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छिन्दवाड़ा के चौरई में माता षष्ठी का चमत्कारिक धाम कपूरधा : कुएं से प्रकट हुई थी देवी ,करती है सबकी मनोकामना पूरी

यहाँ माता के दरबार से नही लौटता है खाली ,मान्यता - मनोती के बंधे है लाखो धागे

Metro City Media

 

मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

छिन्दवाड़ा की चौरई तहसील के एक छोटे से गांव कपूरधा में  माता षष्ठी का चमत्कारिक धाम “कपूरधा” है गांव का नाम पहले से ही कपूरधा है और करीब 82 साल पहले माता का धाम बनने से इसका नाम ही कपूरधा देवी धाम हो गया है छिन्दवाड़ा जिले का शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जो माता के इस धाम पर ना आया हो  यहां बिना कपूर के माता की पूजा नही होती है भक्त कपूर जलाकर ही माता के दरबार मे मत्था टेकते है और मनोती पूरी होने की खुशी में दरबार मे लौट – लौट कर आते हैं

यह प्रमाणित सत्य है कि माता के इस  धाम पर हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है मन्दिर में मन्नत के बंधे लाखों धागे  इस बात की गवाही देते हैं माता की पुजा यहां कुल देवी के रूप में होती है सन्तान की इच्छा हो या फिर संतान होने के बाद मुंडन संस्कार या फिर और कोई मनोती माता सबकी सुनती है इस मंदिर में केवल साल के दो नवरात्र नही बल्कि साल के 365 दिन ही भक्तों का तांता रहता है

माता षष्ठी ने यहां स्वयं अपनी उपस्थिति का प्रमाण दिया था भक्तों के कल्याण के लिए वे यहां विराजित है   है   भक्त यहां अकेले नही बल्कि पूरे परिवार सहित आते हैं  षष्ठी माता का यह धाम माता के आदेश से ही बना है गांव में रहने वाले श्रीवास्तव परिवार की कपुर्दा में लंबी-चौड़ी खेती है खेत मे कुआं है इस कुँए में ही प्रतिमा रूप में होने का दाखिला माता ने श्रीवास्तव परिवार को 82  साल पहले दिया था। श्रीवास्तव परिवार ने जब कुँए को खाली कराया तब माता की प्रतिमा मिली जिसे पहले मड़िया में स्थापित किया गया और आज इस स्थल में माता का विशाल मंदिर है वर्ष 1940 में छिन्दवाड़ा की धरती पर माता षष्ठी का यह धाम माता के आदेश से ही अस्तित्व में आया और अब छिन्दवाड़ा ही नही माता षष्ठी के हर भक्त की आस्था का केंद है

माता के धाम के लिए श्रीवास्तव परिवार ने कुआ सहित खेत की जमीन माता के धाम के नाम कर धाम को विस्तार दिया है माता ने सबसे पहले इस परिवार की ही मनोती पूरी की थी और फिर उसके बाद जब कपुर्दा मन्दिर की ख्याति दूर-दूर तक पहुंची और यहां रोज ही भक्तों का तांता लगता है षष्ठी माता के इस दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नही गया है यहां आकर हर भक्त की ना केवल मनोकामना पूरी होती है बल्कि दैवीय शक्ति का अहसास भक्तों को उस चेतना से भर देता है जो सर्वमान्य है और इस सृष्टि की सावभोमिक सत्ता है जो दिखाई तो नही देती लेकिन जीवन के सारे संकट हर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है

माता के धाम में अधिकतर श्रद्धालु संतान सुख और संतान सुरक्षा की मनोती लेकर आते हैं और पूर्ति होने पर परिवार सहित आकर माता के दरबार मे शीश नवाते है इतना ही नही मन्दिर में बच्चों के वजन बराबर गुड़ सहित अन्य ,प्रसाद चढ़ाया जाता है शादी के लिए भी यहां अर्जी श्रद्धालु लगाते हैं और फिर जोड़े सहित माता पूजन को  आते हैं बच्चो की बधाइयां,शादी की बधाइयां के साथ ही कुटुम्बिक पूजा अर्चना का दौर माता के दरबार मे रोज होता है

कपुर्दा मन्दिर मे माता षष्ठी मन्दिर के ठीक पीछे मैली माता का भी चमत्कारिक स्थल भी  है
यहां बच्चो की बुरी नजर के अलावा अला-बला सब उतर जाती है पंडित यहां माता के सामने खड़े होकर मैली उतारते हैं इसके बाद श्रद्धालु मन्दिर परिसर के उस कुँए जिससे देवी माँ प्रतिमा रूप में प्रकट हुई है के पानी से स्नान कर अपने आपको अला-बला ,बुरी नजर, रोग बीमारियों मानसिक बाधा सहित अनेक परेशानियों से मुक्त महसूस करते हैं यह माता के इस धाम का विशेष प्रताप है मन्दिर में चैत्र और शारदीय नवरात्र पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुँचते है इतना ही नही 9 दिन की अखंड ज्योत के लिए यहां हजारो की संख्या में मनोकामना कलश भी रखवाते है


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