छिन्दवाड़ा लोकसभा : भाजपा का भरोसा विवेक बंटी साहू,पहले कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ अब उनके पुत्र नकुलनाथ से मुकाबला
पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान,20 से 27 मार्च तक होगा नामांकन
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
भाजपा के जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू छिन्दवाड़ा में भाजपा का भरोसा हैं। पार्टी ने उन्हें दो बार छिन्दवाड़ा विधानसभा से मौका देने के बाद अब लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। छिन्दवाड़ा कांग्रेस का गढ़ है और इस गढ़ को जीतने पार्टी ने सक्रियता के आधार पर विवेक बंटी साहू का चयन किया है। पार्टी का यह नेता दो बार विधानसभा का चुनाव भले ही हार गया हो मगर हार मानकर घर नही बैठा है ना ही पार्टी ने बैठने दिया है।विधानसभा के बाद उन्हें लोकसभा की यह बड़ी जवाबदारी दी गई है कि वे निवाचित होकर संसद में पहुंचे।
मध्यप्रदेश में एक बार मुख्यमंत्री और दूसरी बार मुख्यमंत्री का चेहरा रहे कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ से उन्होंने विधानसभा चुनाव में लोहा लिया था। यह बात तो पार्टी भी जानती थी कि सी एम फेस के आगे चुनाव फेस करने के परिणाम क्या होंगे। भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने पार्टी आदेश पर इस चेलेंज को एक बार नही दो – दो बार स्वीकार कर पार्टी के वोट बैंक की परीक्षा दी है। चुनावी तपिश को झेलकर हार का प्रहार सहा है। अब पार्टी ने उन्हें पूर्व सी एम कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुलनाथ के सामने लोकसभा के मैदान में उतार दिया है। यह भी संयोग है कि पहले उनका मुकाबला पिता से था अब पुत्र से है।
उनके लोकसभा से मैदान में होने से छिन्दवाड़ा में भाजपा की राजनीति का संदेश साफ है कि भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू ही पार्टी के नेता हैं। क्या हो कि वे यदि सांसद चुने गए तो केंद्र में तीसरी बार बनने वाली मोदी सरकार में मंन्त्री भी बन सकते हैं। पार्टी को छिन्दवाड़ा में इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि छिन्दवाड़ा की जनता भाजपा का सांसद चुनकर संसद भेजे। ना केवल पार्टी कार्यकर्ता बल्कि छिन्दवाड़ा के मतदाताओं के लिए यह बड़ा मौका है कि वे छिन्दवाड़ा का भविष्य तय करे। यह तो तय ही है कि तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। ऐसे में छिन्दवाड़ा भी मोदी की गारंटी के साथ खड़ा होगा। भाजपा ने विवेक बंटी साहू को लोकसभा का प्रत्याशी बनाकर इस बात की गारंटी छिन्दवाड़ा की जनता से मांगी है।
छिन्दवाड़ा में सांसद के लिए भाजपा का संघर्ष लंबा हो चला है। अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। पूर्व सी एम कमलनाथ लगातार 9 बार छिन्दवाड़ा से सांसद रहे है। पिछले चुनाव में पहली बार उनके पुत्र नकुलनाथ सांसद बने थे। अब दूसरी बार पुनः मैदान में है। 1996 का उप चुनाव छोड़कर भाजपा को छिन्दवाड़ा लोकसभा में कभी सफलता नही मिली है। सांसद के इस संघर्ष में प्रतुल चंद्र द्विवेदी, ,रामकिशन बत्रा, माधव लाल दुबे, चौधरी चंद्रभान, संतोष जैन ,सुंदरलाल पटवा, प्रह्लाद पटेल, नत्थन शाह को मैदान में उतारकर भाजपा ने चुनाव – दर – चुनाव छिन्दवाड़ा संसदीय सीट में हार – जीत के अंतर को किनारे पर लाकर खड़ा कर दिया है। छिन्दवाड़ा से 9 बार सांसद रह चुके कमलनाथ कभी छिन्दवाड़ा से 2 लाख वोट से जीता करते थे। जो अब यह अंतर उनके बेटे नकुलनाथ के साथ पिछले लोकसभा चुनाव में 37 हजार 622 वोट का ही रह गया है। पिछले चुनाव में तो नकुलनाथ लोकसभा की सात विधानसभा में से चार विधानसभा परासिया, सौसर, चौरई और पांढुर्ना हार गए थे। उन्हें केवल छिन्दवाड़ा, अमरवाड़ा, और जुन्नारदेव से ही लीड मिल पाई थी।
भाजपा अब छिन्दवाड़ा में सीधे निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। सब कुछ छिन्दवाड़ा के मतदाताओं के हाथ में है कि मतदाता छिन्दवाड़ा के भविष्य को लेकर क्या फैसला लेगा। मोदी सरकार के फैसलों ,कामकाजों और मोदी की योजनाओ से लेकर मोदी की गारंटी ने देश का मिजाज बदला है। इसके साथ पार्टी को अब छिन्दवाड़ा का मिजाज भी बदलने का भरोसा है।छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश की 29 सीटों में सबसे ज्यादा चर्चित सीट है। प्रदेश में भी सबसे ज्यादा चर्चा छिन्दवाड़ा के चुनाव की ही मची हुई है। चुनाव में काग्रेस के दिग्गज कमलनाथ की 45 साल की राजनीतिक प्रतिष्ठा भी दांव पर है। तीसरी बार मोदी सरकार की गारंटी में कांग्रेस के नेताओ को अपने भविष्य की चिंता हो चली है कि जब प्रदेश में सरकार ना ही केंद्र में सरकार तो भला हमे कौन सरकार बोलेगा। सत्ता के रसूख और उच्च पदों पर काबिज रहे कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ के लिए भी यह चुनाव कड़ी परीक्षा कहा जा रहा है। उनके दिल्ली एपिसोड के बाद तो छिन्दवाड़ा जिले से बड़ी संख्या में कांग्रेसी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। छिन्दवाड़ा में ऐसा नजारा पहली बार देखा जा रहा है।
बहरहाल लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च है।जनता के फैसले से ही सरकार बनती बिगड़ती है। इसी फैसले से क्षेत्र का भी भविष्य बनता बिगड़ता है और नेताओ का भी भविष्य तय होता है। छिन्दवाड़ा की जनता का फैसला क्या है। अबकी बार 400 पार के नारे के बीच मोदी फैक्टर में छिन्दवाड़ा की राजनैतिक परिस्थितयां क्या रहेंगी। इस पर राजनीतिक समीक्षकों की नजरें टिकी है। यहां सांसद का चुनाव होने में ज्यादा समय नही है। चुनाव आयोग के घोषित लोकसभा चुनाव कार्यक्रम में छिन्दवाड़ा का चुनाव पहले चरण में ही है। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार 20 मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी। 27 मार्च तक नामांकन लिए जाएंगे। 29 मार्च को नामंकन पत्रों की जांच और 30 मार्च को नाम वापसी के बाद 19 अप्रैल को मतदान के साथ सांसद का फैसला हो जाएगा।छिन्दवाड़ा का सांसद कौन 4 जून को होने वाली मतगणना से सामने आएगा।