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भ्रष्टतंत्र : छत्तीसगढ़ में पत्रकार की नृशंस हत्या,लीवर के चार टुकड़े, पांच पसलियां तोड़ी, शव को सेप्टिटैंक में फेंका

देश भर के पत्रकारों में रोष, ठेकेदार सहित चार आरोपी अरेस्ट

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♦रायपुर छत्तीसगढ़ –

छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने साबित कर दिया है कि सरकार भृष्टाचार रोकने में नाकाम है। मुकेश ने यहां 120 करोड़ की लागत से बन रही बीजापुर  सड़क का घोटाला उजागर किया था। जिसके बदले ठेकेदार और उसके कर्मियों ने मिलकर पत्रकार की हत्या कर दी। हत्या जैसा जघन्य अपराध करने के बाद भी आरोपी डरे नही बल्कि पत्रकार के शव को सेप्टिटैंक में डालकर ऊपर नया प्लास्टर करवा दिया था कि किसी को पता ही नही चल सके। इस मामले के पुलिस ने ठेकेदार सहित चार आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है। मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। जो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का नेता हैं।

बीजापुर एसपी ने  बताया कि हत्याकांड का मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर है, जो पत्रकार मुकेश चंद्राकर का रिश्तेदार भी  है। सुरेश के  कहने पर इसके भाइयों और मैनेजर ने मुकेश की नृशंस हत्या की है।  33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर एक जनवरी की रात से ही अपने घर से लापता हो गए थे. बाद में उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की  फार्म हाउस में मज़दूरों के लिए बनाए गए एक आवासीय परिसर के सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया था।
पुलिस ने बीते शनिवार को हत्या मामले में अभियुक्त ठेकेदार का खाता सीज़ किया। गोदाम और मज़दूरों के रहने के लिये बनाए गए अवैध निर्माण को भी ढहा दिया विभाग ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है।

लीवर के पांच टुकड़े ,पांच पसलियां टूटी ..

मुकेश चंद्राकर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। उनके लीवर के 4 टुकड़े मिले, जबकि 5 पसलियां टूटी हुई थी। सिर में 15 फ्रैक्चर, हार्ट फटा हुआ और गर्दन टूटी मिली है। पीएम करने वाले डॉक्टरों ने भी कहा है कि उन्होंने अपने करियर में इतनी बुरी स्थिति में कोई शव नहीं देखा है। मुकेश की हत्या करने आरोपियों ने पहले पीछे से वार किया और जब वह गिर गया तो उस पर ताबड़तोड़ वार किए गए, जिससे पलभर में ही उसकी मौत हो गई। उसके शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं छूटा था, जहां आरोपियों ने चोट न पहुंचाई हो।

देश भर के पत्रकारों में रोष ..

पत्रकार मुकेश चन्द्राकर एन डी टी वी के पत्रकार थे। उनकी हत्या से देश भर के पत्रकारों में रोष है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सुरेश चन्द्राकर के सभी ठेके रद्द कर उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। इस कांड ने सरकार सहित निर्माण एजेंसी में फैले भृष्टाचार को भी उजागर किया है।

पहले भी हुई है पत्रकारों की हत्या ..

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की हत्या का यह पहला मामला नही है। इसके पहले  यहां बांसागुड़ा के रहने वाले पत्रकार साईं रेड्डी को मार्च 2008 में हत्या की गई थी।12 फरवरी 2013 को माओवादियों ने नेमीचंद जैन की हत्या कर दी थी। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा संभाग तक, ग्रामीण इलाक़ों में काम करने वाले अधिकांश पत्रकारों को अख़बार या टीवी चैनल न तो कोई नियुक्ति पत्र देते हैं और न ही उन्हें काम के बदले कोई निश्चित वेतन मिलता है। ऐसे में अगर कोई घटना हो जाए तो  मीडिया  संस्थान  पल्ला झाड़ लेते हैं।  बस्तर में दरभा के पत्रकार संतोष ,सोमारु नाग और  गीदम के पत्रकार प्रभात  को जब माओवादी समर्थक बता कर गिरफ़्तार किया गया था। तब मीडिया  संस्थानों ने  इनसे पल्ला झाड़ा था।

इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव  विष्णुदेव साय ने कहा है कि ‘किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा और जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी। पत्रकार सुरक्षा कानून भी लागू किया जाएगा। सरकार इसके लिए  प्रतिबद्ध है। इस संबंध में सभी हितधारकों से विचार विमर्श कर कानून को प्रभावी बनाया जाएगा।


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