दशहरा मैदान में होगा शिव विवाह महोत्सव
छिन्दवाड़ा – हिदुत्व के नाम पर कुर्सी पर बैठने से हिदुत्व की रक्षा नही होगी बल्कि कुर्सी का उपयोग हिदुत्व की रक्षा करने के लिए करना होगा आज देश मे और अनेक राज्यों में संस्कृति वाली सरकारें है मैं कहना चाहता हूँ सरकार स्कूलों में फिल्मी गानों पर डांस बंद करा दे स्कूलों में रामायण भागवत ,रानी लक्ष्मी बाई ,चंद्रशेखर आजाद ,सुभाषचंद्र बोस सत्यवान सावित्री के चरित्र पर कार्यक्रम होना चाहिए स्कूल से ही आने वाली पीढ़ी का चरित्र बनेगा आज स्कूलों में क्या हो रहा है स्कूल विद्या के मंदिर है और विद्या के मंदिर में फिल्मी गानों पर डांस बच्चो को बुद्धि विवेकहीन बना रहा है अभी यह परिवर्तन नही हुआ तो भविष्य में पछतावा के सिवा कुछ रहेगा नही सनातनियो को सनातन की रक्षा के लिए आगे आना होगा छिन्दवाड़ा के दशहरा मैदान में महाशिवरात्रि के अवसर पर विवेक बंटी साहू पूजा श्री परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा महोत्सव के चौथे दिन धर्म रत्न शांतिदूत आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने यह बात कही उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए आने वाली पीढ़ी को संस्कार वान बनाने मंच से कहा कि बच्चों को ऐसे शिक्षा संस्थानों में भेजे जहां शिक्षा के साथ उसका चरित्र भी बन सके आज तो स्कूलों में ही टीचर ऐसे हैं जो बच्चों के तिलक लगाने ,हाथ मे कलावा पहनने ,गले मे तुलसी माला पहनने पर ही आपत्ति जता देते हैं यह हमारी संस्कृति पर हमला है आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने यह भी कहा कि आज से हर हिन्दू अपने नाम के आगे सनातनी भी लिखे उन्होंने सनातन की व्याख्या करते हुए बताया कि सनातन का अर्थ है कि सत्य का प्रतिपादन जो था है और रहेगा
मनु से बने हैं मानव
कथा के चौथे दिन उन्होंने शिव महापुराण की महिमा के अनेक लाभ गिनाते हुए नारद मोह के साथ ही मनु उत्तपत्ति, और कुबेर की कथा का बड़ा विवेचन किया उन्होंने कहा कि जब कोई नही था तब केवल शिव ही थे शिव ही परम ब्रम्ह है उनके ही एक से अनेक होने की धारणा से संसार बना है शिव ही सर्व व्यापी ,सर्ववन्दना और सर्व संस्कृति का केंद्र है सनातन संस्कृति इतनी समृद्ध है कि कोई हो ही नही सकता है भगवान शिव के अंग से ही विष्णु ब्रम्हा और माँ जगदंबा की उत्तपत्ति हैं सृष्टि की रचना के किए ब्रम्हा जी ने जिस पहले पुरुष की रचना की वह मनु है हम मनु की संतानें ही मानव और सनातनी है
पृथ्वी का पहला नगर है काशी
काशी नगरी का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह नगर भगवान भोलेनाथ ने बनाया था यहाँ भगवान श्री हरि विष्णु और माता श्री लक्ष्मी ने हजारो साल रहकर तपस्या की थी और सृष्टि की रचना की शुरुआत भी काशी से हुई है उन्होंने कहा कि सनातन अस्त्र ,शस्त्र और वस्त्र वाला है लेकिन आजकल लोग केवल वस्त्र देखते हैं हमारे कोई भी देवी -देवता बिना अस्त्र -शस्त्र के नही है रक्षा करना सनातनी का दायित्व है महाशिवरात्रि के दिन माँ भवानी को त्रिशूल तलवार के साथ ही सौभाग्य की सामग्री का चढ़ावा करने की बात बताते हुए आचार्य श्री बोले कि घर परिवार स्त्री की रक्षा पुरूष का दायित्व है कथा में उन्होंने लोगो को अनेक टिप्स और सबक भी दिए हैं आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने माटी में मिले माटी पानी मे मिले पानी भजन भी सुनाया साथ ही शिव आराधना के लिए सोमवार विशेष पर रुद्राष्टम पाठ भी किया कथा के पांचवे दिन शिव महापुराण में शिव विवाह की कथा होगी इसके लिए शिव बारात भी निकाली जाएगी
14 फरवरी को निकलेगी भगवान शिव की बारात
दशहरा मैदान में चल रहे शिव महापुराण कथा महोत्सव में 14 फरवरी को भगवान शिव का विवाह उत्सव मानाया जाएगा उत्सव के लिए भगवान शिव की महा बारात शहर के टाउन हॉल शिव मंदिर से निकाली जाएगी बारात में भगवान शिव के रूप में सजे पात्र के साथ ही देवी -देवता ,भूत – पिशाच के साथ अनेक आकर्षण होंगे डी जे बैंडबाजा धमाल के साथ यह बारात 4 बजे निकलेगी और दशहरा मैदान पहुँचेगी 14 फरवरी को आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज शिव विवाह के प्रसंग पर प्रवचन करेंगे
साहू परिवार और समाज सेवियों ने की आरती
शिव महापुराण कथा महोत्सव में आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज के व्यास पीठ में पहुचने पर व्यास पीठ और समापन आरती नरेंद्र साहू ,विवेक बंटी साहू ,नवीन साहू सहित साहू परिवार ने की कथा सुनने आए सामाजिक ,धार्मिक ,व्यापारिक मंडलो के प्रतिनिधियों सहित समाज सेवियों ने आचार्य श्री का अभिनंदन किया कथा सुनने दशहरा मैदान में हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब है
भगवान श्री हरि विष्णु की प्रस्तुत की झांकी
नारद मोह के प्रसंग में भगवान श्री हरि विष्णु की आकर्षक मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई यजमान साहू परिवार ने श्री जी का पूजन किया नारद के श्राप के कारण ही भगवान श्री हरि विष्णु ने पृथ्वी पर मानव रूप में भगवान राम के रूप में अवतार लिया था उन्हें स्त्री वियोग भी भोगना पड़ा था और हनुमान सहित वानर सेना का सहयोग लेना पड़ा था देवर्षी नारद ने ही विश्वमोहनी से विवाह ना हो पाने पर श्री हरि विष्णु को श्राप दिया था कि अब तुम्हे भी पृथ्वी पर मानव रूप में रहना होगा स्त्री वियोग का कष्ट उठाना होगा और जिस बंदर का स्वरूप स्वयंवर में मेरा बनाया है संकट में ये बंदर – भालू ही तुम्हारे काम आएंगे आचार्य देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने कहा कि यह सब शिव महिमा थी रावण की समाप्ति के लिए यह रचना की गई थी रावण ने पृथ्वी पर 72 चौघडी वर्ष राज किया था