धार्मिक

मध्यप्रदेश के सागर छावनी क्षेत्र में है परेड वाले हनुमान का मन्दिर

मान्यता है भक्त सैनिक की जगह परेड करने गए थे हनुमान जी

Metro City Media

परेड वाले हनुमान मंदिर सागर में हनुमान जी की मूंछो वाली प्रतिमा

परेड वाले हनुमान का मंदिर  सागर रेल्वे स्टेशन छावनी

मध्यप्रदेश के सागर जिले में रेलवे स्टेशन के पास सेना छावनी में हनुमान जी का प्रतापी मन्दिर है जिसे लोक मान्यता में परेड वाले हनुमान का मंदिर कहा जाता है  यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 26 -ए पर छावनी क्षेत्र में स्थित है सागर रेलवे स्टेशन  और  बस स्टेशन से  करीब  3-4 किलोमीटर की दूरी पर है।

इस मंदिर से एक हनुमान भक्त सैनिक की कहानी जुड़ी है  जो अपनी हनुमान साधना में परेड में नही जा सका और जब उसने अपने कमांड अफसर से परेड में ना आ पाने  के लिए माफी मांगी तो अफसर का कहना था कि आप कहा अनुपस्थित थे आप तो परेड में थे तो वह कौन था जो परेड में था बस तब से ही इस मंदिर का नाम परेड वाले हनुमान मंदिर है यह घटना अभी कक नही है वर्ष 1934 के आस – पास की बताई जाती है

मन्दिर को लेकर प्रचलित किवदंती के अनुसार एक सागर में रहने वाला एक सैनिक रोज अपनी ड्यूटी में जाने से पहले घर के पास  के हनुमान मंदिर में श्रीरामचरितमानस  और हनुमान चालीसा पढ़ता था हनुमानजी का पक्का भक्त था एक  दिन मन्दिर में  श्रीरामचरितमानस पढ़ते-पढ़ते रामायण में प्रगाढ़ रूप से अन्तर्मग्न हो गया और उसे समय का भी बोध नही हो पाया    जब उसका ध्यान टूटा तब  याद आया कि आज तो  शिविर में  परेड  के अभ्यास में  भाग लेना था उसे लगा कि ड्यूटी में चूक हो गई है तब वह कमांडेंट  के पास गया परेड में ना आने के लिए क्षमा मांगी  कमांडेंट ने उसे आश्चर्य से देखा और पूछा कि वो क्षमा क्यों मांग रहा है जबकि उसने सुबह  परेड  में भाग लिया था। यह हनुमान भक्त सैनिक के लिए  आश्चर्यजनक घटना थी। इस बात की पुष्टि उसके दल के अन्य सैनिकों ने भी की कि वह तो परेड में था

 भक्ति में छोड़ दी सेना की सर्विस ..

इस सैनिक ने जब कमांडेंट और अपने साथी सैनिकों से सुना कि वह तो परेड में था तब यह विश्वास उसके मन मे गहरे उतर गया कि वह मन्दिर में था और उसके स्थान पर हनुमान जी उसका रूप लेकर परेड में गए थे  वह रात भर सो नही पाया और सुबह मन्दिर जाकर एक टक हनुमान जी की प्रतिमा को निहारते रहा उसने प्रतिमा से बात की प्रतिमा में भाव – भंगिमा से हनुमान  जी ने उसे जवाब भी दिया फिर क्या था वह हनुमान भक्ति में ही लीन रहने लगा और सेना की सर्विस भी छोड़ दी

 रामचरित मानस पर करने लगा प्रवचन

इस सैनिक को यह ज्ञान हुआ कि भगवान श्री राम की  महिमा का प्रसार करने का प्रारब्ध उसे मिला है वह मन्दिर के अलावा जगह – जगह श्री रामचरित मानस पर प्रवचन करने लगा था  तबसे यह हनुमान मंदिर  परेड  वाले हनुमान मंदिर के नाम से विख्यात है

 प्रतिमा में है हनुमान जी की मूंछ

परेड वाले हनुमान मंदिर में हनुमान जी की जो प्रतिमा है उसमें हनुमान मूंछ वाले हैं यह उनका सैनिक अवतार ही है प्रतिमा में उनका  दाहिना हाथ ऊपर की ओर उठा है  हाथ उनकी छाती पर ह्रदय के पास रखा है। उनका दाहिना पैर एक दानव के सिर पर रखा हुआ है। उनका बायां पैर जमीन पर अचल है। भगवान की लंबी पूंछ दायें कंधे के पीछे से होते हुये सिर से ऊपर उठी हुई है। भगवान की बड़ी उज्ज्वल आँखें उनके चेहरे पर एक मुस्कान  हैं। राम नवमी,  हनुमान जयंती,  महाशिवरात्रि , कृष्ण जन्माष्टमी  मंदिर में  उत्सव की तरह मनाई जाती है। पुराने मंदिर का नवीकरण और कुंभाभिषेक 1934  में लक्ष्मण गिरि नागा बाबा ने कराया था  परेड हनुमान मंदिर का प्रबन्धन  पंच झुना अखाड़े के महंत द्वारा ही किया जाता है

जय हनमान ज्ञान गन सागर ….


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