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नगर निगम : कलेक्टर की अध्यक्षता में निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, सोनू मांगो को भुगतना पड़ रहा भाजपा में शामिल ना होने का खामियाजा

नगर निगम परिषद के विशेष समेलन का एजेंडा जारी, कलेक्टर के समक्ष होगी निगम के 48 पार्षदो की वोटिंग

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♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश –

नगर निगम को नगर विकास के लिए बजट देने से मुंह मोड़े बैठी भाजपा के पास गोटिया फिट करने के अलावा कोई काम बचा नही है। छिंदवाड़ा भाजपा में केवल यही काम अच्छे से चल  रहा है।  अब  भाजपा नगर निगम के अध्यक्ष सोनू मांगों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है। महापौर सहित 14 पार्षदों के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद यह स्थिति बनी है। मतलब साफ है कि निगम अध्यक्ष सोनू मांगों को भाजपा में शामिल ना होने का खामियाजा भोगना पड़ेगा। यदि वे भाजपा में शामिल हो जाते तो शायद अपने पद पर बने रह सकते थे।  भाजपा पार्षद दल के आवेदन पर  कलेक्टर की अध्यक्षता में मंगलवार 8 अक्टूम्बर को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी।

नगर निगम में भाजपा को महापौर मिला था ना ही पार्षदों का बहुमत लेकिन  बजट समस्या ने नगर निगम ने बड़े परिवर्तन करा दिए कि महापौर सहित 14 पार्षद लोकसभा चुनाव के दौरान  कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के रणछोड दास इस जुगाड़ में थे कि भाजपा में जाने से उन्हें कुछ मिलेगा लेकिन ऐसा – वैसा कुछ हुआ नही है। नगर निगम के जो हाल कल थे वही आज है। बदला कुछ नही है। बस सभापति बदले है और अब निगम का अध्यक्ष बदला जा रहा है।

नगर निगम अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा के ही हालात ठीक नही कहे जा सकते हैं। निगम में भाजपा के 19 पार्षद है और कांग्रेस से आए 14 इस तरह कुल 33 पार्षदों का भाजपा के पास बहुमत हैं। जिसकी दम पर यहां निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का दम्भ भरा गया है। भाजपा के जो 19 पार्षद है उनमें एका नही है। 19 पार्षद तीन गुट में है और चौथा गुट अब कांग्रेस से भाजपा में आए 14 पार्षदों का बन गया है। इस वजह से भाजपा के लिए अविश्वास प्रस्ताव पारित कराना और फिर किसी एक चेहरे पर नए निगम अध्यक्ष का चुनाव करा लेना आसान नही लग रहा है।

सारा खेल नए निगम अध्यक्ष के लिए तय होने वाले नाम पर टिका नजर आता है। गुट बाजी की वजह से दावेदार खुलकर सामने नही आए हैं। जिनका दावा है वो भी केवल यही कहते नजर आ रहे हैं कि पार्टी जो नाम तय कर दे तो यह सबक राजनीति का तो हर कोई जानता है कि पावर में आने के बाद कोई भी नेता  अपने सामने पावरफुल लोग नही चाहता है।  इसलिए निगम अध्यक्ष के पद पर  किसी डमी केंडिडेट की लॉटरी लग सकती है।

दावेदारों में वरिष्ठ पार्षद विजय पांडेय का नाम सबसे आगे है। दिवाकर सदारंग दूसरे दावेदार है लेकिन तीसरे दावेदार का कोई दावा नही लेकिन उन्हें निगम अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ये है गरिमा दामोदर जो भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष के साथ पार्षद भी है। उन्हें सभापति नही बनाया गया था तब से ही यह चर्चा थी कि उन्हें कुछ और जवाबदारी निगम में दी जा सकती है। वैसे विजय पांडेय 6 बार के पार्षद है। आसानी से मानने वाले नही है। उनका अपना जोड़ – तोड़ है। यदि वे सबको साधने में सफल हुए तो फिर वे अपनी ताजपोशी भी करा सकते हैं।

बहरहाल नगर निगम में 8 अक्टूम्बर को प्रातः 11 बजे कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में निगम का विशेष सम्मेलन बुलाया गया है। इस सम्मेलन में क्या होगा। इस पर राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर टिकी हुई है।

कांग्रेस ने की  कलेक्टर से मुलाकात ..

नगर निगम में 8 अक्टूम्बर को विशेष सम्मेलन बुलाए जाने का एजेंडा जारी होने के बाद कांग्रेस में भी हल – चल बढ़ी है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे ने  कांग्रेस भवन में निगम अध्यक्ष सोनू मांगो के साथ कांग्रेस पार्षद दल की बैठक लेकर ना केवल रणनीति तय की बल्कि बैठक के बाद पार्षदों सहित कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह से भी मुलाकात की है। कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पर कोई आपत्ति तो नही जताई लेकिन कलेक्टर से इतना जरूर कहा कि प्रस्ताव पर चर्चा हो लेकिन निष्पक्षता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।

 


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