
मुकुंद सोनी 9424627011
अब तक वसूले मात्र 8 करोड़.
छिंदवाड़ा –
छिन्दवाड़ा जिले में हुए चिटफंड घोटाले में दर्जन भर पैराबैकिंग कंपनियां जिलेभर के निवेशकों को 200 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा गई है। इन कंपनियों से अब तक मात्र 8 करोड़ रुपए वसूल हुए है। हजारों की संख्या में निवेशक अब भी आस लगाए बैठे है कि उन्हें कंपनियों से रुपया वापस मिलेंगे। इंतजार में उनकी आशाएं तार-तार हो रही है। ये वे पैरा बैकिंग कंपनियां है जिन्होंने पांच साल पहले जिले के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक अपना जाल फैलाया था और लग्जरी डेकोरम ऑफिस खोलकर मात्र चार साल में रकम दोगुनी और जमा रकम पर 10 से 12 प्रतिशत का ब्याज सहित अनेक निवेश योजनाएं बताकर लोगों से रुपया जमा कराया था लेकिन जब देने की बारी आई तो कंपनियों के फर्जीवाड़ा उजागर हो गए कम्पनिया किसी भी निवेशक को रुपये नही लौटा पाई थी कंपनियों के दफ्तरों के सामने निवेशकों के हंगामे होने के बाद पुलिस प्रशासन जगा था तब निवेशकों की रिपोर्ट पर कंपनियों के मालिकों से लेकर प्रबंधकों तक पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए थे अभी दर्जनों कंपनियों के मामले न्यायालयों में विचाराधीन है। पुलिस ने अब तक कंपनियों से लगभग 8 करोड़ रुपए की राशि वसूली है । जिसे न्यायालय में जमा कराया गया है। न्यायालय के फैसले के बाद निवेशकों को यह राशि लौट सकेगी
ये थी कंपनियां..
जिले में पैरा बैकिंग के नाम पर लूटपाट मचाने वाली कंपनियों में सांई प्रसाद प्रापर्टी, सांई प्रकाश गु्रप, रोजवेली, इरामिरेकल, पल्र्स इंडिया लिमिटेड, बीएम गोल्ड, इंडर्सवेयर, निर्मल इफ्रा, शुभ सांई, देवकरण और मिलियम माइल्स जैसी कंपनियां थी। इनसे पहले सहारा इंडिया जैसी कम्पनी में भी छिन्दवाड़ा के निवेशकों के करोड़ो रूपये डूब चुके हैं
सांई प्रकाश गु्रप पर 50 करोड़ की देनदारी…
जिले के निवेशकों में सांई प्रकाश गु्रप ऑफ कंपनी की सबसे बड़ी देनदारी है। इस कंपनी को जिले के निवेशकों को करीब 50 करोड़ रुपए लौटाने है। पुलिस के रिकार्ड के मुताबिक सांई प्रसाद ने करीब 2 करोड़, सांई प्रकाश ने 50 करोड़, रोजवेली ने दो करोड़, इरामिरेकल ने 15 करोड़, पल्र्स इंडिया ने 10 लाख, बीएम गोल्ड ने चार करोड़, इंडर्सवेयर ने 18 करोड़, निर्मल इंफ्रा ने 50 लाख, शुभसांई ने ढाई करोड़ और मिलियम माइल्स ने निवेशकों की एक करोड़ से ज्यादा की राशि की ठगी की है। उपरोक्त कम्पनियो के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले अब न्यायालय में चल रहे हैं
अब दफ्तर का पता ना प्रबन्धक और कर्मियों का..
चार साल पहले तक जिला मुख्यालय में हर कंपनी अपने बड़े-बड़े दफ्तर खोलकर बैठी थी और कंपनी के प्रबंधक से लेकर कर्मचारी और एजेंट जिले भर में सक्रिय थे। जब कंपनी राशि नहीं लौटा पाई तो कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए और निवेशकों के हंगामे के बाद पुलिस ने प्राय: सभी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए है और उनके मालिकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। कंपनियों के ये मामले जिला न्यायालय में विचाराधीन है और न्यायालय के आदेश पर कंपनियों की संपत्ति बेचकर अब तक केवल 8 करोड़ रुपए वसूल हुए है।