छिन्दवाड़ा- छोटा बाजार का राम मंदिर शहर की धार्मिक आस्था का पावर सेंटर है मन्दिर को बने डेढ़ सौ साल से ज्यादा का समय हो चुका है मंदिर करीब 40 हजार वर्ग फुट स्थल पर बना है मन्दिर के गुम्बद 70 फुट ऊंचे है जो दूर -दूर से नजर आते हैं यह मंदिर ऐसे ही नही बना है बल्कि संत चौबे बाबा के जिंदा समाधि लेने के बाद बना है घटना अंग्रेजो के जमाने की है बुजुर्ग बताते हैं कि छोटा बाजार राम मंदिर के स्थल पर पहले पीपल का वृक्ष और हनुमान जी की मड़िया थी इस स्थल को जब अयोध्या से आए संत चौबे बाबा ने देखा तो वे यही रम गए और उन्होंने ही संकल्प लिया था कि यहाँ भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा उस समय शहर ज्यादा बड़ा ना था सीमित लोग थे दौर अंग्रेजो की गुलामी का था उस समय जागीरदारी चला करती थी जागीरदार से बड़ा आदमी कोई कहलाता नही था संकल्प को फलीभूत करने बाबा सहयोग की आकांक्षा में थे किंतु साल ऐसे ही बीत गया तब बाबा ने एक संकल्प और लिया कि यदि शहर में रह रहे समाज के लोगो ने मन्दिर बनाने सहयोग नही दिया तो वे जिंदा समाधि ले लेंगे और उन्होंने समाधि लेने की तिथि सहित समय भी घोषित कर दिया और इसकी सूचना भी तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर को भी दे दी थी आखिर बाबा का यह संकल्प उनके जिंदा रहते पूरा नही हो पाया और उन्होंने समाधि ले ली जो आज भी मन्दिर परिसर में है
अयोध्या से छिन्दवाड़ा आए थे चौबे बाबा ..
बाबा के समाधि लेने के बाद शहर के लोगों ने उनकी हस्ती को पहचाना बाबा कही और से नही भगवान श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या से छिन्दवाड़ा आए थे उस समय अयोध्या श्री राम जन्म भूमि मन्दिर में पूजा अर्चना को लेकर संघर्ष की स्थितियां थी बाबा का मानना था कि पूरी सृष्टि ही भगवान श्री राम की है तो एक क्या हजारो मन्दिर बनाए जा सकते हैं बाबा का नाम भी रामदास चौबे था बाबा पक्के राम के ही दास थे और राम के लिए ही जीवन समर्पित कर दिया था उनका यह समर्पण व्यर्थ नही गया बल्कि उनके मन्दिर बनाने के संकल्प को शहर के सभी समाजो ने मिलकर पूरा किया और छोटा बाजार में भगवान श्री राम का यह भव्य मंदिर बनवाया था
बाबा की अनुमति के बिना नही होते कोई काम
श्री राम मंदिर के निर्माण में तत्कालीन हर्रई जागीरदार ,पगारा जागीरदार,सहित सभी समाज के सहयोग से छोटा बाज़ार में राम मंदिर का निर्माण हुआ है आज यह मंदिर शहर की धार्मिक आस्था और चेतना का केंद्र बिंदु है यह मंदिर अपने निर्माण के करीब 160 वर्ष पूरे कर चुका है इसकी भव्यता देखते ही बनती है मन्दिर के गुम्बद करीब 70 फुट के है जो दूर-दूर से नजर आते हैं मन्दिर की विशालता में संत चौबे बाबा के विराट व्यक्तित्व की झलक है जिनकी प्रेंरणा से भगवान राम का यह विशाल मंदिर शहर ही नही पूरे जिले की पहचान है मन्दिर परिसर में संत चौबे बाबा का समाधि स्थल आज भी है मन्दिर के सभी काम काज आज भी चौबे बाबा की अनुमति से ही होते है मन्दिर और छोटा बाजार के हर उत्सव में पहले चौबे बाबा का ही ध्यान किया जाता है बाबा आज भी सूक्ष्म रूप में अपनी समाधि में विराजमान राम नाम मे लीन है मन्दिर में हर साल बसंत पंचमी के दिन संत चौबे बाबा की जयन्ती मनाई जाती है इस अवसर पर मन्दिर में विशेष हवन पूजन और भंडारा होता है जिसमे हजारो की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है