राजनीति छिन्दवाड़ा विधान सभा क्षेत्र की..
– मुकुन्द सोनी-
छिन्दवाड़ा- विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है ऐसे में छिन्दवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मैदान का क्या गणित होगा कांग्रेस से तय ही है कि प्रदेश काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व सी एम कमलनाथ फिर दोबारा प्रत्याशी होंगे कांग्रेस से बतौर सी एम केंडिडेट वे भाजपा के लिए फिर बड़ी चुनोती रहेंगे इस बार वे उपचुनाव में नही सीधे आम चुनाव में ही मैदान में उतरेंगे कमलनाथ ना केवल छिन्दवाड़ा बल्कि कांग्रेस से पूरे मध्यप्रदेश का चेहरा है लेकिन भाजपा से छिन्दवाड़ा विधान सभा क्ष्रेत्र में कौन..? यह सवाल भाजपा के स्थानीय नेताओं को हार-जीत की चिंता किए बगैर मैदान में डटने को मजबूर करता है पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने एक नही दो बार भाजपा को हराया है पहले आम चुनाव में कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने भाजपा के चौधरी चंद्रभान को हराया और फिर 6 माह बाद हुए उपचुनाव में सी एम रहते हुए कमलनाथ ने विधायक का चुनाव लड़ा था तब भाजपा ने बंटी साहू को मैदान में उतारा था बंटी साहू चुनाव तो नही जीते लेकिन इस चुनाव को फाइट करने का पार्टी ने उन्हें बड़ा ईनाम देकर पार्टी का जिला अध्यक्ष बना दिया था अब जिला अध्यक्ष रहते उनका कार्यकाल जाते दिसम्बर के साथ ही समाप्त होने को है पिछले उप चुनाव में भले ही भाजपा चुनाव नही जीती थी लेकिन संगठन में नए नेतृत्व से पार्टी में नई हल-चल आई और जमे-ठमें नेताओ को ही हिला गई है छिन्दवाड़ा विधानसभा के उप चुनाव के बाद से कई सवाल भाजपा की राजनीति में बने हुए थे कि आखिर कमलनाथ के मैदान में उतरने पर चौधरी चन्द्रभान मुकाबले के लिए ना मैदान में उतरे ना ही मोर्चा संभाला तो क्या भाजपा संगठन ने उनको छोड़कर बंटी साहू को टिकट देकर चुनाव लड़ाया था भाजपा का प्रदेश संगठन तो उपचुनाव में भी चौधरी चन्द्रभान को ही पुनः मैदान में उतारने के पक्ष में था लेकिन कहते हैं कि चौधरी चन्द्रभान ने चुनाव लड़ने से स्वयं ही मना कर दिया था जबकि वे छिन्दवाड़ा में भाजपा की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है चार बार छिन्दवाड़ा से विधायक चुने जा चुके हैं प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं चौधरी चन्द्रभान की उपचुनाव ना लड़ने की गलती ने ही छिन्दवाड़ा भाजपा मे बदलाव की भूमिका को जन्म दिया था इस नई भूमिका से अब छिन्दवाड़ा में भाजपा की विभीषिका नए औऱ पुराने नेताओ के नाम पर दो गुट वाली हो गई है दोनों गुट पार्टी में ही आमने-सामने है गुटबाजी का यह नजारा साफ तौर पर निकाय और पंचायत के चुनाव में देखा जा चुका है गुटबाजी में उलझी भाजपा से कांग्रेस ने तीन माह पहले ही निकाय और पंचायत चुनाव में नगर निगम औऱ जिला पंचायत भी छीन ली है
भाजपा में निर्वाचित नेता नहीं..
छिन्दवाड़ा में ना भाजपा के सांसद हैं ना विधायक और ना ही महापौर और ना ही जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि चौधरी चन्द्रभान के विधायक रहते नगर निगम में कांता सदारंग और जिला पंचायत में कांता ठाकुर अध्यक्ष रही है अब निगम में कांग्रेस के विक्रम अहके और जिला पंचायत में सजंय पुन्हार अध्यक्ष है प्रदेश में सत्ता के नाम पर संगठन के नेता यहां प्रशासन पर हावी नजर आते हैं किंतु चुनावी मुकाबले में पार्टी फ्लॉप शो हो जाती है आखिर क्यों इसको लेकर कई समीक्षा हो चुकी है रिपोर्ट भी बन चुकी है किन्तु अगले चुनाव में बेहतर की उम्मीद में कोई फेरबदल नही किया जाता है अब गुजरात चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में चुनावी तैयारी का श्री गणेश होने को है ऐसे में छिन्दवाड़ा में भी बड़े बदलाव की सुगबुगाहट बन रही है
क्या चौरई पर है निगाह..
वर्तमान में चौधरी चन्द्रभान सिंह ओल्ड इस गोल्ड की तर्ज पर अपनी लाबी को लाइनअप करने की कवायद में नजर तो आ रहे हैं किन्तु उनकी रणनीति कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना जैसी लग रही है कहा जा रहा है कि वे वोटो के गणित में चौरई विधानसभा क्षेत्र पर भी नजर गाड़े हुए हैं और छिन्दवाड़ा में भी अपनी ही लाबी से एक नया दावेदार लांच करने का गेम प्लान बना चुके है तो क्या चौधरी चन्द्रभान आने वाले विधान सभा चुनाव में भी छिन्दवाड़ा में कमलनाथ के सामने मुकाबला में नही होंगे तब तो फिर क्या वही होगा जो पिछले चुनाव में हुआ था या फिर कुछ और …