छिन्दवाड़ा के सीनियर भाजपा नेता कन्हईराम रघुवंशी ने की आत्महत्या, खुद को घर मे मारी गोली, दरवाजा तोड़कर निकालना पड़ा शव
तीन बार भाजपा जिला अध्यक्ष और लगातार दो बार रहे नगर पालिका के अध्यक्ष

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा जिले के मोस्ट सीनियर भाजपा नेता ” कन्हई राम रघुवंशी” ने शुक्रवार को सुबह करीब 11बजे अपने नरसिंहपुर नाका गणेश कालोनी स्थित घर मे खुद को रायफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे। आज सुबह उन्होंने चाय- नाश्ता के बाद दवाइयां ली और फिर अपने कमरे में पहुंचकर रायफल से स्वयं पर गोली दाग ली। गोली उनके कंधे से आर – पार हो गई।इससे पहले कि परिजन कुछ कर पाते उनकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। गोली की आवाज सुनकर पूरा परिवार चौक गया लेकिन दरवाजा बंद होने से तत्काल उनके पास कोई पहुंच नही सका। दरवाजा तोड़कर ही उनके शव को बाहर निकाला जा सका।
घटना की खबर तत्काल ही पुलिस को दी गई। धरम टेकड़ी चौकी पुलिस के प्रभारी सहित स्टाफ तत्काल मौके पर पहुंचे। उनके कमरे का मुआयना किया। कमरे में उनके शव के साथ रायफल भी थी।इसके बाद पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है।
जैसे ही कन्हई राम रघुवंशी के इस तरह निधन की खबर शहर में फैली किसी को विश्वास नही हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। कन्हई राम रघुवंशी छिन्दवाड़ा जिले में भाजपा के आधारस्तंभ थे। कांग्रेस शासनकाल में हजारों प्रताड़नाए झेलकर उन्होंने पार्टी खड़ी की। जिला भाजपा कार्यालय का निर्माण करवाया था। उस समय भोपाल के बाद छिन्दवाड़ा ऐसा दूसरा जिला था जहां भाजपा का कार्यालय था।
कन्हई राम रघुवंशी ने भाजपा संगठन को खड़ा करने में अपना जीवन लगा दिया। वे पहले ऐसे नेता थे जो लगातार तीन बार भाजपा के” जिलाध्यक्ष” रहे। इसके बाद दो बार छिन्दवाड़ा नगर पालिका के निर्वाचित अध्यक्ष रहे। शहर विकास के लिए उन्होंने अध्यक्ष रहते हुए जो प्रोजेक्ट बनवाए थे उन पर आज भी कार्य चल रहा है।
कन्हई राम रघुवंशी को भाजपा के शीर्षथ नेता अटल बिहारी बाजोपेई, लालकृष्ण आडवाणी, सुंदरलाल पटवा, शिवराज सिंह चौहान ,उमा भारती व्यक्तिगत रूप से जानते थे।कन्हई राम रघुवंशी के नेतृत्व में ही छिन्दवाड़ा में भाजपा जिले के सातों विधानसभा क्षेत्र का चुनाव भी जीती थी। छिन्दवाड़ा के एक छोटे से गांव नेर में जन्मे कन्हई राम रघुवंशी ने पार्टी के लिए अपना जीवन खपा दिया। छिन्दवाड़ा जिले में गहरी पैठ और पकड़ वाले नेता थे। अपनी उम्र के सातवें दशक में पार्टी की उपेक्षा से दुखी थे और बीमार रहने लगे थे।