बरसात से पहले छिन्दवाड़ा में जल गंगा संवर्धन अभियान, कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने छोटा तालाब और पातालेश्वर बावड़ी में किया श्रमदान
जनभागीदारी से शहरों और गांवो में जल स्त्रोतों के सरंक्षण की बड़ी पहल
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा में ना जल स्त्रोतों की कमी है ना ही जल भंडारण की कमी है तो बस जन जागरूकता कि कैसे इन स्त्रोत और उनके उपयोग को भविष्य के लिए सरंक्षित किया जाए। अब मानसून की दस्तक होने वाली है। बरसात में प्रकृति का जल धरती पर होगा। इस जल को पेयजल, निस्तार और सिंचाई के लिए संरक्षित करने जिले वासियो को प्रेरणा देने कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने स्वयं मोर्चा सम्हाल लिया है। इन दिनों कलेक्टर स्वयं जल स्त्रोतों के सरंक्षण में उनकी साफ – सफाई और रख – रखाव के लिए जिले के शहरों और गांव में स्थित स्त्रोतों में पहुंचकर श्रमदान कर रहे हैं। उनके इस अभियान से ना केवल लोग प्रेरित हो रहे हैं बल्कि श्रमदान में खुलकर भागीदार भी बन रहे हैं।
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने पिछले दो दिनों में छिन्दवाड़ा शहर की धरोहर छोटा तालाब और पातालेश्वर बावड़ी में श्रमदान कर साफ – सफाई और संरक्षण का बीड़ा उठाया। इस अभियान में नगर निगम कमिश्नर सी पी राय स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित क्षेत्रवासियों ने भी भागीदारी की। कलेक्टर की पहल पर अब यह अभियान पूरे जिले में शुरू हो गया है।इस अभियान में जनभागीदारी से तालाबों का गहरीकरण, स्टाप डेम की सफाई, सरकारी भवनों पर वॉटर हार्वेस्टिंग, अमृत सरोवर तालाब से गाद निकालकर गहरा करने सहित पौधे लगाने का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 16 जून जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए जनसमुदाय, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, युवाओं, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, जन अभियान परिषद सहित सभी को शामिल करते हुए इसे जन अभियान बनाया जाएगा। जिले का कोई भी जलस्त्रोत सरंक्षण के अभाव में स्त्रोत होकर भो अनुपयोगी ना रहे ऐसी पहल की जाएगी। हमे जल स्त्रोत के सरंक्षण के साथ ही इस बरसात जल भंडारण की क्षमता बढ़ाना है।
अभियान में नगरीय निकाय और पंचायतें बारिश पूर्व की जाने वाली तैयारी में जुटे। जनभागीदारी से जल गंगा संवर्धन अभियान को सफल बनाए। जल सरंक्षण और संवर्धन के प्रति लोगों में जागरूकता लाएं। पौधारोपण का कार्य भी अच्छी कार्ययोजना बनाकर किया जाए। जिससे पौधे न केवल लगाए जाएं बल्कि उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा जिले के नगरीय क्षेत्रों में नाली -नालों की साफ-सफाई , जर्जर भवनों को वर्षाकाल के पूर्व डिस्मेंटल करने, सड़क -पुल-पुलिया के निर्माण और मरम्मत का कार्य बारिश के पूर्व करने, राहत और बचाव की तैयारी, खाद- बीज और कृषि बोनी की तैयारी, बारिश के बाद होने वाले संक्रामक रोगों से बचाव की तैयारी, बांधों के लीकेज का वर्षाकाल के पूर्व पता लगाकर मरम्मत का कार्य व निर्माणाधीन बांधों का पर्यवेक्षण, वर्षाकाल में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की तैयारी को लेकर सम्बंधित अधिकारियो और विभागों को विस्तृत निर्देश दिए हैं।
बटकाखापा में सौ साल पुरानी बावड़ी का जीर्णोद्धार..
जल गंगा संवर्धन अभियान में श्रमदान से जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने बटकाखापा में सौ साल पुरानी बावड़ी का भी जीर्णोध्दार किया गया है। अब 35 से 40 परिवार इस बावड़ी के पानी का उपयोग अपने घर में कर सकते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर बटकाखापा में स्थित यह बावड़ी अब जनदर्शन का भी केंद्र बन गई है। यह बावड़ी सरंक्षण के अभाव में अपना अस्तित्व खोने की कगार पर थी किन्तु जनभागीदारी से बावड़ी को नया जीवन भी मिला है और यह आस – पास के लोगो के लिए उपयोगी भी होगी।