
पंच केदार उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के केदारखंड में स्थित है पंच केदार में प्रथम केदारनाथ, द्वितीय मध्यमहेश्वर, तृतीय तुंगनाथ, चतुर्थ रुद्रनाथ, पंचम कल्पेश्वर है पांचो स्थान में भगवान शिव को समर्पित पौराणिक मंदिर है पंच केदार का वर्णन सकन्द पुराण में है साथ ही महाभारत ग्रंथ में भी पंच केदार का उल्लेख है l
जब पांडवों पर लगा भ्रात हत्या का दोष
पुराणों के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात् पांडवो को भ्रातृहत्या का दोष लग गया था पांडवों ने इस पाप से मुक्त होने के लिए देवों के देव महादेव के दर्शन व आशीर्वाद के लिए महादेव के पास जाने की सोची.. किन्तु भगवान शिव पांडवों को दर्शन नही देना चाहते थे ऐसे में भगवान शिव रुष्ट होकर केदारखंड में छुप गये थे जब केदारखंड पहुँचकर भी पांडवों को शिव के दर्शन नही हो पाये थे तो पांडव भगवान शिव को खोजने लगे जब महादेव को लगा की पांडव उन्हें खोज लेंगे तब भगवान शिव बैल का रूप धारण कर पशुओ के बीच चलने लगे थे तब भीम को शंका हो गईं कि हो ना हो भगवान शंकर इन पशुओ के बीच ही छिपे है भीम ने विशाल रूप धारण कर वहां दो विपरीत चट्टानों पर पैर रखकर खड़े हो गए और बाक़ी पांडव उन पशुओ को भीम के पैरों के नीचे की ओर हाँकने लगे इस समय सभी गाय और बैल भयभीत होकर भीम के पैरों के नीचे से निकलकर भागने लगे थे लेकिन भगवान शिव रूपी बैल भीम के पैरों से उल्टी दिशा में भाग रहे हे ऐसे में भीम समझ गये कि यही भगवान भोलेनाथ है..महाबली भीम ने दौड़कर बैल के कूबड़ को दबोच लिया जब भीम भगवान शिव रूपी बैल को काबू करने लगे तभी भगवान शिव धरती के अंदर समाने लगे थे लेकिन फिर भी भीम ने बैल की पीठ ना छोड़ी थी तब महादेव ने पांडवों के इस हठ भक्ति योग से समर्पित व प्रसन्न होकर पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त किया
भगवान शिव के पृष्ठ भाग या पीठ का भाग केदारनाथ में , मध्य भाग नाभि मध्यमहेश्वर में, भुजायें तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई है अग्र भाग पशुपतिनाथ नेपाल में प्रकट हुआ है बाद में पांडवों ने इन जगहों पर मंदिरों का निर्माण करवाया था
केदारनाथ धाम
केदारनाथ मंदिर भारत के चार धामों में से प्रथम धाम है l यह 12 ज्योतिर्लिंग में भी पहला ज्योतिर्लिंग है l यह प्रथम केदार है l यहाँ शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते है l केदारनाथ धाम समुन्द्र तल से लगभग 3584 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l केदारनाथ की पैदल यात्रा गौरीकुंड से प्रारम्भ होती है l गौरीकुंड से 18 किलोमीटर पैदल यात्रा के पश्चात केदारनाथ धाम पहुँचा जाता है l ऋषिकेश से 235 किलोमीटर वाहन द्वारा गौरीकुंड पहुँचा जा सकता है l केदारनाथ के मंदिर के कपाट वर्ष में छह माह दर्शनार्थ खुले होते है l केदार बाबा शीतकाल में छह माह ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होते है…
मध्यमहेश्वर केदार
द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर मंदिर में महादेव के मध्य भाग नाभि के दर्शन होते है l मध्य भाग होने के कारण ही मध्यमहेश्वर कहा जाता है l मध्यमहेश्वर केदार समुन्द्र तल से 11470 फीट पर स्थित है l यहाँ के लिए पैदल यात्रा ऊखीमठ ब्लॉक के रांसी गाँव से शुरू होती है l रांसी गाँव से 22 किलोमीटर पैदल चलकर मध्यमहेश्वर के दर्शन होते है l ऋषिकेश से रांसी गाँव 207 किलोमीटर वाहन से पहुँचा जा सकता है l मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट भी छह माह दर्शनार्थ खुले होते है l मध्यमहेश्वर की शीतकालीन गद्दी भी ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में छह माह विराजमान होती है ..
तुंगनाथ केदार
तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर विश्व में सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है l तुंगनाथ मंदिर में शिव की भुजाओं के दर्शन होते है l तुंगनाथ समुन्द्र तल से लगभग 3680 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l यहाँ के लिए पैदल यात्रा चोपता से शुरू होती है l चोपता से 4 किलोमीटर पैदल चलकर तुंगनाथ मंदिर पहुँचा जाता है ऋषिकेश से चोपता 165 किलोमीटर वाहन से पहुँचना होता है तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी छह माह के लिए दर्शनार्थ खुले होते है l शीतकाल के छह माह तुंगनाथ जी मक्कूमठ में विराजमान होते है l
रुद्रनाथ केदार
चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की यात्रा सभी केदार में सबसे कठिन है l यह मंदिर एक गुफा में बना है l यहाँ शिव के मुख के दर्शन होते है l रुद्रनाथ समुन्द्र तल से लगभग 3000 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l रुद्रनाथ की पैदल यात्रा गोपेश्वर के सगर गाँव से शुरू होती है l सगर गाँव से 20 किलोमीटर पैदल यात्रा के बाद रुद्रनाथ के दर्शन होते है l ऋषिकेश से सगर गाँव 217 किलोमीटर वाहन से पहुँच जाते है l रुद्रनाथ मंदिर के कपाट छह माह के लिए दर्शनार्थ खुले होते है l गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में रुद्रनाथ शीतकाल के छह माह विराजमान रहते है l
कल्पेश्वर केदार
पंचम केदार कल्पेश्वर मंदिर में महादेव की जटा के दर्शन होते है l यह मंदिर भी एक गुफा में स्थित है l कल्पेश्वर मंदिर की समुन्द्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है l यहाँ आप पूरे वर्ष दर्शन कर सकते है l ऋषिकेश से कल्पेश्वर की मोटर मार्ग से दूरी 253 किलोमीटर है l गाड़ी से उतरने के बाद आप लगभग 100-200 मीटर ही पैदल चलकर कल्पेश्वर मंदिर जा सकते है