छिन्दवाड़ाधार्मिक

हर शनिवार हनुमान जी को चढ़ाते हैं एक किवंटल फूलों से बनी माला

छिन्दवाड़ा में एक फूल बेचने वाले की अनोखी हनुमान भक्ति

Metro City Media

ढोल-बाजा सहित साथियों के साथ जाते हैं मंदिर …

 

-मुकुन्द सोनी -छिन्दवाड़ा-शहर में एक फूल बेचने वाले की हनुमान भक्ति बड़ी अनोखी है मन्दिर से ही कुछ दूरी पर उसकी फूल की दुकान है दिन भर वह फूल बेचकर ही अपनी रोजी रोटी चलाता है सप्ताह में जब शनिवार आता है तो यह दिन उसके लिए खास हो जाता है शनिवार को वह अपनी दुकान के पास स्थित छिन्दवाड़ा शहर के ख्यातिलब्ध औऱ सिद्ध अनगढ़ हनुमान मंदिर में स्थित हनुमान जी की 20 फुट ऊंची प्रतिमा पर एक किवंटल फूलों से बनी माला समर्पित करता है माला समर्पित करने वह अकेले नही जाता बल्कि अपने साथियों को भी ले जाता है हनुमान जी को वह यह माला हर शनिवार को चढ़ाता है इसके लिए वह स्वयं माला तैयार करता है और शाम को अपनी दुकान से ढोल बाजो के साथ मन्दिर जाता है उसकी इस भक्ति में फूल बाजार के अन्य साथी भी खुशी-खुशी शामिल होते हैं 20 फुट ऊंची प्रतिमा को ढोल-बाजो की उत्साह वर्धक ध्वनि के बीच सबके सहयोग से यह माला प्रतिमा में चढ़ाई जाती है

माला का वजन ही एक किवंटल का होता है जिसे मन्दिर तक ढोल-बाजो के साथ नाचते- गाते लाया जाता है फिर कुछ लोग प्रतिमा की हाइट से लगी मन्दिर की छत पर जाते हैं कुछ मन्दिर की बॉउंड्री वाल पर खड़े होते हैं और कुछ लोग प्रतिमा के सामने खड़े होते हैं तब कहीं जाकर यह एक किवंटल  की माला हनुमान जी को समर्पित होती है  यह क्रम  लंबे समय से लगातार चल रहा है अब तो मन्दिर में हर शनिवार यह माला समर्पण समारोह होता है जिसे देखने भक्त भी बड़ी संख्या में जुटते है

यह भक्त कोई रईसजादा नही फूल बेचकर गुजर-बसर चलाने वाला धर्मेन्द्र ब्रम्हवंशी है धर्मेन्द्र का कहना है कि हनुमान जी के प्रति स्वप्रेरणा से यह कार्य करता है

ख्यातिलब्ध और सिद्ध है अनगढ़ हनुमान मंदिर..

छिन्दवाड़ा-नागपुर मार्ग पर अनगढ़ हनुमान मंदिर शहर के बीचों-बीच  जिला चिकित्सालय के समीप स्थित है और शहरवासियों की आस्था का केंद्र है जैसे कि नाम से ही तय है कि किसी ने गड़ा नहीं इसलिए अनगढ़ यहां मन्दिर में हनुमान  जी की अनगढ़ प्रतिमा है और बाहर 20 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा बनाई गई है इस प्रतिमा को बने भी 25 साल से ज्यादा का समय हो चुका है अब यह हनुमान प्रतिमा शहर की पहचान है

40 साल पहले थी मड़िया अब विशाल मंदिर …

करीब 40 साल पहले यहां हनुमान जी की मड़िया मात्र थी जिसे अनगढ़ हनुमान के नाम से जाना जाता था समय के साथ इस मड़िया का भी विस्तार हुआ है और अब मड़िया के स्थान पर अनगढ़ हनुमान का विशाल मंदिर है ब्रम्हलीन जगदगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य नागेंद्र ब्रम्हचारी मन्दिर के सेवादार है


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