया कि पहले समूह की महिलायें वनों और अपने खेतों से प्रतिवर्ष चिरौंजी की गुठली एकत्रित कर बिचौलियों को कम दाम में बेच देती थीं। इससे उन्हें तो कम लाभ होता था, लेकिन बिचौलिये दोगुना लाभ कमाते थे अब वे स्वयं व्यवसाय कर ज्यादा फायदा कमा रही है..