नगर निगम : बहुमत के बाद भी भाजपा को झटका, अध्यक्ष के खिलाफ पारित नही हो पाया अविश्वास प्रस्ताव , सोनू मांगो बने रहेंगे अध्यक्ष
36 के आंकड़े में भाजपा नही जुटा पाई 32 का बहुमत
♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश-
नगर निगम के अध्यक्ष सोनू मांगो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना भाजपा को महंगा पड़ गया है। 36 के आंकड़े की शिकार भाजपा यहां जरूरी दो तिहाई बहुमत में 32 का आंकड़ा नही जुटा पाई है।बहुमत होने के बाद भी भाजपा का लाया अविष्वास प्रस्ताव पारित नही हो पाया है। अब कांग्रेस के सोनू मांगो ही नगर निगम के अध्यक्ष बने रहेंगे। प्रस्ताव पारित कराने के लिए निगम के 48 पार्षदो में से 32 पार्षदो का बहुमत जरूरी था लेकिन जब वोटिंग हुई तो भाजपा को 27 और सोनू मांगो को 21 वोट मिले और प्रस्ताव 5 वोट से गिर गया है।
निगम के 48 पार्षदो में भाजपा के पास 34 और कांग्रेस के पास मात्र 14 पार्षद है। कांग्रेस के सोनू मांगो ने साबित कर दिया कि वे नेता हैं और उन्हें राजनीति का खेला अच्छे से आता हैं। मात्र 14 पार्षद रहने के बावजूद उन्होंने 21 पार्षदो का समर्थन हासिल कर भाजपा को दो तिहाई बहुमत से दूर धकेल कर अपनी कुर्सी बचा ली है। अविष्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा के दिग्गज लगे हुए थे। भोपाल से प्रदेश संघठन मंत्री भगवान दास सबनानी भी यहां डेरा डाले हुए थे। सांसद चुनाव जीतने के बाद भाजपा को लगा यह झटका बता रहा है कि पार्टी में अभी भी सब कुछ ठीक – ठाक नही है।
भाजपा ने अपना निगम अध्यक्ष बनाने के लिए यह अविष्वास प्रस्ताव लाया था। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के समक्ष 34 पार्षदो के बहुमत का आवेदन दिया था। कलेक्टर ने 8 अक्टूम्बर को अविष्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए नगर निगम परिषद का विशेष सम्मेलन बुलाया था। सम्मेलन कलेक्टर की अध्यक्षता में हुआ। महापौर सहित 47 पार्षद सम्मेलन में शामिल हुए।
प्रक्रिया में कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने गुप्त मतदान कराया लेकिन भाजपा को 27 और सोनू मांगो को 21 पार्षदो के वोट मिले। मतदान में भाजपा दो तिहाई बहुमत में 32 का आंकड़ा भी नही जुटा पाई। निगम में भाजपा 36 के आंकड़े का शिकार हैं।
सोनू मांगो बतौर अध्यक्ष दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। नगर निगम चुनाव में पार्षद बनने के बाद कांग्रेस के बहुमत के साथ उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था। बदले हालात में भले ही कांग्रेस के महापौर सहित 14 पार्षद पाला बदलकर भाजपा में चले गए हो लेकिन सोनू ने पाला नही बदला बल्कि अपना बहुमत कायम रख भाजपा के अविष्वास प्रस्ताव को पटखनी देकर कांग्रेस को एक बार फिर नई ऊर्जा से भर दिया है। इस छोटे चुनाव से यह एक बार फिर साबित हो गया है कि भाजपा के स्थानीय नेता स्थानीय स्तर पर कुछ कर पाए संभव नही लगता है। इस अविष्वास प्रस्ताव ने भाजपा की किरकिरी करा दी है।